आजीवन सजा काटने से पहले ही हत्यारे शहाबुद्दीन की सांसो ने साथ छोड़ा
पटना/दिल्ली,1 मई. तिहाड़ जेल में हत्या का आजीवन सजा काट रहे बिहार के बाहुबली आरजेडी नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन उर्फ साहब की कोरोना से मौत हो गई है. मोहम्मद शहाबुद्दीन सीवान के पूर्व सांसद भी थे. दिल्ली के एक अस्पताल में कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें गम्भीर स्थिति में भर्ती कराया गया था. हालांकि शहाबुद्दीन की मौत की पुष्टि को लेकर काफी देर तक असमंजस का माहौल रहा. तिहाड़ जेल प्रशासन ने भी पुष्टि करने से बचा रहा लेकिन आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के ट्वीट के बाद यह पुख्ता हो गया. बता दें कि आज सुबह से ही बिहार के चर्चित बाहुबली नेता की कोरोना की वजह से मौत की खबरें आ रही थीं, जिसके बाद तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से इन खबरों का खंडन किया.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 20 अप्रैल को जब मोहम्मद शहाबुदीन की हालत अचानक बिगड़ी तो शुरुआती लक्षण जो दिखे, उसे देखते हुए जेल प्रशासन ने सर्वप्रथम कोरोना संक्रमण की जांच कराया. रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही शहाबुद्दीन को तुरंत तिहाड़ जेल के चिकित्सकों की निगरानी में दे दिया गया. जब इसके बाद भी शहाबुद्दीन की हालत नहीं सुधरी तो वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा. शुक्रवार से लगातार बिगड़ती तबीयत के बाद शनिवार को शहाबुद्दीन ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया.
शहाबुद्दीन का इतिहास
शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले चल रहे हैं. तिहाड़ जेल जाने से पहले वे बिहार के भागलपुर और सीवान की जेल में भी लंबे समय तक सजा काट चुके हैं.
साल 2018 में जमानत मिलने के बाद शहाबुद्दीन जेल से बाहर भी आये, लेकिन जमानत रद्द होने के कारण वापस जेल ही जाना पड़ा. 15 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राजद सांसद को सीवान से तिहाड़ जेल लाने का आदेश दिया था. शहाबुद्दीन को खौफनाक तेजाब कांड की वजह से याद किया जाता हैं. घटना 2004 की है.
सिवान के चंदा बाबू के तीन बेटों गिरीश, सतीश और राजीव का बदमाशों ने अपहरण कर उन्हें तेजाब से नहला कर मार दिया. इस घटना का चश्मदीद राजीव बदमाशों की गिरफ्त से अपनी जान बचाकर भागने में सफल रहा. अपने भाइयों की हत्या का बाद में राजीव गवाह बना, लेकिन कौन जानता था कि गवाह भी मौत का शिकार हो जाएगा! तेजाब कांड के इकलौते गवाह राजीव को रास्ते से हटाने के लिए 2015 में सिवान के डीएवी मोड़ पर राजीव की भी गोली मार कर हत्या कर दी गई. हत्या के महज 18 दिन पहले ही राजीव की शादी हुई थी. इस घटना के बाद पूरे शहर में हड़कंप मच गया था.
तेजस्वी यादव ने शहाबुद्दीन के प्रति अपनी संवेदना ट्वीट के के जरिये व्यक्त की, लेकिन शहाबुद्दीन का जाना पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति की बात को ट्वीटर पर देखने के बाद तेजस्वी ट्रॉलरों के निशाने पर आ गए. किसी ने उन्हें चंदा बाबू के इंसाफ की दुहाई दी तो किसी ने पार्टी से गुंडों से एक का कम होना कहा. किसी ने कल हुए पत्रकार सरदाना की मौत पर ठहाका लगाने वालों को इनाम की पहली खेप कहकर संबोधित किया. ऐसे ही कई पोस्ट के जरिये तेजस्वी पूरे दिन ट्रॉलरों के निशाने पर रहे.
कोरोना काल मे मौत के बाद किसी के प्रति संवेदनहीनता का यह आलम है कि किसी की मदद करना तो दूर अब सिर्फ मौत के बाद कोसने और तंज कसने का सिलसिला चलने लगा है.
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