दर्शकों की कमी खली रीजनल फिल्म फेस्टिवल में
रीजनल फिल्म फेस्टिवल 2016 काफी सफल रहा- गंगा कुमार
बिहार फिल्म पॉलिसी के लिए 10 साल की अवधि निर्धारित
पॉलिसी ड्राफटिंग में अंतिम दौर में है, जो जल्द ही लागू होगी
बंगला फिल्मों के प्रदर्शन के साथ ही बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड द्वारा आयोजित रीजनल फिल्म फेस्टिवल 2016 का समापन हो गया. इस दौरान बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड के एमडी गंगा कुमार ने दूसरे राज्यों से आए कलाकार, अतिथि, तमाम फिल्म प्रेमी और आयोजन में भागदार लोगों का आभार प्रकट किया. गंगा कुमार ने समापन समारोह संबोधित करते हुए कहा कि एक विशेष प्रकार की थीम पर आयोजित रीजनल फिल्म फेस्टिवल 2016 काफी सफल रहा. बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड के द्वारा किए गए इस प्रयास और नई शुरूआत से बिहार में फिल्मों के विकास को एक नई दिशा मिलेगी. उन्होंने राज्य के फिल्म प्रेमियों से विभिन्न भाषाओं और अलग – अलग तरीके फिल्में देखने की उम्मीद जताई. उन्होंने कहा कि इस आयोजन से हमारा ये प्रयास है कि लोग अन्य भाषाओं और राज्यों की फिल्में देखने की आदत डाल लें. एमडी ने बिहार की बन रही फिल्म पॉलिसी को अन्य राज्यों की फिल्म पॉलिसी से अलग बताया. उन्होंने कहा कि अमूमन दूसरे राज्यों में फिल्म पॉलिसी पांच साल के लिए होती है. मगर हमने सभी राज्यों की फिल्म पॉलिसी का अध्ययन करने के बाद इसे और बेहतर बनाने के लिए 10 साल की अवधि निर्धारित की है . पॉलिसी ड्राफटिंग में अंतिम दौर में है, जो जल्द ही लागू होगी.
इससे पहले दिन की शुरूआत अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, राहुल बोस और समीरा रेड़डी स्टारर फिल्म कालपुरूष का प्रदर्शन हुआ, जिसके निर्देशक प्रसिद्ध निर्देशक बुद्धदेव दास गुप्ता हैं. इसके बाद निर्देशक कौशिक गांगुली की फिल्म शब्दो दिखाई गई और छह दिन से चल रहे रीजनल फिल्म फेस्टिवल 2016 की अंतिम दिखाई जाने वाली फिल्म निर्देशक गौतम घोष की फिल्म शोखाचिल रही. फिल्म के बाद ओपेन हाउस डिस्कशन में चर्चा के दौरान फिल्म एडिटर दीपांकर सरकार ने दर्शकों के बीच संवाद किया. इस दौरान उन्होंने निर्देशक बुद्धदेव दास गुप्ता के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि बुद्धदेव दास गुप्ता की फिल्में भारत से ज्यादा विदेशों में अवार्ड जीते.वे देश के एकमात्र फिल्म मेकर हैं, जिनकी पांच् – छह फिल्में टोरंटों फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई. उन्होंने पहले सामाजिक विषयों पर फिल्में बनाई. फिर फिल्मों को सामाजिकता के स्तर से मानसिकता के स्तर तक पहुंचाया.
दीपांकर सरकार ने सिनेमा में तकनीक खास कर फिल्मों की एडिंटिंग पर दर्शकों के सवाल का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अच्छेे एडिटिंग से फिल्म पर प्रभाव पड़ता है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक निर्देशक एडिटर भी हो सकता है. सिनेमा में ऋषिकेश मुखर्जी ने एडीटर से डायरेक्शन का परिचय कराया. उसके बाद आज डेविड धवन, संजय लीलाा भंसाली, राजकुमार हिरानी जैसे लोगों ने भी एडिटिंग से डायरेक्शन की ओर रूख किया. उन्होंने निर्देशक एम एस शिंदे की बात करते हुए कहा कि जो रूतबा एम एस शिंदे को भारतीय सिनेमा में मिलना चाहिए था वो नहीं मिला. उन्होंने इमोशन और एक्शन के बीच शाॅट का लगाने की एक अलग तकनीक पेश की.
वहीं, रीजनल फिल्म फेस्टिवल 2016 का समापन के दौरान बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड के एमडी गंगा कुमार, दीपांकर सरकार (एडिटर), संदीप राय, रविराज पटेल, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम,, मीडिया प्रभारी रंजन सिन्हा, सर्वेश कश्यप आदि लोग मौजूद रहे है. समारोह के दौरान पूर्व आईपीएस आर एन दास ने दीपांकर सरकार बुके, शॉल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया. इसके लिए बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड के एमडी गंगा कुमार ने मीडियाकर्मियों को महोत्सव के कवरेज के लिए शॉल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया और उनका आभार जताया.