सात समंदर पार के गिरमिटिया के दर्द की आवाज़ है ‘बटोहिया’

By om prakash pandey Aug 16, 2020

भोजपुरी का राष्ट्रगीत

आरा. प्रवासी गिरमिटियों का दर्द पुराना है। इस दर्द को दहियावां, सारण के बाबु रघुबीर नारायण ने 1911 में शब्द दिया था। डॉं. राजेन्द्र प्रसाद जी के आग्रह उन्होंने एक गीत रचा ‘सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा’। इस गीत ने भोजपुरिया मानस को इस कदर छुआ कि आज इसे भोजपुरी ही नहीं पूरे पूर्वी भारत का राष्ट्र गान तक कहा जाता है। और इस गीत को महात्मा गाँधी ने इतना पसंद किया कि उन्होंने इस गीत को ‘वंदे मातरम’ की श्रेणी में रखा था, और उनके हर कार्यक्रम में इस गीत को बजाया जाता था। इस गीत से प्रेरणा पाकर कई युवक आज़ादी की लड़ाई में कूद गए थे।




भोजपुरी पाठ्यक्रम में शामिल रहा है ‘बटोहिया’

आजादी के बाद इस गीत को स्कूलों में गाया जाता रहा तथा बिहार के स्कूल के सिलेबस में भी शामिल था। बाद में पटना विश्वविद्यालय के हिंदी सिलेबस में भी इस गीत को जगह दी गयी। लेकिन, बिहार के स्कूली पाठ्यक्रम के साथ साथ इसे पटना विश्विविद्यालय से भी हटा दिया गया। हालांकि, यह अब भी वीर कुँवर सिंह यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जाता है।

वैश्विक भोजपुरी समाज का प्रतिनिधि गीत
भोजपुरिया समाज जिसका मूल भूगोल तो बिहार और उत्तर प्रदेश तक ही सीमित है लेकिन इसके समाज का विस्तार दुनिया के हर भूगोल को छूता है। इस वैश्विक समाज के केंद्र में भारत भूमि है।

इसी भारत भूमि को केंद्र में रखकर आज इस समाज के लोककलाकारों की तीन पीढ़ियों ने साथ आकर काम करने की ठानी। आधार बना ‘सुन्दर सुभूमि भैया भारत के देसवा’। पाँच देशों के ग्यारह गायकों ने ज़बरदस्त एकजुटता के साथ एक म्यूज़िक वीडियो तैयार किया है। इस वीडियो को देखना-सुनना एक अद्भुत अनुभव है।

आरा के देवेंद्र सिंह और हॉलैंड के राज मोहन की कृति

अपने मादरे वतन से दूर देश ले जाये गए गिरमिटिया के वंशजों में से इक हैं हॉलैंड निवासी राज मोहन जो हमेशा भोजपुरी भाषा और गीत संगीत के लिए कार्यरत रहते हैं ! राज मोहन और भोजपुरी फिल्मकार देवेन्द्र सिंह ने मिलके इस गाने को २०२० के स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में उन्ही गिरमिटिया वंशजों को लेकर इस गाने को बनाने का संकल्प लिया और आज ये गान आपके सामने है. इस गाने में कुल ११ गायक हैं जो ७ देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और सबके सब भोजपुरिया वंशज हैं। पहली बार ये गाना उनके द्वारा गाया जा रहा है जिनके लिए ये लिखा गया था।
इस गाने में राजमोहन ,टेरी गजराज ,रागा मेन्नो ,एंजेल अरुणा ,इल्हाम अहमदाली ,हेमेल्बेसेम ,रुकसाना ,विश्वजीत ,छोटू बिहारी , आर्या नंदिनी और मुन्ना सिंह हैं। जो भारत ,सूरीनाम ,हॉलैंड,मारीशस ,फिजी ,गुयाना ,त्रिनिदाद और गुयाना का प्रतिनिधित्व करते है।

ये पहली बार है कि किसी भोजपुरी गाने में ११ गायक है और वो सात अलग अलग देश के नागरिक हैं।इस गीत के एक गायक रागा मेन्नो जो अब नीदरलैंड के नागरिक है और गिरमिटिया वंशज हैं वो इस गीत के २ लाइन “मोर बाप दादा के कहानी रे बटोहिया”को गाते गाते भावुक हो जाते हैं और कहते हैं की आज १५० साल बाद भी भारत हमारे दिल में है। ये बटोहिया गीत सुन्दर सुभूमि भैया असली बटोहिया (गिरमिटिया) वंशजों के द्वारा २०२० स्वतंत्रता दिवस का इक उपहार है।

सोशल मीडिया पर दिग्गजों ने शेयर किया ‘बटोहिया’

यह गीत सोशल मीडिया के जोगीरा, भोजपुरिया, खांटी भोजपुरिया और राज मोहन के चैनल पर रिलीज हुआ है उसके बाद से कई हस्तियों ने इस गीत को शेयर किया है। मात्र 3 दिन में 20 हजार के लगभग लोगों ने इसे देखा और शेयर किया है। केंद्रीय कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इस गीत को शेयर करके मातृभूमि के प्रति अपने प्रेम के उद्गार को व्यक्त किया है। चर्चित फिल्मकार अविनाश दास ने भी अपने फेसबुक से इस गीत को शेयर किया है। यह गीत एक बार फिर से आज के युवाओं में राष्ट्रप्रेम की अद्भुत चेतना तो भर ही रहा है, साथ ही यह भोजपुरी माटी के आज़ादी के लड़ाई में योगदान तथा लोकभाषा को शक्ति को भी महसूस करवा रहा है।

आरा से ओ पी पांडेयरवि प्रकाश की रिपोर्ट

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