अनीशा की कविता प्रस्तुति ने उपस्थित आगन्तुकों को प्रस्तुति के जादू में बाँधा
आरा, 23 मार्च. बिहार दिवस की 111वीं जयंती के मौके पर आरा के वीर कुंवर सिंह स्टेडियम में कल का नजारा देखने योग्य था. जहाँ स्टॉल विभिन्न रंगों में अपने भोजपुरिया रंग और बिहारीपन की पहचान दे रहे थे वही इन्ही स्टॉलों में से एक सम्भावना स्कूल के स्टॉल पर जिलाधिकारी, भोजपुर SP, मेयर और अन्य लोगों का एक साथ किसी स्कूली छात्रा का सुनना एक अलग ही नजारा प्रस्तुत कर रहा था.
संभावना स्कूल के बच्चों द्वारा लगाए गए स्टॉल पर बच्चों के प्रतिभा के जिलाधिकारी समेत अन्य लोग बच्चों की प्रतिभा और प्रस्तुतिकरण के कायल तो हो ही चुके थे लेकिन जैसे ही वहां से चलने को हुए विद्यालय की एक छात्रा अनीशा शुक्ला ने अपनी बिहार दिवस पर बिहारियों को समर्पित एक कविता सुनाने का आग्रह किया.
जिलाधिकारी ने उसका निवेदन यह सोचकर माना कि दो-चार लाइन सुनकर बच्चे की इच्छापूर्ति कर दी जाएगी लेकिन जैसे ही अनीशा ने अपनी कविता की पंक्तियों को अपनी ओज का प्रवाह दिया, फिर तो ऐसा हुआ कि भोजपुर DM के पाँव उसी स्टॉल पर थम गए और उन्होंने उसकी पूरी कविता सुनी. उनके साथ उपस्थित सभी लोग भी कविता प्रस्तुति तक उनके साथ रुके रहे. कविता के खत्म होने पर भाव विभोर भोजपुर DM ने अनीशा शुक्ला का पीठ थपथपा उसे आशीर्वाद दिया और उसका मनोबल बढ़ाया.
अनीशा द्वारा प्रस्तुत कविता का अंश पटना नाउ आपके लिए पेश कर रहा है. पढ़िए अनीशा की सोच, जिसमें छुपी है बिहारियों की शान और भविष्य की कई सम्भवनायें…
क्योंकि समाज मे ऐसा फैला है बदहाली
बिहारी होना हो गया है गाली
और जानते हो हम ऐसा काहे कह रहे हैं
क्योंकि हम बिहारी होने का
जिल्लत सह रहे हैं
इसका निवारण नही है
इसका कारण तुम ही हो
और कोई कारण नहीं है
क्योंकि क्षेत्रियता की तराजू पर
तुम ही हर बार इसे तौलते हो
मॉम डैड बिहार से हैं और
आई एम फ्रॉम दिल्ली बोलते हो
बिहार में मोमो से तुम्हारा स्वाद बढ़ता है
और लिट्टी से नाक सिकुड़ता है
लाजवाब तुमने नापाक कर दिए
और भैया जी को मजाक कर दिया
मैं यह कह रही हूं कि तुम सोचोगे
कि तुम्हारी खता क्या है
कौन होता हैं बिहारी
तुमको पता क्या है
आज मैं आईएस की बात नहीं करूंगी
गणित को तो छोड़ दो
इतने उच्च पद पर हमारी रिश्तेदारी है
उसकी भी बात नहीं करूंगी
बस कोशिश करूंगी समझाने की
कि कौन-कौन बिहारी है
जो हर सूरत बदल दे
वह दिनकर रामधारी है
जो पर्वत चीर दे वह
मांझी की ज़िद और खुमारी है
जो संसद चला दे वह
राजेंद्र प्रसाद की समझदारी है
जो गणित बदल दे वह
आर्यभट्ट की अविष्कारी है
जो चीर दे जमीन को वह
कुंवर सिंह की तलवार तेजधारी है
जो पागल कर दे शहनाई की धुन से
वह बिस्मिल्लाह खान की गुणकारी है
अब मैं रुक जाती हूँ क्योंकि
ये लिस्ट अभी भी जारी है
और अभी भी तुम्हारे दिल में कोई खोट हो
तो यह गलती तुम्हारी है
क्योंकि तुम्हारे लिए
हरियाणा वाले सत्ता चलाते हैं
यूपी वाले कट्टा चलाते हैं
साउथ वाले कंपनियां चलाते हैं
अपने ही देश की भाषाओं में दिखती है
सबको देशद्रोही बोलते हो
यह मजाल किसकी है
अपने ही देश के उत्तर पूर्वी लोगों को
चाइना का माल कहते हो
इसको तुम नजर अंदाज मत करना
अपनी जमीर को नाराज मत करना
यह देश हम सबका है
किसी के बाप की जागीर नहीं है
स्कूली छात्रा द्वारा बिहार दिवस पर इस तरह की पंक्तियों के लेखन और उसके जज्बे ने जहाँ उसके अंदर की लेखन प्रतिभा को सबके सामने प्रकट किया है वही आपको बताते चलें कि वीर कुंवर सिंह स्टेडियम की धरती देश के कई प्रसिद्ध कवियों के पाठ का गवाह रहा है. ऐसे में उस भूमि पर नई पीढ़ी द्वारा कविता का रचना और उसका पाठ ये प्रमाण है कि बच्चों का मूल अभी भी बरकरार है. बोर्ड चाहे कोई भी हो, भाषा चाहे कोई भी हो हम ऊंचाईयों तक तभी छलांग लगा पाएंगे जब हमें अपनी धरातल का पता हो क्योंकि उछलने के बाद वही लैंड करना है. पटना नाउ की ओर से अनीशा को उसकी रचना के लिए ढेर सारा स्नेह.
आरा से ओ. पी. पांडेय की रिपोर्ट