पूर्व कला महाविद्यालय के प्राचार्य,भाजपा के राज्य कार्यसमिति के सदस्य समेत कई दिग्गज पहुँचे कलाकारों के समर्थन में
आगत अतिथियों ने कहा – क्षेत्र की संस्कृति का परिचयाक होती हैं वहाँ की लोककलाएँ
आरा,17 जून. 17 दिनों से भोजपुरी पेंटिंग के लिए आन्दोलनजीवी बने कलाकारों का कलात्मक तरीके से विरोध ज्ञता के बीच काफी व्यापक असर ला रहा है. कलाकारों के इस मुहिम में आम जन और हर पार्टियों से जुड़े लोगों का आन्दोलन स्थल पर आकर जुड़ना और समर्थन करना यह संदेश है कि जनता उनके इस मुहिम में साथ है. प्रत्येक दिन पेंटिंग कर चित्रकार जहाँ विरोध जता रहे हैं वही उनके साथ रंगमंच के कलाकार,गीत संगीत के माध्यम से उनका मनोबल बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं.
वही दूसरी ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन की उदासीनता से भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा से जुड़े सदस्यों के बीच अंदर ही अंदर काफी उबाल देखा जा रहा है. यह उबाल कब आक्रोश हो जाये ,कहना मुश्किल है. शुरुआती दौर में ही रेल प्रशासन द्वारा भोजपुरी पेंटिंग को लगाने के लिए उनके सकरात्मक सोच के बाद खुशी का माहौल बना था लेकिन 17 दिनों बाद भी किसी प्रकार के लिखित आश्वासन रेल प्रशासन द्वारा नही दिया गया. सरकार के इस रवैये से क्षुब्ध मोर्चा के सदस्य आगामी 25 जून से आमरण अनशन कर सकते हैं.
भोजपुरी कला संरक्षण मोर्चा द्वारा भोजपुरी चित्रकला को सम्मानपूर्ण स्थान दिलाने के लिए विगत 17 दिनों से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन के दौरान आज मास्क पेंटिंग और कलश पेंटिंग के माध्यम से लोक संवाद स्थापित किया गया. मास्क और कलश पेंटिंग करनेवालों में वरिष्ठ चित्रकार सुरेश पांडेय,कोषाध्यक्ष कमलेश कुंदन,रौशन राय,कौशलेश कुमार,रूपा कुमारी, निक्की कुमारी,शालिनी कुमारी,रुख्सार परवीन,गुड़िया कुमारी,अमन राज आदि प्रमुख थे.
जनता से संवाद के दौरान कला महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ कुमार निर्मल ने कहा कि भोजपुर की सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध है. विभिन्न विधाओं से जुड़े स्थानीय कलाकारों के इस सराहनीय प्रयास की प्रशंसा करते हुए उन्होंने अपना सहयोग निरन्तर देने की बात कही.
भाजपा के राज्य कार्यसमिति के सदस्य राजेंद्र तिवारी ने कहा कि भोजपुरी चित्रकला को अवसर मिलने से निश्चित तौर पर स्थानीय चित्रकारों को रोजगार का अवसर प्राप्त होगा. उप संयोजक विजय मेहता ने कहा कि हम रेलवे प्रशासन से भीख नहीं अपितु अपना अधिकार मांग रहे हैं. रंगकर्मी रवींद्र भारती ने कहा कि रेल प्रशासन द्वारा मोर्चा की मांगों पर सहानुभूति पूर्ण ढंग से विचार कर यथाशीघ्र कार्यादेश देना चाहिए. रंगकर्मी मनोज सिंह ने कहा कि किसी भी क्षेत्र की संस्कृति का परिचय उस क्षेत्र की लोककलाओं से ही होता है. अतः हमसबों को अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सामूहिक संघर्ष करना होगा.
वीर कुँवर सिंह स्मारक समिति के महासचिव सरफराज अहमद खान ने कहा कि भोजपुरीभाषी कलाकारों की मांग पूर्णतया जायज है और इसे अवश्य पूरा किया जाना चाहिए. सामाजिक कार्यकर्ता लाल मोहन राय ने कहा कि भोजपुरी चित्रकला को अवसर मिलने से नई पीढ़ी का झुकाव पारंपरिक कलाओं के प्रति होगा.
मंच संचालन करते हुए रंगकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता अशोक मानव ने आम जनता का आह्वान करते हुए कहा कि मोर्चा केवल चित्रकारों की ही लड़ाई नहीं लड़ रहा,अपितु यह समस्त भोजपुरी भाषी क्षेत्र की जनता की आवाज को बुलंद कर रहा है. रंगकर्मी अमित कुमार ने कहा कि भोजपुरिया संस्कृति को दबाने का बहुत प्रयास किया जा रहा है. हमसबों को मिलकर और संघर्ष कर अपना स्थान लेना होगा. रंगकर्मी कृष्णेन्दु ने बताया कि भोजपुरी चित्रकला को स्थापित करने के लिए किया जा रहा यह आंदोलन इस बार मुकाम तक जरूर पहुँचेगा. चित्रकारों ने आरा के वरिष्ठ कलाकारों को भोजपुरी शैली में चित्र बने मास्क अर्पित किया.
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संयोजक भास्कर मिश्र ने कहा कि मोर्चा के लिए गर्व की बात है कि विभिन्न राजनीतिक विचारधारा के लोग भोजपुरी संस्कृति और चित्रकला को सम्मानजनक स्थान दिलाने के लिए एक झंडे के नीचे आकर हमसबों का हिम्मत बढ़ा रहे हैं. साथ ही प्रिंट मीडिया द्वारा भी हमारे संघर्ष की गाथा को अपने अखबारों में जगह देकर दूर-दूर तक पहुँचाया जा रहा है. आज के कार्यक्रमों को सुचारू रूप से संचालित करने और सफल बनाने में डॉ पंकज भट्ट, संजय नाथ पॉल,अभिषेक कुमार,अभिनव कुमार, कमलकांत, राजू कुमार मिश्र, अजय श्री,मनोज कुमार आदि की भूमिका उल्लेखनीय रही.
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट