तीन दिनों में चालीस लाख की हुई बिक्री
बिहार सरस मेला में लोग ग्रामीण शिल्प ,संस्कृति एवं संवाद का लुत्फ़ उठाकर अपने पुराने दिनों की याद ताजा कररहे हैं . बिहार समेत 17 राज्यों से आई ग्रामीण महिला उधमियों द्वारा बनाये गए ग्रामीण शिल्प और उत्पाद को हर उम्र के लोग अपने जरुरत के हिसाब से खरीदारी कर रहे हैं . बिहार समेत 17 राज्यों की स्वयं सहायता समूह से जुडी ग्रामीण शिल्पियों के शिल्प 135 स्टॉल पर उपलब्ध है . साथ ही अन्य स्टॉल पर स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध है . कारपेट एरिया में कारपेट समेत घर के सजावट के हाथ से बुने हुए उत्पाद भी लोगों को पसंद आ रहे हैं . मेला में डिजिटल खरीददारी की भी सुविधा उपलब्ध है जिसके खरीददार ए.टी.एम् या आधार कार्ड से भी रुपये निकालकर खरीददारी कर सकते है .
ग्रामीणउद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में सरस मेला जीविका ( ग्रामीण विकास विभाग ) द्वारा आयोजित है . लोगों की मांग के अनुरूप प्रति वर्ष दो सरस मेला का आयोजन होना है . इसी के तहत सरस मेला का प्रथम संस्करण 2 से 11 सितंबर तक ज्ञान भवन, पटना में आयोजित है .
2 सितंबर से जारी सरस मेला में दो दिन में लगभग 22 लाख रूपये के उत्पादों और देशी खाद्य- व्यंजनों की खरीद-बिक्री हुई है . मेला के आयोजन के दुसरे दिन शनिवार से मेला के प्रति लोगों का क्रेज बढ़ने लगा है . बड़ी संख्या में लोग आये और खरीददारी की . शनिवार को लगभग 15 हजार लोग आये और लगभग 16.50 लाख रुपये की खरीद बिक्री हुई . खरीद-बिक्री का आंकड़ा मेला में आये ग्रामीण उधमियों से लिए गए बिक्री रिपोर्ट पर आधारित होती है. भागलपुर के कतरनी चावल और शेखपुरा की प्याज, लहसुन के पाउडर आगंतुको द्वारा बहुत पसंद किये जा रहे है.
पापड़, शुद्ध शहद, मिठाई , मुरब्बे, रोहतास की गुड़ की मिठाई , किसान चाची द्वारा निर्मित अचार, तेलंगाना के खादी के परिधान, अगरबत्ती, लाह की चूड़ियां, घर- बाहर के सजावट के सामान, खिलौने के अलावा मधुबनी पेंटिंग पर आधारित मनमोहक कलाकृतियाँ, कपड़े , कालीन,रनर, पावदान, आसाम और झारखण्ड से आई बांस से बनी कलाकृतियाँ, ड्राई फ्लावर गाँव की हुनर को प्रदर्शित करते हुए लोगों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं . इसके अलावा जीविका दीदियों द्वारा मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला, बचपन के खेल के यादगार खिलौने एवं कपड़ों समेत विभिन्न उत्पादों के निर्माण प्रक्रिया का जीवंत प्रदर्शन किया जा रहा है.
जीविका दीदियों द्वारा संचालित दीदी की रसोई स्टॉल पर लजीज पकवान के स्वाद का हर उम्र के लोग लुत्फ़ उठा रहे हैं. लकड़ी की काठी पर तस्वीरों के माध्यम से लोग अपना नाम भी लिखवा रहे हैं . स्वच्छता एवं बेहतर साज-सज्जा एवं बेहतर बिक्री को बढ़ावा देने के उदेश्य से जीविका द्वारा प्रतिदिन स्टॉल धारकों को सम्मानित भी किया जा रहा है. पहले दिन स्वच्छता के लिए मधु ग्राम, साज-सज्जा के लिए शिल्प ग्राम एवं सबसे ज्यादा उत्पादों की बिक्री के लिए विश्व ज्ञान ज्योति स्वयं सहायता समूह, छत्तीसगढ़ के स्टॉल तथा दुसरे दिन स्वच्छता के लिए सत्य लक्ष्मी जी के स्टॉल, तेलंगाना, साज-सज्जा के लिए लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह, दरभंगा, एवं सबसे ज्यादा उत्पादों की बिक्री के लिए शिल्पग्राम, बिहार के स्टॉल को रविवार को महुआ राय चौधरी, परियोजना समन्वयक, जीविका ने सम्मानित किया . सरस मेला को फोर नाइन मीडिया प्रा. लिमिटेड इवेंट कम्पनी, दिल्ली ने सजाया संवारा है. मेला प्रतिदिन सुबह दस बजे से शाम आठ बजे तक आयोजित है. प्रवेश निःशुल्क है.
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