कैसे हुई रक्षाबंधन की शुरुआत और क्या है राखी का उपयुक्त समय!

ज्योतिष की नजर में राखी

भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक बन चुका रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है. रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को और गहरा करने वाला पर्व है. एक ओर जहां भाई अपनी बहन के प्रति अपने दायित्व निभाने का वचन देता है, तो दूसरी ओर बहन भी भाई के सुख और समृद्धि के साथ-साथ लंबी उम्र की कामना करती है. इस दिन भाई की कलाई पर जो राखी बहन बांधती है वह सिर्फ रेशम की डोर या धागा मात्र नहीं होती बल्कि वह बहन-भाई के अटूट और पवित्र प्रेम का बंधन होता है.
ज्योतिषशास्त्रियों के अनुसार सोमवार को रक्षाबंधन का संयोग अत्यंत ही शुभ माना गया है. इस बार रक्षाबंधन के दिन 8 बजकर 29 मिनट तक भद्रा है. इसलिए 8 बजकर 29 मिनट के बाद दिन भर रक्षाबंधन के लिए शुभ मुहूर्त्त है.
इसमें भी विशेष रूप से




सुबह 9 से 10.30 बजे तक शुभ
दोपहर 1.30 से 3 बजे तक चर
दोपहर 3 से 4.30 बजे तक लाभ
शाम 4.30 से 6 बजे तक अमृत
और शाम 6 से 7.30 बजे तक चर का चौघड़िया रहेगा.
इस दिन जहां बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर उनके सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना करती हैं, वहीं पुरोहित तथा आचार्य भी सुबह-सुबह यजमानों के घर पहुँचकर उन्हें राखी बाँधते हैं और बदले में धन, वस्त्र और भोजन आदि प्राप्त करते हैं. यह पर्व भारतीय समाज में इतनी व्यापकता और गहराई से समाया हुआ है कि इसका सामाजिक महत्त्व तो है ही, धर्म, पुराण, इतिहास, साहित्य और भी इससे अछूते नहीं हैं.

और इस वीडियो में देखिए क्यों मनाते हैं राखी और आखिर कैसे हुई इस महान पर्व की शुरुआत.

PNCB

By dnv md

Related Post