पटना।। पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने शनिवार को अरण्य भवन स्थित कार्यालय कक्ष में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से सम्बन्धित विषयों पर समीक्षात्मक बैठक की. बैठक में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किये गये प्रयास की जानकारी दी गई.
- बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद एक वैधानिक नियामक संस्था है. इसकी स्थापना जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 की धारा-4 के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा 07 नवम्बर, 1974 में की गयी।
- राज्य में वायु प्रदूषण के अनुश्रवण हेतु “अनवरत परिवेशीय वायु गुणवत्ता प्रबोधन केन्द्र” का विस्तार किया गया है। वर्तमान में राज्य के 23 जिलों में कुल 35 अनवरत परिवेशीय वायु गुणवत्ता प्रबोधन केन्द्र स्थापित किये गये हैं.
- पटना, मुजफ्फरपुर एवं गया शहरों में वायु प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण हेतु कार्य-योजना तैयार की गई है एवं इसका क्रियान्वयन एवं अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है.
- पूरे राज्य में पुरानी तकनीक पर आधारित सभी ईंट-भट्ठों को स्वच्छतर तकनीक में परिवर्तित कराया जा रहा है.
- बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय के साथ पटना शहर में वायु प्रदूषण के स्रोतों, उत्सर्जन सूची (Emission Inventory) स्रोत विभाजन अध्ययन (Source Apportionment Study) एवं क्षमता अध्ययन (Carrying Capacity) का आधुनिक तकनीकों से अध्ययन करने हेतु एक समझौता किया गया है.
- आई.आई.टी. कानपुर द्वारा स्वदेशी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके ग्रामीण क्षेत्रों में बिहार के सभी 38 जिलों के 534 शहरी/अर्द्ध-शहरी/ग्रामीण प्रखंडों में सूक्ष्म वायु गुणवत्ता निगरानी सेंसर के माध्यम से वायु गुणवत्ता मापने के लिए 03 वर्ष के कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है.
- राज्य पर्षद द्वारा वैसे क्षेत्र जहां पर तेल कम्पनियों द्वारा स्वच्छतर ईधन यथा-सी.एन.जी/पी. एन. जी. की आपूर्ति नेटवर्क विकसित की जा चुकी है, वहाँ के औद्योगिक इकाइयों में इंधन के रूप में फर्नेस ऑयल, कोयला एवं लकड़ी का उपयोग किसी भी रूप में (भूगी को छोड़कर) प्रतिबंधित कर दिया गया है.
पेट्रोलियम आउटलेट (पेट्रोल पम्प सीएनजी एवं बायोडीजल को सहमति से मुक्त किया गया है. बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा गंगा नदी के 34 स्थली इसकी सहायक नदियों/तालाबों के 70 एवं भू-गर्भीय जल के 70 स्थलों का विस्तृत विश्लेषण किया जाता है. गंगा एवं इसकी सहायक नदियों के जल में जीवाणुओं की संख्या को छोड़कर सभी पारामीटर यथा डी.ओ, बी.ओ.डी. मानक के अधीन पाया गया है. राज्य सरकार की ओर से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के सहयोग से Climate Resilient and Low Carbon Development Pathway विकसित करने हेतु एक अध्ययन किया जा रहा है.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा एक विशेष वायु प्रयोगशाला भवन का निर्माण पाटलिपुत्रा औद्योगिक क्षेत्र, पटना में किया जा रहा है. पर्षद द्वारा सहमति / प्राधिकार आवेदनों का निष्पादन जनवरी 2016 से ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से ही किया जा रहा है। इकाइयों द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान भी ऑनलाइन प्रणाली के माध्यन से ही किया जा रहा है तथा स्वत नवीकरण (Auto-renewal) की व्यवस्था भी बनायी गयी है.
बिहार राज्य जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (SAPCC) वर्ष 2004-2030 तैयार कर State Level Steering Committee का अनुमोदन प्राप्त किया गया है.
मंत्री ने बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा प्रदूषण नियंत्रण एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में किये गये प्रयास की सराहना की एवं लंबित कार्यों को ससमय पूर्ण कराने का निदेश दिया. साथ ही राज्य के मुख्य शहरों यथा-पटना गया एवं मुजफरपुर के वायु गुणवत्ता सूचकांक का लगातार अनुश्रवण कराते हुये मानक अनुरूप रखने हेतु सभी आवश्यक कार्य करने का निदेश दिया गया. मंत्री ने हाजीपुर शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत अधिक पाया जिसके नियंत्रण हेतु यथाशीघ्र कार्रवाई करने का निदेश दिया.
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