रंगनगरी आरा हुआ रंगमय, कलाकारों से पटा शहर

By om prakash pandey Mar 5, 2020


17 राज्यों के कलाकारों ने निकाला रँगजुलूस, रंग बिरंगी वेशभूषा और कलाओं ने सबको मोहा

आरा, 5 मार्च. जैन स्कूल शताब्दी समारोह सह भोजपुर नाट्य महोत्सव 2020 चौथे दिन शहर में भारत के 17 राज्यों से आयी नाट्य दलों ने रंगयात्रा निकाला जो जैन स्कूल से होते हुए गोपाली चौक, जेल रोड, शिवगंज, बस पड़ाव भिखारी ठाकुर नुक्कड़ स्थल के पास पहुँचा. जहाँ देश के कोने कोने से आये कलाकारों ने भिखारी ठाकुर के के मूर्ति पर माल्यार्पण किया और वहाँ से पुनः शिवगंज आते हुए मठिया, महावीर टोला, शहीद भवन और V-मार्ट होते हुए जैन स्कूल आकर समाप्त हुआ. रँगजुलूस का नेतृत्व आरा रंगमंच के कलाकरों के साथ जैन स्कूल कमिटी और श्री आदिनाथ ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने भी किया. इस रँगजुलूस मे मुंबई से आई भोजपुरी अभिनेत्री व टेली कलाकार श्यामली श्रीवास्तव ने जब आगन्तुक कलाकारों के साथ पैदल मार्च कर उनके कदम से कदम मिलाया तो देखने वाले हैरान हो गए. बता दें श्यामली आरा की ही बेटी है और आरा के रंगमंच पर उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत की थी.




जैन स्कूल शताब्दी समारोह सह भोजपुर नाट्य महोत्सव 2020 के चौथे दिन के कार्यक्रम का उद्घाटन रितेश कुमार सिंह प्रदेश सचिव युवा जदयू, मुख्य अतिथि अमित केसरी समाजसेवी, विशिष्ट अतिथि डॉ पी सिंह सर्जन, बचपन प्ले स्कूल डायरेक्टर अभिमन्यु सिंह, विशिष्ट अतिथि मनोज सिंह ( एन आर आई समाजसेवी भारतीय संघ दुबई के उपाध्यक्ष) व उदय सिंह (गन्ना आयुक्त बिहार) ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.

अपने सम्बोधन में उद्घाटनकर्ता रितेश कुमार सिंह ने कहा कि ऐसे आयोजन की निरंतरता शहर में बनी रहे इसके लिए मैं हर प्रकार का सहयोग करने के लिए तैयार हूं. मुख्य अतिथि अमित केसरी ने इस आयोजन के लिए आरा रंगमंच को धन्यवाद दिया. डॉ पी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आरा जैसे छोटे से शहर में आज पुरी भारतीय संस्कृति उतर आई है. मैं लगातार समाचारों में देखते आ रहा हूं. देश की सुप्रसिद्ध नाट्य दलों ने चर्चित नाटकों व देश के विभिन्न राज्यों के लोकनृत्य की प्रस्तुति कर रहे हैं. यह सौभाग्य की बात है कि भोजपुर नाट्य महोत्सव के साथ-साथ जैन स्कूल का शताब्दी समारोह व श्री आदिनाथ ट्रस्ट का भी शताब्दी समारोह मनाया जा रहा है.उन्होंने कहा कि मैं रंगमंच को यह विश्वास दिलाता हूं कि आप ऐसे आयोजन निरंतर करते रहे मैं आपके साथ तन-मन और धन के साथ हूं.

आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति हुनर आजमगढ़ की शिव तांडव रही. दूसरी प्रस्तुति मलेम मणिपुर की मणिपुरी लोक नृत्य रही. साथ ही आरा रंगमंच के कलाकारों में खुश्बू स्पृहा ने क्लासिकल
हर्षिता विक्रम व अदिति ने भोजपुर की लोकनृत्य जट- जटिन तो हंसिका कश्यप ने एकल नृत्य होलिया में उड़े रे गुलाल के जरिये लोगों की तालियाँ बटोरी
जैन स्कूल व जैन स्कूल के कलाकारों ने समूह नृत्य- बोलो हर हर और टन टन घंटी बजी के साथ स्किट NCC का शानदार प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में यू पी कल्पना पांडेय भोजपुरी अभिनेत्री श्यामली श्रीवास्तव एवं गुड़िया शाह को आरा रंगमंच ने सम्मानित किया.

सांस्कृतिक कार्यक्रमो के बाद कुल छह नाटकों का मंचन हुआ जिसमें भोपाल की अविराम नाट्य दल द्वारा सम्बोधन, आर्टिस्ट असोसिएशन कुल्टी बंगाल द्वारा सलाऊद्दीन ताज लिखित कब्रिस्तान की ओपनिग,
मासूम आर्ट डाल्टेनगंज द्वारा ‘आप कौन चीज के डायरेक्टर हैं जी?’ इसो नाटक सीखो कोलकाता द्वारा तपन दास द्वारा निर्देशित नाटक ‘एक मैदान के लिए’,
चन्दन बरुआ निर्देशित NCR आसाम की ‘अग्निघाट’
और कला संगम गिरिडीह द्वारा सर्वेश्वर दयाल सक्सेना लिखित व सतीश कुंदन निर्देशित ‘हवालात’ की प्रस्तुति हुई.

सारे नाटको के पात्रों साथ पार्श्व रूप से जुड़े लोगों ने अपनी कला का जौहर आरा वासियों को दिखा अपने कला के जादू में फांस लिया. दर्शक के लिए यह सोचना मुश्किल हो गया कि बेहतरीन कौन? लेकिन इन सबके बीच कब्रिस्तान की ओपनिंग और शैकट चटोपाध्याय द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक ‘आप कौन चीज के डायरेक्टर हैं जी’ मौजूदा हालातों पर करारा व्यंग्य था.

कब्रिस्तान की ओपनिंग जहाँ वर्तमान राजनीति के लिए जातिगत खुशामद और उसके लिए आपस मे लोगों के बीच वैमनस्य उत्पन्न कर अपनी राजनीति सेकने वालों की सच्चाई थी तो ‘आप कौन चीज के…’ नाटक बेतुको बातों पर बौखलाई जनता के आवाज पर प्रहार.

एक महाभारत के सीन को प्रदर्शित करने वाला डायरेक्टर अपने एक्टरों के डिमांड और फरमाईस से इतना परेशान है कि उसके पात्र महाभारत की कहानी ही बदल देते हैं. इस बात पर भीड़ गुस्साकर नाटक के डायरेक्टर को भला बुरा कहती है, यहां तक कि उसे एक पब्लिक तो भीड़ से जुता चला बैठता है.

इस बात के बाद निर्देशक पब्लिक के गुस्से को देख उनसे कहता है कि काश यह गुस्सा देश बंटने से पहले होता, निर्भया की घटना से पहले होता, पुलवामा से पहले होता तो आज कैंडिल ले जाने की जरूरत नही पड़ती.

यह नाटक आधुनिक युग का जनजागरण कहा जाय तो अतिश्योक्ति नही होगी. नाटक के खत्म होने के बाद दर्शकों ने इस प्रस्तुति के लिए स्टैंडिंग ओवीएशन दी.

नाटक को देखने के लिए सुबह 4 बझे तक नाट्य प्रेमी बैठे रहे.

कत्थक बना आकर्षण


बनारस से आए संदीप मौर्य ने जब कथक की प्रस्तुति देखने वाले उनकी भाव भंगिमा के कायल हो गए संदीप की अदाएं कत्थक की बारीकियों को पेश कर रही थी घुंघरू की खनक पैरों के थाप की आवाज के साथ आँखों चंचलता और होठों की मुस्कुराहट कई भावों के दर्शा रहे थे. सन्दीप 6 साल से ही नृत्य कर रहे हैं और आज इसी से इनकी पहचान है. छोटी उम्र से ही किसी नृत्य को देखने के बाद उसे तुरंत कॉपी करने की हुनर ने सन्दीप के टैलेंट को परिवार वालों को तो दिखा दिया लेकिन सन्दीप के पापा जो एक अगरबत्ती के व्यवसायी थे उन्हें यह पसन्द नही था. लेकिन सन्दीप को डांस के अलावा कुछ न तो भाता था और न ही दिमाग को कुछ और समझ ही आता था. धीरे-धीरे बच्चे के हुनर पुरस्कारों के बढ़ते प्रभाव से और प्रभावी हुआ और सन्दीप के डांस सीखने की ख्वाइश पूरी हुई.

उन्होंने कत्थक की तालीम ली और फिर तो रम गए. उन्होंने अपनी माँ को विश्वास दिलाया कि कला ही उनके जीने का माध्यम होगा और यही जीविका. आज BHU में कत्थक के 4th ईयर के स्टूडेंट हैं और कई लोगों को ट्रेनिग भी. सन्दीप ने चौथे दिन अपने हुनर का जलवा बिखेर रंग नगरी आरा में अपनी धाक बनाई. अपने इस धाक के बाद वे आरा के चहेते बन गए हैं और आरावासियो से मिल वे बेहद भावुक हैं कत्थक की नाजुकता की तरह.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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