पशुपति पारस की विधान परिषद सदस्यता रद्द होगी!

बिहार के पशुपालन मंत्री पशुपति पारस की विधान परिषद सदस्यता को लेकर पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. एडवोकेट मणिभूषण सेंगर ने MLC कोटे से पशुपति पारस के मनोनयन पर सवाल उठाते हुए उनकी सदस्यता समाप्त करने की मांग की है.




इस बारे में याचिकाकर्ता मणिभूषण सेंगर ने बताया कि बिहार के मुख्यमंत्री ने पशुपतिनाथ पारस को विधान पार्षद मनोनीत करने के लिए अनुशंसा महामहिम राज्यपाल को कर के, सीधी भाषा में मनोनीत कराकर पावर का दुरूपयोग किया है. सेंगर ने कहा कि बिहार सरकार ने इस मामले में संविधान का मजाक बनाया है.

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याचिकाकर्ता ने ये सवाल भी उठाया कि बिना किसी विशेषज्ञता के सरकार ने आखिर किस कोटे से उनको मनोनीत किया है. बिहार सरकार ये बताए कि किस क्षेत्र में इनकी विद्वता है या अद्वितीय काम या योगदान राज्यहित में किया है.  उन्होंने कहा है कि इनकी यही विशेषता है कि यह केंद्रीय मंत्री के भाई हैं. मंत्री तक ठीक, लेकिन महामहिम राज्यपाल के द्वारा मनोनयन बड़ी बात है.  याचिकाकर्ता मणिभूषण सेंगर ने कहा कि निर्वाचित कोई भी हो सकता है लेकिन मनोनीत कोई भी नहीं. ऐसे में MLC मनोनीत किए जाने के महज कुछ घंटों के भीतर ही पशुपतिनाथ पारस के मनोनयन पर सवाल उठने लगे हैं. बता दें कि पशुपति नाथ पारस को हाल ही में LJP के कोटे से बिहार का पशुपालन मंत्री बनाया गया है. लेकिन वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. जबकि मंत्री पद के लिए 6 महीने के भीतर विधानपरिषद या विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना जरुरी है.

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