सावन महीने में करें मिनी काशी की यात्रा

मिनी काशी के नाम से जाना जाता है बक्सर
मिनी बाबाधाम के नाम से मशहूर है ब्रह्मपुर


महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि और मिनी काशी के नाम से प्रसिद्ध बक्सर जिला का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है. बक्सर में श्री रामेश्वरनाथ मंदिर भी धार्मिक धरोहरो में एक है. यहां रामेश्वर नाथ महादेव के दर्शन और पूजन के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त आते हैं. अति प्राचीनतम इस मंदिर की व्याख्या धार्मिक ग्रंथों में भी पढ़ने और सुनने को मिलती है. मान्यता है कि भगवान राम ने इस मंदिर की स्थापना अपने हाथों से की. वहीं मिनी बाबाधाम के नाम से मशहूर ब्रह्मपुर नगरी में विराजित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ महादेव की स्थापना सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने स्वयं के हाथों से की थी. ये दोनों मंदिर शिव के उपज्योतिर्लिंग में गिने जाते हैं.




13 लाख वर्ष पूर्व हुई शिवलिंग की स्थापना
कहा जाता है कि वनवास के दौरान राम ने भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिए रामेश्वरनाथ मन्दिर की स्थापना की. ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से पवित्र गंगा मे स्नान करने के बाद जो भक्त रामेश्वरनाथ यानि कि शंकर भगवान दर्शन करता है उस पर लगा ब्रह्म हत्या जैसा पाप भी मिट जाता है.

ऐसे हुआ रामरेखा घाट का नामकरण
जानकारों की मानें तो जब ऋषि महर्षियों की तपस्या में राक्षस विध्न डालने लगे. तब भगवान राम ने दानवों के गमन पर रोक लगाने के लिये एक रेखा खींची ताकि चारों दिशाओं सहित आकाश और पाताल के रास्ते भी यहां राक्षसों का प्रवेश नहीं हो सके. उसी रेखा के कारण इस जगह का नाम रामरेखा घाट पड़ा. रामेश्वरनाथ मंदिर भक्तों के लिये एक बड़ा आस्था का केन्द्र है.

सृष्टि के रचयिता ने बनवाया ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर
वहीं बक्सर से लगभग 40 किलोमीटर की दूर स्थित बाबा बरमेश्वर नाथ मंदिर अपनी भव्यता व प्राचीनता के लिए पूरे देश में विख्यात है. यहां स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना 14 वीं सदी में स्वयं ब्रह्मा जी ने अपने हाथों से किया था. किवंदतियों के आधार पर स्थानीय लोग कहते हैं कि एकबार मुस्लिम शासक नादिर शाह ने इस मंदिर को तोड़ने के लिए अपने पूरे फौज के साथ धावा बोला था. लेकिन मंदिर के पुजारियों के अनुनय-विनय के पश्चात नादिर शाह ने इस शर्त पर उनकी बात मानी थी कि, अगर तुम्हारे भगवान में सत्यता है तो उनसे कहो कि मंदिर का दरवाजा रात भर में पूरब से पश्चिम हो जाए. रातोंरात सच में ऐसा चमत्कार हो गया. अगली सुबह मंदिर का दरवाजा पूरब से पश्चिम की ओर हो गया.  मान्यता है कि विश्व में येे एकमात्र शिवमंदिर है जो पश्चिमाभिमुख है.

बक्सर से ऋतुराज

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