बाढ़ पीड़ितों सहित कई जगहों पर क्षुधा को तृप्त कर रहा है रोटी बैंक
आरा,23 सितम्बर. दुनिया में सभी काम मे व्यस्त है और यह काम होता है सिर्फ दो वक्त की रोटी के लिए. वह रोटी जो अपना ही नही बल्कि परिवार का भी पेट भरती है. आपको हमारी बातों पर हँसी आ रही होगी कि केवल पेट भरने के लिए थोड़े ही कमाया जाता है, बाकि भौतिक जरूरते भी पूरी होती हैं….खैर! नादान ही सही पर जो रोटी की कीमत तब पता चलता है जब आलीशान बंगले भी बाढ़ की गोद मे घिर जाता है..कीमत तब समझ में आता है जब आप उन सभी संसाधनों से दूर हो जाते हैं जिनको आपके पास स्थित पैसे का गर्व खरीद लेने का साहस रखता है. अब शायद इस भूख का एहसास आपको हो गया होगा. अगर ऐसे संकट में घिरे लोगों को आप सोने का अंगूठी और रोटी साथ देंगे तो उसके लिए रोटी उस सोने से भी कीमती होगा.
बाढ़ में ऐसे ही फंसे लोगों के लिए जब कोई रोटी लेकर उनके पास पहुंचता है तो वह किसी मसीहा से कम नही होता. ऐसे ही मसीहा की बात कर रहे हैं हम जो भोजपुर जिला में लगभग 1 साल से काम कर रहे हैं. न तो ये कहीं अपने कार्यो के लिए पब्लिसटी करते हैं और ना ही कोई तामझाम. बस रोटी को ले चल देते हैं हर उस शख्स की तलाश में जो भूखा होता है. भोजपुर के बाढ़ ग्रस्त इलाको में जब रोटी बैंक से जुड़े लोगों ने सुना तो बिना समय गँवाये चल दिये जरूरतमन्दो को भोजन देने.
तभी तो ये जिसने भी भोजन पाया सबने इन्हें देवदूत ही पाया. बाढ़ पीड़ितों के लिए ये वो मसीहा साबित हुए जो उनके भूख की पीड़ा को पढ़ उनकी क्षुधा को शांत करने आ गया. वैसे तो आमतौर पर सड़क किनारे,रेलवे प्लेटफॉर्म, बस स्टैंड जैसी जगहों पर असहाय और भूखे लोगों की भूख मिटाते हैं लेकिन बाढ़ में फंसे लोगों की खबर पाते ही इन्हें एक नया टार्गेट दिखा तो चल दिये बाढ़ की लहरों की परवाह किये बगैर परोपकार के माहाकार्य के लिए…..
आरा जैसे छोटे से शहर में भी भूखे ,गरीब, जरूरतमंदों को भोजन प्रबंध करवाने के लिए आरा रोटी बैंक काफी सक्रिय है. आरा रोटी बैंक के माध्यम से गरीब ,बेसहाय , लाचार लोगों की मदद की जाती है जो की पूरी तरह निस्वार्थ भाव से होती है. जो निस्वार्थ भाव से किसी की सेवा करता है उसके लिए तुलसीदास जी ने कहा है-‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई, पर पीड़ा सम नहीं अधभाई’, जिसका अर्थ है- दूसरों के भला करना सबसे महान धर्म है और दूसरों की दुख देना महा पाप है. अतः हमें हमेशा परोपकार करते रहना चाहिए, यही एक मनुष्य का परम कर्तव्य है.
आरा रोटी बैंक का ये कार्य किसी परोपकार से कम नहीं है. रविवार को जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा एवं डीटीओ माधव कुमार सिंह विशेष अनुरोध पर अन्नदान महादान मुहिम में सम्मिलित हुए. आरा रोटी बैंक की तरफ से बाढ़ पीड़ित गाँव मिल्की, लवकुषपुर,सिन्हा आदि में 350 खाने का पैकेट (पूरी सब्जी), 75 किलो चूड़ा, 20 किलो गुड़, 200पैकेट बिस्किट, 175 पैकेट ब्रेड,100 टॉर्च, 20 पैकेट मोमबत्ती, 20 पैकेट सलाई, पुराने कपड़े आदि वितरित किए गए. बाढ़ पीड़ितों को इस मुश्किल घड़ी में रोटी बैंक की तरफ से सहायता मिली. इस मुहीम में जिलाधिकारी रोशन कुशवाहा एवं माधव कुमार सिंह के साथ – साथ खुशबू स्पृहा , कमलेश तिवारी ,संतोष सिंह , मो.दानिश, राज सिन्हा ,रवि ,नविन और अन्य लोग मौजूद थे. रोटी बैंक के इस अनोखे काम को देख जिलाधिकारी भी मुरीद हो गये. उन्होंने पूरी टीम को मानवता का मसीहा कहा. वे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कहा कि हर किसी को मानवता के लिए ततपर रहना चाहिए. चलिये हम तो यही चाहेंगे कि सभी अच्छे कार्यो के लिए एक दूसरे के लिए हाथ बढ़ाये..
कैसे आती है रोटी?
रोटी बैंक से दिमाग मे यह बात आती है कि रोटी का कोई बड़ा खजाना होगा, लेकिन ऐसा नही है. दरअसल ये शुरुआत जरूर हुई थी रोटी को इक्कठा करने से. लेकिन इस पेचीदे तरीके को वर्तमान में उस रोटी की कीमत का या तो पैसा या फिर उतने लोगों का खाना ही चैरिटी के रूप में इक्कठा किया जाता है. जो जिसको आसान लगे वह दूर बैठे भी मदद कर देता है. रोटी बैंक से जुड़े हुए अधिकांशत: जैन स्कूल से पास आउट विद्यार्थियों का समूह है जो कई ग्रुप में बना है. वाट्सअप ग्रुप में हर रविवार को ग्रुप के सदस्य आपसी सहयोग से तय करते हैं कुछ तय लोगो का खाना और उसे पैक कर चल देते हैं उन्हें उसके मंजिल तक पहुंचाने. इस ग्रुप का संयोजन करते हैं चंदवा निवासी कमलेश तिवारी.
पटना नाउ के लिए ओ पी पांडेय के साथ सावन कुमार की रिपोर्ट