नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और संस्कार से परिचित कराने एक अभियान है बसन्तोत्सव
युवाओं पर पाश्चात्य संस्कृति हावी न हो इसके लिए हमें अपनी संस्कृति एवं संस्कार से जुड़े गीत-संगीत एवं मूल्यों को आगे बढ़ाना पड़ेगा – डॉ अर्चना सिंह
आरा, 14 फरवरी. बसन्त पंचमी के पावन अवसर पर विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती का पूजनोत्सव तो हर जगह होता है लेकिन पूजनोत्सव सह बसन्तोत्सव का जो आयोजन सम्भावना स्कूल करता है वह अविस्मरणीय होता है. हर साल की तरह इस साल भी बसन्तोत्सव -2024′ का भव्य सांस्कृतिक आयोजन शान्ति स्मृति सम्भावना आवासीय उच्च विद्यालय, शुभ नारायण नगर, मझौवों, आरा में आज संपन्न हुआ.
यह आयोजन दो सत्रों में सम्पन्न हुआ. समारोह के प्रथम सत्र में पूरे विधि-विधान से माँ सरस्वती का पूजन किया गया तथा वैदिक मन्त्रों के साथ हवन-यज्ञ सम्पन्न हुआ. विद्यालय के छात्राओं ने अपने मधुर सामूहिक स्वर में माँ सरस्वती की संगीतमय आरती प्रस्तुत किया. माँ सरस्वती के जयकारे तथा वैदिक मन्त्रों के उच्चारण से आस-पास का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया.
समारोह के द्वितीय सत्र में विद्यालय का वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘बसन्तोत्सव-2024’ का विधिवत उद्घाटन विद्यालय के निदेशक डॉ० कुमार द्विजेन्द्र और प्राचार्या डॉ० अर्चना सिंह ने दीप प्रज्वलित कर संयुक्त-रूप से किया. इस अवसर पर छात्र-छात्राओं, शिक्षक- कर्मचारियों तथा अभिभावकों को बसन्त पंचमी की शुभकामनायें देते हुए निदेशक डॉ० कुमार द्विजेन्द्र ने कहा कि यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन ही नहीं बल्कि नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति और संस्कार से परिचित कराने का एक व्यापक अभियान है. इस तरह के सांस्कृतिक आयोजनों से बच्चों में नैतिक मूल्यों की नींव डाली जाती है.
बसन्तोत्सव-2024 के अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने संगीत शिक्षक धर्मेन्द्र कुमार, अमितेश रंजन और सुंदरम नाथ मिश्रा के दिशा-निर्देश में भक्ति-संगीत की सांस्कृतिक प्रस्तुति देकर दर्शक दीर्घा में बैठे अतिथि, अभिभावक तथा विशिष्ट लोगों को भाव-विभोर कर दिया. सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत ‘सरस्वती बंदना वीणा वादिनी ज्ञान की देवी से हुई, जिसे छात्र-छात्रा तपस्या भारद्वाज, सोम्या सिंह, अर्पिता केशरी, आस्था रानी, अन्नया केशरी, निशिता कुमारी, कृषि कुमारी, विवेक राज, आर्यन कुमार, रंजन तिवारी तथा आर्यन सिंह ने प्रस्तुत किया. समूह गीत देखो आई बंसत मतवारी रे को शिशु शाखा की छात्रा तृषा, शिल्पी, आराध्या, मुस्कान, जाहन्वी, नंदनी, अंशिका तथा आराध्या ने प्रस्तुत कर दर्शक दिर्घा में बैठे लोगों को झुमने पर मजबुर कर दिया. इसी तरह होली गीत मोहन के बाजेला बासुरियाँ, सुने गोकुल नगरियाँ हो को अर्पिता, तपस्या, नाब्या साह, खुशबू, मनीषा यादव, तान्या सिंह, रिया तथा निशिता कुमारी ने आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया.
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने आपस में रंग-गुलाल खेल कर बसंत आगमन का शुभारम्भ किया.
इस अवसर पर विद्यालय की प्राचार्या डॉ० अर्चना सिंह ने कहा कि हमारी युवा पीढ़ी पर पाश्चात्य संस्कृति हावी न हो इसके लिए हमें अपनी संस्कृति एवं संस्कार से जुड़े गीत-संगीत एवं मूल्यों को आगे बढ़ाना होगा. उन्होंने वर्तमान युवा पीढ़ी में नैतिक मूल्यों के ह्रास पर चिन्ता व्यक्त की.
धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के उप-प्राचार्य ऋषिकेश ओझा ने किया. मंच संचालन वरिष्ठ शिक्षक अरविंद ओझा ने किया. मंचीय परिकल्पना तथा साज-सज्जा कला शिक्षक विष्णु शंकर और संजीव सिन्हा ने किया. इस अवसर पर छात्र-छात्रा, शिक्षक- कर्मचारी तथा भारी संख्या में अभिभावक और आम लोग उपस्थित रहें.
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