ट्रैफिक व्यवस्था सुधरे तो निखर जाए राजधानी

By pnc Oct 24, 2016

लोग कहते है पहले सरकार सुधरे फिर हम सुधर जाएंगे

बुजुर्गों और महिलाओं को झेलनी पड़ती है मुसीबत  




साइकिल,ठेला,ई-रिक्शा,रिक्शा,थ्री सीटर-सिक्स सीटर ऑटो

मोपेड, बाइक,स्कूटी,छोटी कारें, बड़ी गाड़ियां और बसें 

मेट्रोपॉलिटन सिटी की तरह ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने का प्रयास चल रहा है 

PATNA JN

साइकिल,ठेला,ई-रिक्शा,रिक्शा,थ्री सीटर -सिक्स सीटर ऑटो, मोपेड, बाइक,स्कूटी,छोटी कारें बड़ी गाड़ियां और बसें सब पटना की सड़कों पर चलती है दौड़ती है, रेंगती है और कभी -कभी जाम का कारण बनती है. इन गाड़ियों से इतर पैदल चलने वाले लोग भी कम नहीं है.जिनके लिए फुटपाथ है पर वहां दुकानें सजती है. फुटपाथ पर अतिक्रमण ने इन पैदल चलने वालों को कही का नहीं छोड़ा है. अगर पटना की सड़कों पर देखा जाए तो सब बेतरतीब ढंग से चल रहे होते है.सबको जल्दी है न तो ट्रैफिक लाइट की परवाह है न ही जेब्रा क्रोसिंग की बस लोग आ जा रहे है. ट्रैफिक को स्मूथ बनाने के कई सड़कों पर बैरिकेटिंग की गई है जिसके कारण भी लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. वही लोगों में ट्रैफिक सेंस का अभाव है जिसके कारण पटना जाम का शहर बनता जा रहा है. इसमें दो राय नहीं कि इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी जाम का मुख्य कारण है. सभी को जल्दबाजी होती है. जरा सी जगह मिली नहीं कि दाएं-बाएं देखे बिना ही लोग उसमें अपनी गाड़ी घुसा देते हैं. इससे जाम और भी बढ़ जाता है. जब लोगों से इसके समाधान पर बात की गई तो उनका जवाब भी यही था पहले हमें सुधरना होगा. ट्रैफिक नियमों का पालन करना होगा. कुछ ने कहा जब तक पुलिस सख्ती नहीं करेगी, तब तक ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन नहीं रोक सकते.राजधानी के लोग कहते है कि नियम तोड़ने पर कड़े दंड लगाने होंगे. साथ ही ट्रैफिक व्यवस्था को भी आधुनिक करने की जरूरत है. कुल मिलाकर बेहतर ट्रैफिक मैनेजमेंट अपना कर जाम से बचा जा सकता है.

27patna-jn-golm

कंकड़बाग के देवकी नंदन वर्मा कहते है की शहर में लिंक रोड का नहीं होना बहुत बड़ा कारण है. ऑटो व बस के लिए ठहराव बना दिए गए है पर वहां वे नहीं रुकते,छोटी दूरी के लिए भी बड़ी वाहनों का इस्तेमाल, मास्टर प्लान बनने में देरी होना, दुकानदारों का सड़क पर सामान रखना और किनारे गाड़ियों को पार्क करने के कारण भी जाम की स्थिति बन जाती है. पंकज प्रकाश कहते है की मेट्रो और गंगा रोडवेज का काम जल्द से जल्द पूरा किया जाए तो शहर में वाहनों की भीड़ से राहत मिलेगी. लोग  सड़क पर अतिक्रमण न करें शहर की अधिकतर गली किसी न किसी मकान के आगे खत्म हो जाती है, जबकि उसे किसी सड़क में मिलनी चाहिए. लोग घर तो बनाते हैं पर सीढ़ी को सड़क पर उतार देते हैं. इससे सड़क पतली हो जाती है. दोनों चीजों को ठीक कर शहर से जाम की समस्या से निजात पाया जा सकता है.

गौरव सिन्हा कहते है की पार्किंग की समुचित व्यवस्था हो जाने से और गाड़ियों के परिचालन में लेंन निर्धारण कर दिए जाने से कुछ हद तक कठिनाई कम हो सकती है.जैसे सकरे रोड में वाहनों का परिचालन निश्चित अवधि के लिए बंद कर  दिए जाएं तो सम्पर्क पथों पर जाम नहीं लगेगा. जाम लगने का सबसे बड़ा कारण हमलोग खुद ही हैं. पहले हमें सुधरना होगा. एक लेन में जाम लगी नहीं कि हम दूसरे लेन में घुस जाते हैं और उसे भी जाम कर देते हैं. इसके साथ सरकार को चौड़ी सड़क और पार्किंग बनानी चाहिए. दीघा के डॉ अमित कुमार कहते हैं की दीघा सब्जी मार्केट और दानापुर में स्टैंड से कोर्ट तक फ्लाईओवर बने तो जाम की समस्या खत्म हो जाएगी. कुछ लोगों का कहना है की सड़कों का चौड़ीकरण के साथ नियम कानून का पालन भी बहुत जरूरी होगा तभी राजधानी में लोग आसानी से आ जा सकेंगे.

अशोक राजपथ का चौड़ीकरण हो बीएनआर रोड से सुल्तानगंज तक सड़क संकरी है. इस कारण जाम लगता है. सड़कों पर पार्किंग नहीं होना चाहिए . ओम प्रकाश कहते है कि नया टोला-खजांची रोड में कई सारे कोचिंग सेंटर हैं. इनके पास पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. छात्र सड़क पर साइकिल और मोटरसाइकिल लगाते हैं.पुलिस सब जान कर भी अनदेखा करती है. यहां पार्किंग की व्यवस्था हो या फिर कोचिंग संस्थानों को ही हटाया जाए. ट्रैफिक पुलिस को चुस्त-दुरुस्त रखने की जरुरत है फिलहाल ट्रैफिक पुलिस में ज्यादातर उम्रदराज लोग हैं. वे नियमों का कड़ाई से पालन नहीं करवा पाते. लोग उन पर धौंस जमाकर निकल जाते हैं. ट्रैफिक पुलिस में युवकों की बहाली हो और उन्हें चालान काटने का अधिकार दिया जाए.

traffic

कदम कुंआ के अनिल सिन्हा कहते है कि ऑटो वालों की मनमानी बंद हो,उनकी  मनमानी से ही जाम लगता है. ऑटो के लिए अलग रूट बने और अगर वे नियमों को तोड़ते हैं, तो उन पर सख्ती से कार्रवाई की जानी चाहिए. यहां के लोगों में अनुशासन की कमी है. हम थोडा भी धैर्य नहीं रखते हैं और कहीं भी गाड़ी मोड़ देते हैं. इससे जाम की समस्या बड़ी हो जाती है. लहरिया कट वाले बाइकर्स को हर हाल में बैन किया जाए. वे तो लहराते हुए निकल जाते हैं लेकिन बाद में लोग फंस जाते हैं. अक्सर गाड़ियां उनके कारण टकरा जाती है. रश्मि सिंह कहती है सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दे रही है लेकिन लोग उन बसों में सफर ही नहीं करना चाहते. जब तक सुविधा नहीं मिलेगी तब तक सब कोई अपनी ही गाड़ी से चलना चाहेगा, तो सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ तो बढ़ेगी ही.

राजीव पाण्डेय कहते हैं आज कल हर मोड़ पर पुलिस खड़ी रहती है  इसके बावजूद ऑटो वाले सड़क पर सवारी उतारते-चढ़ाते हैं. मोड़ पर वे सवारी के लिए देर तक रूकते हैं. इससे जाम लगता है. गांधी मैदान के उत्तरी छोर पर तैनात पुलिड से ऑटोवाले डरते तक नहीं है. कारगिल चौक के पास बेतरतीब ढंग से ऑटो लगी रहती है. यहां तो पास में ही एसएसपी ऑफिस भी है, इसके बावजूद जाम की स्थिति बनी रहती है.

05bhrtraffic_sp_201832

 ट्रैफिक एस पी प्राणतोष  दास  कहते हैं शहर की आबादी तेजी से बढ़ी है. मेट्रोपॉलिटन सिटी की तरह ट्रैफिक सिस्टम को दुरुस्त करने का प्रयास चल रहा है  ट्रैफिक सिग्नल को फॉलो करने के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. कुछ महीनो में ट्रैफिक लाइटिंग सिस्टम पूरी तरह काम करने लगेगी . जेब्रा क्रॉसिंग का उपयोग किया जाने लगेगा जिससे ट्रैफिक स्मूथ होगा. मास्टर प्लान बनकर तैयार हो रहा उसकी समीक्षा की जा रही है. लोगों का  मानना है कि शहर में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और मिस मैनेजमेंट के कारण जाम की समस्या हो रही है. इंफ्रास्ट्रक्चर को तो तुरंत विकसित नहीं किया जा सकता है लेकिन बेहतर मैनेजमेंट से समस्या को दूर किया जा सकता है.

रवीन्द्र भारती 

By pnc

Related Post