मुरली मनोहर जोशी.. पहले बेचा अखबार…फिर बने पत्रकार..

By om prakash pandey Aug 15, 2019


अपने जिद्द से दुनिया बदलने वाला मुरली लोगो का नायक है
सुर ऐसा कि जो ठाना, वही लिया
आर्थिक तंगी के बावजूद भी कभी किस्मत को नही कोसा

आरा, 15 अगस्त. कहते हैं कि अगर आपका लगन, विश्वास और जिद्द सच्चा हो तो कुछ असम्भव नही है चाहे आपके पास एक फूटी कौड़ी ही क्यों न हो. आज हम ऐसे ही जुनूनी शख्शियत के बारे में बात करेंगे जिसने अपने मेहनत के बल पर अपना दुनिया बदलता गया. जिस हाथों से पेट की भूख मिटाने के लिए अखबार तक बेचा आज उन्ही हाथों में उस अखबार के शब्द उसकी हाथों में आये कलम से निकलते हैं. अखबार बेचने से लेकर पत्रकार बनने तक की यह कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नही है. हम बात कर रहे हैं पत्रकार मुरली मनोहर जोशी की..





मुरली गड़हनी के रहने वाले हैं और इनका जन्म 15 अगस्त की आजादी वाली फिजा में हुई थी. प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही राम दाहिन +2 उच्च विद्यालय से मैट्रिक व इंटर, जनसहकारी डीग्री महाविद्यालय से स्नातक किया फिर टेक्नीकल नॉलेज के लिए कम्प्यूटर (DCA ,DFA +Tally) कोर्स भी किया. फिर जाकिर हुसैन सन्तान से पत्रकारिता में बेसिक कोर्स भी किया. फिलहाल स्नातकोत्तर में जैन कॉलेज में पढ़ रहे हैं. मुरली पढ़ने लिखने में तेज तर्रार रहे. लेकिन आर्थिक तंगी के कारण मुरली को रोजगार की जरूरत थी. इसलिए मुरली को जब कोई ऑप्शन नही दिखा तो मुरली ने अखबार बेचना शुरू किया. मुरली ने 2007 में अखबार बेचा. सुबह अखबार बेचता और गरीब लड़को को मुफ़्त में पढ़ाना शुरू किया.

उसके इस कार्य से प्रभावित कुछ लोगों ने मुरली को पैसे दे अपने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. मुरली अब इन दोनों कामों में व्यस्त रहता. इसी बीच अखबार बेचते-बेचते और उसमें छपी खबरों को रोज देखने के बाद मुरली को यह लगने लगा कि वह भी पत्रकारिता कर सकता है. फिर क्या था अपने एक साल के अथक मेहनत की कमाई से मुरली ने 2008 में एक कैमरा खरीदा और बतौर कैमरामैन एक लोकल न्यूज चैनल में ज्वाइन किया. अब मुरली कैमरामैन मुरली बन चुका था. कोचिंग के लिए अब उसके पास लड़के भी बढ़ गए तब उसने उसके लिए एक जगह भी लिया. लेकिन गरीब बच्चों को अब भी मुफ्त में पढ़ाना नही छोड़ा. मुरली के काम और मेहनत ने ऐसा रंग जमाया कि जिला मुख्यालय तक मुरली का जुनूनी धुन सबको अपने सुर में फांस चुका था और लोग उसके कायल हो गए थे. लंबा कद, पतली दुबली काया और चेहरे पर हमेशा मुस्कान की आभा विखेरता हुआ मुरली अपने नाम के अनुसार अब मनोहर भी लगने लगा था. कहा भी जाता का कि नाम का प्रभाव भी व्यक्ति पर पड़ता है सो वह तो यहाँ चरितार्थ दिखता है. मुरली जैसा सुरीला और मनोहर जैसा मनोरम,शांत मुरली अपने नाम के टाइटल जोशी जैसा जोशीला,जिद्दी व जुनूनी भी था. 2011 में आरा में ही लोकल सत्य न्यूज़ चैनल में काम किया. फिर 3 सालों तक कि रिपोर्टिंग काम आयी और 2014 में हिंदुस्तान जैसे बड़े अखबार ने मुरली की टैलेंट को परखा और उसे गड़हनी से का प्रखंड रिपोर्टर नियुक्त कर दिया. फिर क्या था पहले से ही चर्चित मुरली की अब खबरें जब क्षेत्र की आती तो वह चर्चा का विषय बन जाता.इस बीच कोचिंग भी लगातार चलता रहा. यहाँ तक कि अब कोचिंग में योगदान देने वाले मुरली जैसे ही सोच वाले युवक भी शामिल हो गए.

इस बीच मुरली की सामाजिक भागीदारी भी खूब बढ़ी. चुकि खबरों के लिए उसे हर जगह के लोगों से मिलना जुलना होता था तो समाजिक कठिनाईया भी सामने आती मुरली उसे दूर करने का भरसक प्रयास भी करता. कई हल भी हो जाते. अब मुरली ने बैंकों में बढ़ते भीड़ से पैसे निकालने की दिक्कत को देखकर CSP खोलने की ठानी और उसने वर्ष 2016 में बैंक ऑफ बड़ौदा का ग्राहक सेवा केंद्र (CSP) की गड़हनी में स्थापना कर क्षेत्र के जनता को बैंक के साथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाई.

उसके इस कार्य से जनता को इतनी राहत हुई कि लोग उसे बैंक मैनेजर तक का उपनाम तक दे डाला. मुरली पटनां नाउ के भी पिछले दो सालों से लिख रहे हैं. मुरली के जीवन की सफलता की यह कहानी हर किसी के लिए एक प्रेरणा-स्रोत है. जहाँ हम सुविधाओं का रोना रो काम करने से कतराते हैं वैसे में मुरली ने कोई सुविधा का रोना नही रोया बल्कि अपने अनुकूल सुविधा को व्यवस्थित किया. मुरली से जब यह पूछा गया कि आगे क्या प्लान है भविष्य का? मुरली ने शायद शादी की बात समंझ ली और सर झुका कर शरमा गया. दोबारा पूछने पर बताया कि एक शिक्षक के तौर पर बच्चों को पढ़ाना चाहूँगा.

हम भी चाहेंगे कि मुरली की यह इच्छा भी पूरी हो जाये. वैसे भी इतनी कम उम्र में मुरली का जैसा संघर्ष रहा और उसमें सफलता मिली वह अबतक कायम है. मृदुभाषी और बेहद ही सरल स्वभाव का मुरली सबके लिए अपनी व्यवहार कुशलता की वजह से प्यारा है. मुरली का आज जन्मदिन है आजादी की जश्न के साथ पटनां नाउ की ओर से मुरली को उसके जन्मदिन पर उसकी यह प्रेरणादायक सक्सेस स्टोरी उपहार स्वरूप प्रस्तुत है. सफलता की यह कहानी अगले मुकाम तक पहुँचे जिसे फिर दर्शको और पाठकों तक पहुँचाया जाय.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

Related Post