नाट्य प्रस्तुति कल्पनाओं और वास्तविकता के मूल को ध्यान में किया गया जो एक बेहतरीन प्रस्तुति थी -संजय उपाध्याय
कलाकारों ने अपने संवाद सम्प्रेषण और निर्देशक की रचनाशीलता प्रस्तुति को जीवंत बनाती है – परवेज अख्तर
पटना: नाट्य संस्था वाइटल इन्वेंशन ऑफ सोशल हारमोनी विद आर्ट (विश्वा) ने जॉन मिलिंगटन सिन्ज लिखित एवं राजेश राजा निर्देशित नाटक “राइडर्स टू द सी” का मंचन कालिदास रंगालय गांधी मैदान पटना में हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन पटना की मेयर सीता साहू ,परवेज अख्तर,संजय उपाध्याय ,बिहार पुलिस मेंस एसो के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह और अन्य ने किया ।इस मौके पर संस्था की ओर से आगत अतिथियों को सम्मानित भी किया गया ।
नाटक की कहानी समंदर के सवार एक दुखांत कथा है। यह एक ऐसे परिवार की कहानी है जो एक समुद्री टापू पर रहता है, जिसमें एक माँ अपने दो बेटियों और एक बेटे के साथ रहती है। उस स्त्री ने अपने पति और अपने 4 बेटों को समंदर में खो दिया है घर में कमाने वाला सिर्फ एक ही बेटा बच्चा है और वो भी छोड़े बेचने टापू के पार जा रहा है समुद्री जीव से उस मां को ये डर है की रात होने तक उसका कोई भी पुत्र जीवित नही रहेगा इसलिये वो अपने बेटे को समंदर में नहीं जाने को कहती है पर वो अंतिम बेटा समुद्र में चला जाता है। अपने अकेले बचे बेटे के भी समंदर में जाने से मां विक्षिप्तता की स्थिति में भ्रम और सच्चाई के बीच संघर्ष करती है उसे अपने सारे खोए हुए बेटे नज़र आने लगते है अंत में उस मां का सामना सच से होता है जब उसका अंतिम बचा बेटा भी समंदर की उफान मारती लहरों में डूब जाता और उसकी लाश घर में आती है तब वो मां कहती है कि एक दिन सब चले ही जाते है बस हमें करना चाहिए और उम्मीद का दामन थाम कर जीवन को जीते रहना चाहिए। ये नाटक आज के कोरोना काल में समसामयिक से लगता है क्योंकि कोरोना में भी कई लोगों ने अपने पूरे परिवार को खो दिया है
राइडर्स टू द सी में मौत की त्रासदी को नाटककार ने क्लासिकल प्रतीकात्मकता और यथार्थवादी सम्वाद इस्तेमाल किया है जिस कारण ‘सिन्नज’ का ये नाटक सर्वश्रेष्ठ त्रासदी में शुमार किया जाता है।
इस नाटक को पटना रंगमच पर नवोदित अभिनेताओं के साथ काम करने के लिए राजेश राजा लोकप्रिय रहे हैं,उन्होंने ‘राइडर्स टू द सी’ में नए अभिनेताओं से काम लेने में कामयाब रहे।इस नाटक में नवोदित अभिनेता,अभिनेत्रियों के साथ बेहतरीन ब्लाकिंग करवाया और सभी पात्र से सराहनीय अभिनय भी कराने में कामयाब दिखे।मौया की केंद्रीय भूमिका में रेणु सिन्हा के लिए ये भूमिका बहुत महत्वपूर्ण था जिसका उन्होंने भरपूर फ़ायदा उठाया, और दर्शकों को अपने अभिनय और संवाद अदायगी से अंत तक बांधे रखा ।कैथ्लिन की भूमिका में अपर्णा ने भी अपने अभिनय से दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी । नोरा की भूमिका में रिया ने बेहतरीन सम्वाद अदायगी और अपने भाव भंगिमा से नाटक में जान डालने की पूरी कोशिश की। पुत्र बाटले की भूमिका में संदीप कुमार और मृत पुत्रों की भूमिका में प्रिंस राज,दीपक अंकु गौरव और अमरजीत कुमार ने भी अच्छा प्रयास किया।
रज़िया ज़हीर द्वारा हिंदी अनुवादित राइडर्स टू द सी नाटक में इस सच्चाई को स्वीकार कर परिस्थितियों से संघर्ष कर रहे हैं और जीवन जी रहे हैं। जो लोग समुद्र के किनारे रहते हैं वे जीवन यापन के लिए समुद्र पर निर्भर हैं, लेकिन उन्हें समुद्र से मृत्यु का भी खतरा है,समुद्र लोगों को आजीविका प्रदान करता है, वहीं लोगों की जान भी ले लेता है।
पूरे नाटक में सेट डिजाइन बेहतरीन बन पड़ा था सबसे ज़्यादा जिस विधा ने आकर्षित किया ।समुद्र, जीवन का स्रोत और साथ ही जीवन के संहारक को सीमित संसाधन में बेहद ख़ूबसूरती से संजोया रजनीश मानी ने।नाटक में प्रकाश का अपना ही महत्व था समुद्र के नीले जल ,नाव ,मौसम को रौशन कुमार ने बेहतरीन संयोजन करने की पुरजोर कोशिश की।कुछ हद तक वे सफल भी रहे। संगीत पक्ष पर अभी काम करने की आवश्यकता दिख रही थी।
–रवींद्र भारती