शाहजहाँपुर रंग महोत्सव के दूसरे दिन 6 नाटकों का हुआ मंचन

शाहजहाँपुर रंग महोत्सव के दूसरे दिन 6 नाटकों का हुआ मंचन
शहीदों को समर्पित होता है यह रंग महोत्सव
19दिसम्बर को होता है समापन, क्योंकि इसी दिन सूली पर लटकाए गए थे भारत के वीर सपूत




UP के शाहजहाँपुर में आयोजित चतुर्थ शाहजहाँपुर रंग महोत्सव 2017 में देश भर से कलाकारों का दल इक्क्ठा हुआ है. एक से एक धुरन्धर टीम और उसके साथ आये मजे हुए कलाकार कई नामी नाटकों के प्रदर्शन कर इस रंग-उत्सव को एक ऊंचा आयाम दे रहे हैं. दिन में 11 बजे प्रातः से शाम 4 बजे तक लोकनृत्यों और अन्य नृत्यों के प्रतिभागियों की प्रस्तुति हुई.

16 दिसम्बर से प्रारम्भ हुए इस महोत्सव के दूसरे दिन 6 नाटकों का मंचन हुआ. जिसमें ड्रामा तर्जी दिल्ली की संस्था ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘सदगति’ का मंचन सुनील चौहान के निर्देशक में किया. वही के पी सी दिल्ली, ने निर्देशक फैजान खान के निर्देशन में ‘बंदर’ का मंचन किया. दिल्ली के ही एक अन्य संस्था ब्लैक पर्ल आर्ट ने “मेरा वजूद” नाटक की प्रस्तुति की. वही लेखक प्रताप सहगल और संदीप शर्मा के निर्देशन में सहारनपुर की अभिनय-मित्र ने “लव यू जिंदगी” नाटक का मंचन किया.

 

कोलकाता की ओईक्य नाट्य संस्था ने बंग्ला नाटक ,’असुर का अधिकार’ और ‘सहारनपुर आर्ट न कल्चर’ ने योगेश पवार द्वारा निर्देशित कोर्ट मार्शल का मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. वैसे तो सभी नाटक एक से बढ़कर एक थे लेकिन मेरा वजूद, कोर्ट मार्शल और लव यू जिंदगी ने अपनी विशेष छाप दर्शकों पर छोड़ी, जिसकी चर्चा दर्शकों में काफी देखी गयी.

अभिव्यक्ति नाट्य मंच द्वारा आयोजित यह रंग-महोत्सव पिछले 4 सालों से लगातार हो रहा है. अभिव्यक्ति नाट्य की स्थापना 1996 में 15 अगस्त को हुई थी जिसे शम्मीम आजाद,कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, आलोक सक्सेना आजम खां ने सयुंक्त रुप से किया था. शाहजहाँपुर की धरती कला की उर्वरता से परिपूर्ण है तभी तो यहां से राजपाल यादव जैसे कई लोग नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से निकले और आज कला की मशाल से इसे रौशन कर रहे हैं. कलाकारों को नाटकों की प्रस्तुति के लिए मंचन के साथ-साथ रहने और खाने की भी उम्दा व्यवस्था से एक बेहतर विकल्प के लिए यहाँ के आयोजनकर्ता की देशभर में चर्चा है. अच्छे आयोजन और सत्कार के लिए आरा, भोजपुर की भी पूरे देश मे चर्चा होती है लेकिन वहाँ आयोजन हर साल नही होता है जबकि शाहजहाँपुर इस मामले में आरा से एक कदम आगे हो गया है. इस आयोजन की बागडोर अध्यक्ष- कृष्ण कुमार श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष- अरविंद चोला, कोषाध्यक्ष-संजय राठौर, महासचिव शम्मीम आजाद, संयुक्त सचिव- विनीत सिंह पर है. पटना नाउ से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि तीसरे दिन आठ नाटकों का मंचन होगा जबकि दिन में कई लोकनृत्यों का मंचन विभिन्न जगहों से आयी टीम करेगी. तीसरे दिन प्रस्तुत होने वाले नाटक अंधा युग और आरा की रश्मि-रथी लोगों के लिए लोग बेसब्री से प्रतीक्षारत हैं. संस्था के मीडिया प्रभारी ने बताया कि यह आयोजन 16-19 दिसम्बर तक प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है जो देश के लिए शाहिद हुए पंडित राम प्रसाद विस्मिल, असफाक उल्ला खान और ठाकुर राम प्रसाद को एक सम्मान है. स्वन्त्रता आंदोलन के समय इन वीर सपूतों को 19 दिसम्बर को फाँसी पर अंग्रेजो ने लटका दिया था. इसलिए संस्था 19 दिसम्बर के दिन शहर में कलाकारों द्वारा एक रंग जुलूस और शाम में रंगारंग प्रस्तुति के साथ इस आयोजन का समापन कर शहीदों को सांस्कृतिक सम्मान देती है.

शाहजहाँपुर से ओ पी पांडेय की स्पेशल रिपोर्ट

Related Post