3 साल से फरार रेप के आरोपी बाहुबली विधायक का कोर्ट में आत्म समर्पण !
आरा,16 जुलाई. रेप केस के आरोप में तीन साल से फरार चल रहे संदेश के पूर्व विधायक अरुण यादव ने आज बड़े ही गोपनीय तरीके से आरा के सिविल कोर्ट में आत्मसमर्पण किया. कोर्ट में समर्पण के बाद पॉस्को कोर्ट ने पूर्व विधायक को 14 दिन के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. पूर्व विधायक के समर्पण की किसी को भनक तक नही लगी. कोर्ट में पहुँचे पूर्व विधायक अरुण यादव से जब मीडियाकर्मियों ने उनके कोर्ट में इस तरह सरेंडर करने का कारण पूछा तो उन्होने बताया कि उन्हें नाबालिग के रेप केस में फंसाया गया है. कोर्ट पर उनको पूरा भरोसा है. किडनी के मरीज होने के कारण वह ज्यादा बात भी नहीं कर सकते.
बताते चलें कि अरुण यादव के खिलाफ 18 जुलाई 2019 को नाबालिग से रेप के मामले में FIR दर्ज हुई थी. डर का आलम यह था कि पीड़ित बच्ची 18 जुलाई 2019 को राजधानी पटना से भागकर आरा आयी थी और नगर थाने में आवेदन दिया था. बच्ची के आवेदन को आधार मानकर भोजपुर की पुलिस ने अनीता देवी और संजीत कुमार उर्फ छोटू के विरुद्ध मामला दर्ज किया था. इनके खिलाफ नगर थाना में कांड संख्या 340/19 और पॉस्को में कांड संख्या 47/19 दर्ज हुआ था. पीड़िता का 164 के पहले बयान में मनरेगा के इंजिनियर अमरेश कुमार और संजय कुमार उर्फ जीजा को आरोपित किया गया था. 164 के दूसरे बयान में आरजेडी के पूर्व विधायक अरुण यादव को आरोपित किया गया था. पुलिस ने इस मामले में 161 का बयान भी दर्ज किया था. त्वरित कार्रवाई करते हुए चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने चार आरोपितों को पहले ही बरी कर दिया है. रेप कांड में पीड़िता के भाई, बहन और परिजन सहित सभी गवाह अपने बयान से मुकर गए थे.
अरुण यादव अपने क्षेत्र के बाहुबली माने जाते हैं पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक पूर्व विधायक के विरुद्ध रंगदारी, हत्या और आर्म्स एक्ट समेत 13 गंभीर केस दर्ज हैं. तीन साल पूर्व उक्त केस के सिलसिले में पूर्व विधायक को पकड़ने के लिए भोजपुर की पुलिस ने एड़ी चोटी का दम लगा दिया था. उस समय के तत्कालीन SP सुशील कुमार के दिशा निर्देश में विधायक के घर की कुर्की तक हुई थी, बावजूद उसके विधायक पुलिस की हाथों नही लगे थे. आलम ये हुआ कि विधायक अरुण यादव के लगातार फरार रहने के कारण वे पिछली विधानसभा का चुनाव तक नही लड़ सके. अरुण यादव राजद के बाहुबली नेता हैं और लालू यादव के बहुत करीबी माने जाते हैं. उनका अपने क्षेत्र में बड़ा ही दबदबा माना जाता है. इसका प्रमाण फरार रहने के बाद भी अपनी पत्नी किरण देवी को चुनावी मैदान में खड़ा कर उन्हें जीत में बदल देने से समझा जा सकता है.
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