कलाकुंज नाट्य महोत्सव में मंचित हुआ नाटक
कालिदास रंगालय में आयोजित हुआ कार्यक्रम
सुरेंद्र वर्मा लिखित और रंग गुरुकुल की प्रस्तुति
सुरेन्द्र वर्मा के लिखे मरणोपरांत नाटक में कुछ ऐसी बातों का एहसास कराया जो हम जीवन में बोल नहीं पाते और ना कर पाते हैं. यह नाटक शुरू होता है दुर्घटना में एक महिला की आकस्मिक मौत से. शुरू में ये नाटक दो ऐसे व्यक्तियों के इर्द-गिर्द घूमता है जो एक युवती के मरने के बाद पहली बार मिल रहे हैं.
एक व्यक्ति, मृतक युवती का पति है तो दूसरा प्रेमी। पति को युवती मौत के बाद उसके पर्स में मिली एक निशानी से प्रेमी के बारे में पता चलता है वह उसे फोन करके मिलने के लिए बुलाता है. एक पति और एक प्रेमी के द्वंद्व को संवादों के माध्यम से दर्शाया है.पूरे नाटक में स्थितियों-परिस्थितियों का तालमेल ऐसा बन पड़ता है कि दोनों पुरूषों के मन में उस युवती की याद से जुड़े हर रंग ताजा हो जाते हैं. पति को स्वीकार करना पड़ता है कि उसकी पत्नी उससे खुश नहीं थी जिसका एहसास वो पहले भी कर चुका है लेकिन उसके प्रेमी से मिलने के बाद यह बात पुख्ता हो जाती है. अंत में दोनों का अंतरद्वंद्व उन्हें झकझोरता है.
मंच पर
पहला व्यक्ति :- राजवीर गुंजन कुमार
दूसरा व्यक्ति :-विष्णु देव कुमार
प्रेमिका :- सोनम
प्रेमिका वॉइस ओवर :- अमरीन
होटल का मालिक :- सौरभ सिंह
होटल मैनेजर :- अविराज कपूर
वेटर :- विक्की दांगी
सेक्सोफ़ोन प्लेयर :- आशीष दीक्षित
होटल में कस्टमर :- मुस्कान, अनामिका, सुप्रीया, मुकेश और मणिकांत
बैक स्टेज
लेखक :- सुरेंद्र वर्मा
म्यूजिक :- रवि कुमार
प्रोडक्शन हेड :- सुप्रीया लक्ष्मी
प्रोडक्शन असिस्टेंट :- अनामिका
मेकअप :- मनोज मयंक एंड अंजू सिंह
लाइट :- राजीव रॉय
सेट डिज़ाइन :- आदर्श वैभव और विनय
मीडिया :- अनामिका
फोटोग्राफी :- राज नीरज राज
असिस्टेंट डायरेक्ट :- अविराज कपूर
डिज़ाइन एंड डायरेक्शन :- राजवीर गुंजन
प्रस्तुति :- रंग गुरुकुल