पत्रकारो से नही मिले भोजपुर के “लाट साहब”

By om prakash pandey Apr 7, 2018

पत्रकार हत्याकांड पर असंवेदनशील जिला प्रशासन
पत्रकारो ने जताई नाराजगी, किया जमकर विरोध




आरा, 7 अप्रैल. ब्यूरोक्रेट्स का ब्यूरोक्रेसी किस कदर उनके सर चढ़कर बोल रहा है इसका उदाहरण शुक्रवार को आरा में देखने को मिला, जब जिले में हुए दोहरे पत्रकार हत्याकांड के खिलाफ धरने में शामिल पत्रकारो ने DM से मिल अपनी मांगों का ज्ञापन देना चाहा तो “लाट साहब” ने मिलने से इनकार कर दिया. “लाट साहब”, संजीव कुमार ने पत्रकारों को अपने कार्यालय के बाहर 10 मिनट तक खड़ा कर इंतजार कराने के बाद यह सूचना दे,नही मिले कि वे एक मीटिंग में व्यस्त हैं.

शुक्रवार को भोजपुर जिला समाहरणालय के समक्ष भोजपुर के पत्रकारों ने दिवंगत पत्रकार नवीन निश्चल और विजय सिंह की हत्या के विरोध में एक दिवसीय धरना सह श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया. जिसमे जिले के सभी 14 प्रखंडों से पत्रकार शामिल हुए. धरना में शामिल पत्रकारों ने अपने चार सूत्रीय मांग के तहत दिवंगत पत्रकारों की हत्या की जांच CBI से कराने, उनके परिजनों को सरकारी नौकरी और 15 लाख मुआवजे के साथ बच्चो की शिक्षा की व्यवस्था करने, मीडियाकर्मियों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून कानून बनाने, और पत्रकारो के कार्य मे किसी तरह के हस्तक्षेप को बंद करने की मांगें रखीं. पत्रकारों ने यह धरना बिना किसी संगठन के तमाम मीडियाकर्मियों की ओर से रखा था जिसमें
सभी अखबारों, चैनल और वेब जर्नलिस्टों के साथ PFI, AIRA, और श्रमजीवी पत्रकार संगठन के लोग भी शामिल हुए. पत्रकारों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि समाज के चौथे स्तम्भ पर लगातार हमले हो रहे हैं लेकिन सरकार मौन है. धरना में शामिल लोगों में दैनिक भाष्कर के प्रभारी राकेश कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार सुधीर मिश्र,रजनीश त्रिपाठी,डा भीम सिंह भवेश, डा कृष्ण कुमार,मुकेश कुमार सिन्हा, प्रियरंजन मिश्र,पुष्कर पांडे,दिलीप ओझा, विक्रांत राय, अटल बिहारी पांडे, अंजेश पांडे,संजीव गुप्ता,अरुण मिश्र,राकेश तिवारी, मनोज कुमार लक्की,विजय ओझा, शिवनेश्वर सिंह,सेराज राणा,भीम राय, जयमंगल राय, अशोक तिवारी, PFI के उपाध्यक्ष मनीष सिंह ,सचिव आशुतोष पांडेय, महासचिव देवराज ओझा , कोषाध्यक्ष अभिनय प्रकाश, प्रवक्ता ओ पी पांडेय,विशाल, तारकेश्वर गुप्ता, AIRA संगठन के जिलाध्यक्ष राकेश राजपूत, हरेराम गुप्ता ,नीरज कुमार, अनिल राय सहित कई लोग शामिल थे.

धरना में शामिल पत्रकारों ने समाहरणालय में जा DM से मिलने की सूचना दी ताकि उनसे मिल वो अपनी मांगों से सम्बंधित ज्ञापन दे सकें. बताते चलें कि धरने से दो दिन पूर्व SDO को आवेदन दे DM से मिलने के लिए आग्रह किया गया था बावजूद इसके किसी तरह की कोई सूचना मीडिया को नही दी गयी. लेकिन “लाट साहब” ने खबर भेजवाई कि वो मीटिंग में ब्यस्त हैं इसलिए मांगो का ज्ञापन उनके भेजे गए सन्देशवाहक को सौंपा जाए. इसके बाद पत्रकारों ने अपने ज्ञापन को भी उनके द्वारा भेजे गए प्रतिनिधि विकास कुमार को देने से इंकार कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए. अतिसंवेदनशील इस हत्या के मुद्दे पर भी DM को लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ से भी मिलने की फुर्सत नही है तो भला वो जांच को सही रास्ते तक कैसे पहुंचाएगा? DM द्वारा इस व्यवहार से क्षुब्ध पत्रकारो ने प्रशासनिक खबरों पर पेन डाउन का निर्णय लिया है. हालांकि हल्ला-हंगामा सुन SDO और DPRO भी मामले को सुलझाने आये लेकिन पत्रकारों ने अपने माँगो को उन्हें नही सौंपा. उसे ईमेल और फैक्स के जरिये बिहार के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेजा.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट

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