प्राचीन संस्कृतियों का पुनर्मिलन अगर आप देखना चाहते हैं तो बिहार सरस मेला में पधारिये. जहाँ हमारे देश की लोक संस्कृति, परम्परा, लोक कला, लोक गीत, लोक नृत्य, संवाद और व्यंजन पुराने एवं देशी अंदाज में प्रदर्शित हैं. बिहार समेत 20 राज्यों के ग्रामीण शिल्पकार पचास और साठ के दशक की लोक कलाएं, हस्तशिल्प , परम्परा, स्वाद , संवाद एवं व्यंजन लेकर उपस्थित हैं . तो अगर आपने अभी तक सरस मेला का परिभ्रमण नहीं किया तो कर लीजिये . क्यूंकि मेला समाप्ति में महज अब छह दिन शेष हैं .
सरस मेला में 8 दिन में 7 करोड़ 31 लाख 28 हजार की बिक्री
ग्रामीण शिल्प एवं हुनर को प्रोत्साहन एवं बाज़ार देने के उद्देश्य से बिहार सरस मेला
जीविका की ओर से गाँधी मैदान मैदान में लगा है मेला
पचास और साठ के दशक की लोक कलाएं, हस्तशिल्प, परम्परा, स्वाद, संवाद एवं व्यंजन मेला
मेला समापन में महज 6 दिन शेष हैं . लिहाजा मेला और मेला में प्रदर्शित एवं बिक्री के लिए लाये गए उत्पादों के प्रति कद्रदानो की दीवानगी देखते ही बन रही है . शुक्रवार को एक लाख से ज्यादा लोग आये और अपने मनपसंद उत्पादों की खरीददारी की तथा लज़ीज़ व्यंजनों का स्वाद लिया. ग्रामीण शिल्प और परंपरा के प्रति लोगों का आकर्षण ही है कि महज 8 दिनों में खरीद-बिक्री का आंकड़ा लगभग 7 करोड़ 31 लाख 28 हजार रूपया पहुँच गया है. गुरुवार को 1 करोड़ 07 लाख 66 हजार रुपये के उत्पादों एवं व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई . खरीद-बिक्री का यह आंकड़ा स्टॉल धारकों से लिए गए आकंड़ो पर आधारित होता है.
सेमिनार हॉल पटना नगर निगम द्वारा कूड़ा प्रबंधन पर चर्चा हुई और बताया गया कि अलग अलग चरणों मे गार्बेज वेस्ट पॉइन्ट को खत्म करने पर काम किया जा रहा है। 25 दिसंबर से ड्राइव मोड में इसके लिए काम होने वाला है जो 26 जनवरी तक खत्म किया जाएगा। दर्शकों और मीडियाकर्मियों को अनिमेष कुमार परासर, आयुक्त, नगर निगम, पटना ने नगर निगम द्वारा स्वच्छता को लेकर चलाये जा रहे “नेकी की दीवार, बर्तन बैंक, थैला बैंक और स्वच्छता की पाठशाला” की समेत विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में जानकारी दी . कार्यक्रम में राम निरंजन सिंह, निदेशक, जीविका, प्रभात रंजन, कार्यपालक पदाधिकारी, नूतन अंचल, योगेश राणा समेत कई अधिकारियों ने शिरकत की . अनिमेष कुमार परासर जी ने सरस मेला परिसर में स्वच्छता को लेकर चलाये जा रहे गतिविधियों से मीडियाकर्मियों को अवगत कराया . जिसमे जीरो वेस्ट इवेंट प्रमुख है . इसके साथ ही “स्वाहा मशीन योजना” के बारे में भी बताया गया .
सेमिनार हॉल में दुसरे पहर में “स्थाई प्रशासन” की आवश्यकता विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई . कुडुमश्री से साथी मजूमदार एवं बी.जी.एस.वाई से राकेश कुमार और स्नेहा ने स्थायी शासन पर चर्चा की। दर्शकों को ग्राम पंचायत तथा ग्राम सभा में महिलाओं की भूमिका पर विस्तार से बताया गया . दर्शकों एवं जीविका दीदियों को ग्राम सभा के स्तर पर सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में भी बताया गया।
सांस्कृतिक मंच पर महिला बाल विकास निगम के तत्वाधान में ग्रामीण लोक सेवा के कलाकारों ने “बात पते की” लघु नाटक की प्रस्तुति की . नाटक के माध्यम से बाल विवाह एवं दहेज़ विवाह मुक्त समाज को लेकर दर्शकों को जागरूक किया गया . कलाकारों में हौबिन्स, दिनेश, संजय, रोहन, राधा, विजय, अमित, प्रेम, राम शकल, एवं शालिनी रहे . तत्पश्चात रंग संस्था मुस्कान के लोक कलाकारों ने लोक गीतों और गजल तथा सूफी गायन की प्रस्तुति की . कमलेश कुमार देव ने हम तेरे शहर में आये हैं मुसाफिर की तरह और मेरे रसके कमर से शमा बाँधा वहीँ मिताली चक्रवर्ती ने दीवारों से मिलकर अच्छा लगता है एवं एको करमिया ना छोडेला जैसे गीतों पर दर्शकों को झुमाया . संध्या पहर में कला-संस्कृति एवं युवा विभाग के तत्वाधान में रंग कलाकारों ने बिहार गीत , लोक गीत एवं लोक नृत्य की प्रस्तुति कर दर्शकों को बिहार की संस्कृति से रूबरू कराया . सामा चकेवा, जाट-जतिन एवं झूमर की प्रस्तुति हुई . दर्शक छठ गीत एवं अन्य लोक गीतों को सुनकर अपनी संस्कृति से सराबोर हुए . कलाकारों में माधव एवं उनकी टीम, ने लोक नृत्यों की प्रस्तुति दी . विष्णु थापा ने बांसुरी वादन किया . सपना राज एवं सुमित बाबा ने लोक गीतों की प्रस्तुति दी .
सरस मेला में कैशलेश खरीददारी की भी व्यवस्था पूर्व की तरह की गई है . इसके साथ ही जीविका दीदियों द्वारा संचालित ग्राहक सेवा केंद्र से रुपये की जमा-निकासी जारी है . सरकारी एवं गैर सरकारी विभागों के विभिन्न स्टॉल पर आगंतुक सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से रूबरू हो रहे हैं .
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