पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) | देसी अंदाज में आयोजित सरस मेला आधुनिक समाज में भी अपनी एक अलग पहचान बना रहा है. मेला में बिकने वाले उत्पाद और उनके प्रति लोगों का क्रेज लगातार बढ़ रहा है और यह बात का प्रमाण है कि लोग आधुनिकता से दूर गांव की ओर लौट रहे हैं. अपने घरों को संवारने के लिए लोग ग्रामीण शिल्प और उत्पाद को ही तरजीह दे रहे हैं. सरस मेले में लोगों का सबसे बड़ा रुझान ग्रामीण शिल्प कला की ओर तरफ है. वर्तमान समय में बिहार ग्राम सरस मेला राष्ट्रीय मेला के स्वरूप में प्रदर्शित हो रहा है. सरस मेला ग्रामीण विकास विभाग, भारत सरकार द्वारा निर्धारित कैलेंडर के तहत देश की लगभग प्रत्येक राज्य की राजधानी में प्रतिवर्ष आयोजित होता है. राजधानी पटना में भी इसका आयोजन कई वर्षों से होता रहा है.
वर्ष 2014 से ही इसके आयोजन की जिम्मेदारी बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन समिति जीविका की है. बिहार ग्राम सरस मेला इस साल 2019-20 का प्रथम संस्करण ज्ञान भवन, पटना में 2 सितंबर से 11 सितंबर तक आयोजित हुआ. मेला में बिहार समय देश राज्यों के स्वयं सहायता समूह से जुड़े महिलाओं और अन्य सरकारों द्वारा निर्मित उत्पादक आकृतियों की बिक्री से प्रदर्शनी 110 स्टॉलों से हुई.
एक बार फिर इसी साल जीविका सरस मेला का आयोजन 1 दिसंबर से 15 दिसंबर तक गांधी मैदान पटना में हो रहा है, जिसमें 400 स्टॉल विभिन्न विभागों के 50 और जीविका दीदियों के लिए 50 का निर्माण प्रस्तावित है. इस मेला में स्टाल के माध्यम से बिहार के लगभग 30 जिलों के और देश के 25 से ज्यादा राज्यों से स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं अपने हस्तशिल्प को लेकर खरीद बिक्री शिरकत करेंगी. मेला सुबह 10 बजे से रात्रि 8 बजे तक आयोजित होगा आगंतुकों के लिए प्रवेश निशुल्क होगा.