बिहार में जिन जिन नगर निकाय, प्रखंड और पंचायत इकाइयों में शिक्षक नियोजन के लिए काउंसलिंग हुई है उन सभी के कार्यपालक पदाधिकारी, ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर और पंचायत सचिव शिक्षा विभाग के राडार पर हैं . शिक्षा विभाग इंटरनल इंक्वायरी करा रहा है क्योंकि नियोजन के वक्त ही शिक्षा विभाग को कई नियोजन इकाईयों के फर्जीवाड़े की रिपोर्ट मिल चुकी है. अभ्यर्थियों ने बकायदा फोटो और अन्य सबूतों के साथ शिकायत दर्ज कराई है.
अपर मुख्य सचिव की मानें, जहां-जहां गड़बड़ी हुई है वहां काउंसलिंग कैंसिल होना तय है. ना सिर्फ काउंसलिंग में शामिल पंचायत सचिव और और अधिकारी बल्कि फर्जीवाड़े में शामिल अभ्यर्थियों पर भी एफ आई आर होगी. इस बार शिक्षा विभाग ने काफी पारदर्शी तरीका अपनाया है जिसमें कुछ भी छिपाना संभव नहीं है और यही वजह है कि सभी नियोजन इकाइयों को 20 जुलाई तक काउंसलिंग में चयनित उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक करने की का निर्देश दिया गया है. यह सूची एनआईसी की वेबसाइट पर अवश्य तौर पर प्रकाशित करनी होगी.
इस बारे में शिक्षा विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी भी साफ तौर पर यह कह चुके हैं कि जिन लोगों ने भ्रष्टाचार किया है उनके खिलाफ कार्रवाई तय है. जिन प्रखंड या पंचायतों से ज्यादा शिकायतें मिली है उनमें दरभंगा, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण, भोजपुर और पटना भी शामिल है.
शिक्षक नियोजन का मामला वर्ष 2019 में शुरू हुआ जब सरकार ने 90762 पदों पर प्राथमिक और मध्य विद्यालय शिक्षकों के नियोजन की घोषणा की थी. लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार जुलाई महीने में काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू हुई है. इसके बाद अगस्त महीने में भी 2 अगस्त, 4 अगस्त और 9 अगस्त को काउंसिलिंग होनी है. इन सबके बीच माध्यमिक शिक्षकों के 30000 पदों पर नियोजन की प्रक्रिया भी चल रही है.
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