क्या भारत आ जाएगा कोहिनूर हीरा
कोहिनूर 1304 के आसपास मालवा के राजा महलाक देव की संपत्ति
1526 में पानीपत का युद्ध जीतने के बाद कोहिनूर पर बाबर का कब्जा
186 कैरेट के रहे हीरे को बाबर हीरा नाम मिला
‘कोहिनूर’ का अर्थ है- आभा या रोशनी का पर्वत
एक ऐसा बेशकीमती हीरा जिसके कद्रदान पूरी दुनिया में हैं. कोहिनूर हीरा क्या कभी भारत आ पाएगा. कैसे आएगा. कब आएगा. इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है. कोहिनूर, एक ऐसा बेशकीमती हीरा जिसके कद्रदान पूरी दुनिया में हैं. कोहिनूर हीरा क्या कभी भारत आ पाएगा? कैसे आएगा? कब आएगा? इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है. 2015 में प्रधानमंत्री के ब्रिटेन दौरे के बाद एक उम्मीद जगी थी कि भारत को उसका कोहिनूर मिल जाएगा पर अभी तक भारत सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की गई.
कोहिनूर को दुनिया का सबसे मशहूर हीरा कहा जाता है. यह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा खनन क्षेत्र में निकला था. पहले यह 793 कैरेट का था लेकिन अब 105.6 कैरेट का ही रह गया है. इसका वजन 21.6 ग्राम है. यह कई राजाओं से होता हुआ ब्रिटेन की महारानी तक पहुंचा है. कोहिनूर 1304 के आसपास मालवा के राजा महलाक देव की संपत्ति का हिस्सा था. 1526 में पानीपत का युद्ध जीतने के बाद कोहिनूर पर बाबर का कब्जा हो गया. तब 186 कैरेट के रहे हीरे को बाबर हीरा कहा जाने लगा. इसके बाद 1739 में ईरानी शासक नादिर शाह ने दिल्ली के शासक मोहम्मद शाह को हरा दिया. उसने शाही खजाने को लूट लिया, जिसमें बाबर हीरा भी था.
नादिर शाह के पोते शाह रुख मिर्जा, नादिर शाह के सेनापति अहमद अब्दाली और फिर अब्दाली के वंशज शुजा शाह से पंजाब के सिख राजा महाराजा रणजीत सिंह तक कोहिनूर पहुंचा. रणजीत सिंह कोहिनूर हीरे को अपने ताज में पहनते थे. 1839 में उनकी मौत के बाद हीरा उनके बेटे दिलीप सिंह तक पहुंचा.
1849 में ब्रिटेन से हार के बाद महाराजा को कोहिनूर इंग्लैंड की महारानी को सौंपना पड़ा. 1850 में इसे बकिंघम पैलेस में महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया. यहां इसे नया अंदाज दिया. इसका वजन तब 108.93 कैरेट रह गया. यह रानी के ताज का हिस्सा बना. अब कोहिनूर का वजन 105.6 कैरेट है. आजादी के बाद भारत ने कोहिनूर की वापसी का प्रयास किया लेकिन इंग्लैंड ने उसे अस्वीकार कर दिया. अब ये सवाल है कि क्या आजादी के अमृत काल में भारत का प्रसिद्ध हीरा कोहिनूर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वापस लाने में सक्षम हैं या हम भूल जायें कि भारत में कभी कोई कोहिनूर था.
PNCDESK