पटना।। बिहार राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है और इसे लागू करने का आदेश भी विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने जारी कर दिया है. विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने अपने आदेश में कहा है कि दाखिल-खारिज आवेदनों की समीक्षा के क्रम में यह ज्ञात हुआ है कि इन आवेदनों पर कर्मचारी द्वारा किसी भी प्रकार की आपत्ति लगाने पर, बिना आवेदक का पक्ष सुने अंचल अधिकारी/राजस्व अधिकारियों द्वारा दाखिल-खारिज अस्वीकृत कर दिया जाता है. अगर एक बार दाखिल-खारिज का आवेदन अस्वीकृत हो जाता है तो आवेदक को उसकी अपील में भूमि सुधार उपसमाहर्त्ता के न्यायालय में जाना पड़ता है जबकि कई बार कोई दस्तावेज अपठनीय रहने अथवा प्रासंगिक दस्तावेज छूट जाने के कारण भी आवेदन में आपत्तियाँ लगायी जा सकती हैं.
उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा है कि दाखिल-खारिज की संपूर्ण प्रक्रिया अधिनियम के तहत प्रावधानित है एवं इस अधिनियम में सुनवाई एवं साक्ष्य दोनों के प्रावधान दिये हुए हैं. दाखिल-खारिज अधिनियम-2011 के अध्याय-1 की धारा 5 (5) के तहत यह प्रावधानित है कि यदि अंचल अधिकारी, कर्मचारी एवं अंचल निरीक्षक की जाँच पड़ताल से संतुष्ट नहीं हो तो उस रीति से, जिसे वह उचित समझे, वह स्वयं जाँच कर सकेगा तथा अपना निष्कर्ष विहित रीति से अभीलिखित करेगा. इसी प्रकार से अध्याय की धारा-6 (2) के तहत आपत्ति की प्राप्ति. के उपरांत संबंधित पक्षों को सुनवाई एवं साक्ष्य का अवसर देने का प्रावधान किया गया है. इसी अध्याय की धारा-6 (5) के तहत यह प्रावधानित है कि दाखिल-खारिज याचिका को अस्वीकृत किये जाने की स्थिति में अंचलाधिकारी अपने आदेश फलक में उन आधारों को अभिलिखित करेगा जिनके आधार पर उसे अस्वीकृत किया गया हो तथा याचिकाकर्त्ता को उन आधारों का, जिनपर याचिका अस्वीकृत की गयी हो, संक्षिप्त विवरणी देते हुए विहित रीति से सूचित करेगा. उन्होंने कहा कि धारा-6 (5) के अनुपालन के लिए एवं प्राकृतिक न्याय की दृष्टिकोण से यह आवश्यक एवं न्यायोचित हैं कि किसी भी वाद को अस्वीकृत करने से पूर्व संबंधित याचिकाकर्त्ता को आपत्ति की सूचना देते हुए उन्हें अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया जाये. अतः अपने अधीनस्थ अंचलाधिकारी एवं राजस्व पदाधिकारियों को यह निदेशित करने की कृपा करें कि जिन भी दाखिल-खारिज आवेदनों में कर्मचारी द्वारा अथवा अन्य किसी माध्यम से प्राप्त आपत्ति के आधार पर अस्वीकृति की स्थिति बनती हो तो अस्वीकृत करने से पूर्व संबंधित याचिकाकर्ता को नोटिस देते हुए प्रासंगिक आपत्ति से अवगत कराया जाय एवं उन्हें अपना पक्ष एवं आवश्यक साक्ष्य देने का अवसर प्रदान करने तथा सुनवाई के उपरांत ही, यदि वैधानिक हो, तो अस्वीकृत करने की कार्रवाई की जाय अर्थात् किसी भी परिस्थिति में अस्वीकृति का आदेश बिना आवेदक को सूचित किये एवं उसकी सुनवाई किये बगैर नहीं की जाय। साथ ही आदेश में इस सुनवाई के दौरान आवेदक द्वारा प्रस्तुत किये गये कागजातों एवं साक्ष्यों को दर्ज किया जाय एवं तदोपरांत आत्मभारित आदेश के द्वारा ही यदि अस्वीकृत करना वैधानिक हो तो दाखिल-खारिज को अस्वीकृत किया जाय. इस निदेश की प्रति सभी अंचलाधिकारियों एवं राजस्व पदाधिकारियों को भी दी जा रही है। आपसे भी अनुरोध है कि अपने स्तर से भी इस आदेश को परिचारित कर इसका सम्यक अनुपालन सुनिश्चित करने की कृपा करें तथा अंचलों की समीक्षा में दाखिल-खारिज अभिलेखों की इस दृष्टिकोण से भी समीक्षा करें.
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