सीमा तक छोड़ते हैं जिन्हें “बाबू कुँवर”, वे अब ‘भोजपुर’ छोड़ चले

By om prakash pandey Jul 20, 2018

कहा- देशभक्ति और ईमानदारी में है अथाह ताकत
विदाई देने के लिए दिनभर लगा है लोगों का तांता

शख्सियत लाइव रिपोर्टिंग




Patna Now Exclusive

“मैं जब कोईलवर या सहार का ब्रिज पार करता हूँ तब मुझे रौबदार मूछें और लाल आँखों के साथ विशालकाय रूप में घोड़े पर सवार भोजपुर के गौरव वीर बाँकुड़ा बाबू कुँवर सिंह छोड़ने आते हैं. शाहाबाद क्षेत्र के हर कोने तक वो मेरे साथ कई बार मेरी ऊँची उड़ानों में सफर कर चुके हैं “- उक्त बातें 5 बिहार बटालियन के कमान अधिकारी कर्नल बिनोद जोशी बता रहे थे. मैं ये बातें सुनकर स्तब्ध था और पूरी काल्पनिक बातें तो लग ही रही थी लेकिन थोड़ा डर भी लग रहा था कि दिमागी रूप से कर्नल साहब अच्छे इंसान हैं. लेकिन उनकी बातें सुनते ही मुझे स्वदेश दीपक लिखित ‘कोर्ट-मार्शल’ के किरदार कर्नल सूरत सिंह सामने दिखने लगे जो कोर्ट रूम के कमरे में फैसले की घड़ी में धैर्य का परिचय अपने दादा-दादी के बताये किस्से और युद्धभूमि में उनके तेवर को बतला मौत को कन्फ्रन्ट करने के बारे में पूछते नजर आते हैं. दरअसल उनका कड़क मिजाज उनके सच्चे व्यक्तित्व की पहचान है. ठीक वही मिजाज में मेरे सामने विनोद जोशी नजर आ रहे थे.वे कुँवर सिंह के बारे में हर पहलू पर बात कर रहे थे, उन्होंने कहा कि कुँवर सिंह की आदमकद मूर्ति की आंखों और वैसी ही एक विशालकाय पेंटिंग जो दानापुर रेजिमेंट के मेस में है, को पढ़ने में 40 मिनट लग गए. दरअसल पटना नाउ की टीम उनसे मिलने गयी थी क्योंकि कर्नल साहब अब भोजपुर छोड़ कर जाने वाले हैं. मद्रास रेजिमेंट से आने के बाद यहाँ 23 महीनों में उन्होंने NCC को जो ऊँची उड़ान दी है वो एक लैंड मार्क बन गया है.

आईये थोड़ा पहले चलते हैं उनसे मिलने के दरम्यान का आंखों देखा हाल आपको बता दें. हमने कर्नल साहब से एक दिन पहले मिलने के लिए कहा था उन्होंने बुधवार को 12 बजे दिन का समय दिया. हम ऑफिस में दाखिल हुए तो देखा सीढ़ियों पर लाइन से कई NCC कैडेट्स खड़े हैं. हम साइड से ऊपर गए बच्चे बड़े अचरज से हमे देख रहे थे शायद उन्हें हम अजनबी लग रहे हों या फिर ये सोच रहे हों कि सिविल ड्रेस में ये कौन हैं जो जा रहे हैं. ऊपर पहले तल्ले पर जाने के बाद हमने ऑफिस में मौजूद एक कर्मचारी को अपना परिचय बताया और बोला कि कर्नल साहब ने बुलाया था. कर्नल विनोद जोशी को उस व्यक्ति ने बताया इससे पहले वो हमसे बैठने का आग्रह कर चुके थे. अभी हम बैठे ही थे कि अंदर जाने का बुलावा आया गया. आश्चर्य यह लगा कि इतनी व्यस्तता के बाद भी उन्होंने हमें अंदर बुलाया और मिलते ही कहा कि हम दो साल पहले महाराजा कॉलेज में मिले थे न? आश्चर्य से मेरी आँखें फ़टी रह गयी कि कितना शार्प मेमोरी है इनकी…मैंने हाँ कहा. उन्होंने ऑफिस में मौजूद लोगों से मेरा परिचय कराया और कहा कि “पटना नाउ” में ये जनाब ही लिखते हैं. फिर जो सबने बधाईयां देनी शुरू की तो मैं दंग रह गया. सभी पटना नाउ और मेरे नाम से परिचित थे बस मुलाकात नही हुई थी. एक स्टाफ ने तो यहां तक कहा के सर 2400 कैडेट्स और स्टाफ के बीच आपकी खबर घूमती है.

हम अंदर बैठे और हमसे बातें करते हुए कर्नल जोशी मिलने वालों से मिल उन्हें निपटा भी रहे थे. दरअसल मिलने वालों में सभी NCC कैडेट्स, स्कूल के शिक्षक और बुद्धिजीवी लोग थे जो उन्हें विदाई देने आ रहे थे. DPS स्कूल के कुछ बच्चे तो ऐसे आये जो काफी भावुक हो गए. कर्नल जोशी ने बताया के ये वो कैडेट्स हैं जो बहुत ही शरारती और शैतान थे जिन्हें उन्होंने कड़ी सजा भी दी. लेकिन अब वे एक अच्छे इंसान बन चुके थे. उन्होंने कुछ दिन और कर्नल जोशी को रुकने का आग्रह किया. इस बीच कुछ स्पोर्ट्स टीचर भी आये और कुछ वैसे कैडेट्स जो अपनी बहन को लेकर आये जो अपना करियर फौज में बनाना चाहती थी. इस बीच खबर यह भी मिली कि कुछ लोग उनका ट्रांसफर रोकने के लिए आंदोलन करने वाले हैं. कर्नल जोशी ने हंसते हुए कहा कि मैं देश का हूँ भोजपुर जैसे कई जगहों को सेवा देनी है इसलिए इसमें बाधक न बनें. उन्होंने कहा कि मैं अपने साथ यहाँ के लोगों का प्यार और बाबू कुँवर का जोश लेकर जा रहा हूँ.

इन्ही मिलने के दौरान सम्भावना उच्च विद्यालय की प्राचार्या डॉ अर्चना सिंह भी कर्नल जोशी को विदा देने आईं. उन्होंने उन्हें अपने विद्यालय के एक कार्यक्रम की तस्वीर भेंट की जिसमे उन्होंने आरा हाउस की पेंटिंग गिफ्ट की थी. साथ ही एक फोटो एलबम भी दिया जिसमें पूरे कार्यक्रम की तस्वीर थी. यह बेहद ही भावुक क्षण था.

उन्होंने कहा कि ईमानदारी और देशभक्ति में अथाह ताकत है. निःस्वार्थ भाव देश की सेवा कीजिये अड़चने आती रहेंगी, संघर्ष तो जीवन का हिस्सा है. उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता सेनानी बाबू कुँवर सिंह की यह पवित्र भूमि है उम्मीद करूँगा कि जिस पवित्रता से मैंने यहाँ काम किया है, मेरे बाद भी आने वाले इसी पवित्रता के साथ भविष्य के रणबांकुरों को तैयार करने में अपना पूर्ण योगदान देंगे.

कर्नल जोशी उत्तराखंड के रहने वाले हैं जो मद्रास रेजीमेंट से यहां डेपुटेशन पर आए थे लेकिन अपने कार्यो के बदौलत ऐसे बन गए कि NCC से लोगों का जुड़ाव बढ़ते गया. अभी लगभग 1100 कैडेट्स तैयार हैं जो सेना के कई इकाईयों के लिए तैयारी भी कर रहे हैं इनमें से कुछ ने सशस्त्र बलों में ज्वाइन भी किया है और नए कैडेट्स भी 1000 चुने गए हैं कॉलेजों में नामांकन की प्रक्रिया के बाद लगभग 600 कैडेट्स और चयनित किये जायेंगे. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि कर्नल जोशी के जोश को टक्कर आने वाले समय मे मिल पाता है या नही. लेकिन एक बात तो साफ है कि इंसान अपने कार्यो की वजह से ही पहचाना जाता है.

एक व्यक्तित्व जो हमेशा विचारों में सबके याद रहेगा, क्योंकि वो सचमुच पूरे देश का हो गया है. तभी तो आने वाला हर कैडेट उसे अपना मान बैठा है क्योंकि उनके विचारों ने उसे जीवन जीने का एक नजरिया दे दिया है जो देश सेवा के लिए प्रतिबद्ध हो गया है. एक बात और अद्भुत लगी कि वे नौजवानों को देश सेवा के लिए प्रेरित कर रहे हैं. उन्होंने बच्चों से कहा कि NDA, AFMC और डिफेंस सर्विसेज की तैयारी करो. उन्होंने दावा किया कि उनके द्वारा तैयार कैडेट परीक्षा में फेल नही कर सकता है. यह कोई तभी कह सकता है जब सचमुच अपनी मेहनत से ज्यादा सामने वाले के मेहनत की परख कर ले. यही वजह है कि जाते-जाते भी वो सबको गाइड करने का वे वादा कर रहे थे. मिलने वाले हर शख्स के चेहरे पर एक उदासी थी, कर्नल जोशी भी थोड़े भावुक दिखे हालांकि वो किसी को ऐसा प्रतीत नही होने दे रहे थे. लेकिन इस भावुकता वाले क्षण में उदासी के साथ एक दृढ़संकल्प था सबकी आंखों में जो आने वाले कल का सचमुच एक सपना होगा, वो सपना जो कर्नल जोशी ने दिया हो या फिर उनकी प्रेरणा ने उस शख्स को….

कर्नल जोशी को विदा करते 5 बिहार बटालियन के अधिकारी एवं कर्मचारीगण

शुक्रवार को 5 बिहार बटालियन के सभी अधिकारियों ने कर्नल जोशी को पूरे गर्मजोशी के साथ उन्हें सम्मानित किया और उन्हें यूनिट की ओर से विदाई दी. सबने टी-पार्टी की और इस याद गैर लम्हे को कैमरे में कैद कर दिया जिसे आने वाले सदियों तक याद किया जाएगा. तस्वीर में तो कर्नल जोशी जैसे ऑफिसर उस पीढ़ी के लिए रखे जाते है जिन्होंने इन्हें देखा नही हो, लेकिन जिन्होंने उन्हें देखा है और काम किया है उनके दिलों में एक सुनहरे याद के रूप में साथ रहेंगे सदा ऊर्जा का बादल बनकर.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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