आए दिन सरकारी स्कूलों में मिड डे मील को लेकर हाय तौबा मचती है. लेकिन पटना के 220 में से 107 स्कूलों में पिछले करीब 2 साल मिल डे मील बंद है और इसकी कहीं चर्चा तक नहीं होती. इन 107 स्कूलों के करीब 12 हजार बच्चे दोपहर में स्कूलों से मिलने वाली मिड डे मील से वंचित हो रहे हैं. भूखे रहने वाले बच्चे अधिकतर वैसे स्कूलों के हैं जिनके पास अपना भवन भी नहीं है और ना ही शिक्षकों की पर्याप्त संख्या है. ये कहना है बिहार विधानसभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक अरूण कुमार सिन्हा का.
स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए 1995 में मिड-डे-मील योजना शुरू की गई थी जिसके तहत एक से पाँच क्लास तक के बच्चों को दोपहर का भोजन दिए जाने की व्यवस्था थी. वर्ष 2007 में इस योजना का विस्तार करके पांचवी से आठवीं कक्षा तक भोजन की व्यवस्था कर दी गई.
दो वर्ष पहले तक इन स्कूलों में एकता शक्ति फाउंडेशन NGO द्वारा भोजन की सप्लाई की जाती थी. लेकिन वर्ष 2014 में सैदपुर के प्राथमिक विद्यालय में खाने में कथित तौर पर चूहे मिलने के बाद फाउंडेशन द्वारा भोजन सप्लाई बन्द कर दी गई, जो अब तक चालू नहीं हो सकी है.
अरुण सिन्हा ने कहा कि गर्दनीबाग अंचल के 20, महेन्द्रू अंचल के 20, गोलघर के 20 और बांकीपुर समेत अन्य अंचलों को मिलाकर 107 स्कूलों में बच्चों के पढ़ने की जगह ही नहीं है. वे झोपड़ी में या आसमान के नीचे पढ़ रहे हैं.