रीजनल फिल्म फेस्टिवल 2016 का भव्य शुभारंभ
मलयाली फिल्मों के नाम रहा पहल सत्र
बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड द्वारा आयोजित क्षेत्रीय फिल्म फेस्टिवल 2016 की भव्य शुभारंभ आज पटना के रविंद्र भवन में हुआ. 15 नवंबर 2016 से 20 नंवबर 2016 तक चलने वाले इस फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन राज्य के कला संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद ने दी प्रज्जवलित कर किया. इसके बाद प्रसिद्ध लोकगायिका रेखा झा ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी. इस दौरान बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड के एमडी गंगा प्रसाद, पूर्व आईएएस आर एन दास, फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम, प्रवीण कुमार मलयालम अभिनेत्री उथारा उन्नी, डायरेक्टर लेलिन राजेंद्रन भी उपस्थित रहे. इस दौरान चैतन्य प्रसाद ने इस आयोजन के सफल होने की कामना की.
चैतन्य प्रसाद ने कहा कि ऐसे आयोजनों से भारत की विविधतापूर्ण सभ्यता और संस्कृति का आदान प्रदान होता है, जिससे हमें अपने देश के बारे में जानने का मौका मिलता है. वहीं, अपने स्वागत भाषण में बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड के एमडी गंगा कुमार ने देश भर में इस तर्ज पर होने वाला पहला आयोजन बताया. उन्होंने कहा कि रीजनल फिल्म फेस्टिवल 2016 का थीम राज्य में विभिन्न संस्कृति के रहने वाले लोगों को ध्यान में रखकर किया गया. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय फिल्म फेस्टिवल 2016 में हर रोज एक भाषा की फिल्म दिखाई जाएगी. बिहार विविध संस्कृतियों एवं भाषाओँ का प्रदेश है. यहां न केवल भोजपुरी, मैथली, मगही, बज्जिका, अंगिका, सुरजापूरी बोली या भाषा बोली जाती है, बल्कि भारत के विभिन्न प्रादेशिक भाषाई लोग भी बिहार में बड़े ही सम्मान के साथ रहते आये हैं. यह महोत्सव उन्हीं को समर्पित हैं.
फिल्म फेस्टिवल के पहला दिन मलयाली कल्चर और भाषा पर आधारित रहा. इस दौरान निर्देशक शाजी एन. करूण की फिल्म वानप्रस्थम (1999), निर्देशक लेलिन राजेंद्रन व उथरा उन्नी अभिनीत फिल्म एडावापंथी (2016) और निर्देशक अदूर गोपाल कृष्णन की फिल्म (2003) प्रदर्शित की गई.
भावनाओं का नहीं होता विभाजन : लेलिन राजेंद्रन
तर्क संगत समाज करती है एक – दूसरे के बातें : प्रवीण कुमार
बिहार राज्य फिल्म डेवलपमेंट वित्त निगम लिमिटेड द्वारा आयोजित क्षेत्रीय फिल्म फेस्टिवल 2016 के पहले दिन ओपेन हाउस डिस्कशन में मलयालम फिल्म के निर्देशक लेलिन राजेंद्रन व अभिनेत्री उथरा उन्नी ने फिल्म और इस महोत्सव के बारे में लोगों से बात की और उनके सवालों का जवाब दिया. फिल्म के बारे में चर्चा करते हुए लेलिन राजेंद्रन ने कहा कि कहीं भी भावनाओं का विभाजन नहीं होता है. उन्होंने अपनी फिल्म एडावापंथी की चर्चा करते हुए कहा कि कहानी भावनाओं के आधार पर बनी है. भावनात्क कला से भाषाई बाधा भी दूर हो जाती है.
उन्होंने कहा तिब्बती रिफ्यूजी पर आधारित कहानी में भावनाओं को प्रदर्शित किया गया है, क्योंकि सभी जगह के रिफयूजी की भी भावनाएं होती हैं. कहानी किसी राजनीतिक कारणोंं से नहीं, बल्कि फिल्म की डिमांड के आधारित है. वहीं, उथारा उन्नी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस फिल्म में काम करना उनके लिए ड्रीम कम ट्रू जैसा है. वो अभिनेत्री के अलावा डांसर भी हैं, लेकिन इस फिल्म में अभिनय के मौका मिला. यह अनुभव काफी सुकून दायक रहा है. ओपेन हाउस डिस्कशन सत्र केे अंत में प्रवीण कुमार ने कहा कि तर्क संगत समाज ही एक दूसरे के कल्चर, रहन सहन और संस्कृति के बारे में बात करती है. उन्होंने डिस्क्शन सत्र के दौरान सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि फिल्म डायरेक्टरों की उम्र जैसे – जैसे बढ़ती है, वो वैसे ही जवां होते जाते हैं.
16 नवंबर 2016 का कार्यक्रम (पंजाबी थीम)
नानक नाम जहाज है (1969) : 10:30 AM
पंजाब (1984) : 12:50 PM
अन्हे घोड़े दा दान : 05:10 PM
मुख्य अतिथि
अनुराग सिंह और पवन मल्होत्रा