18 किलोमीटर सुरंग से होकर पटना मेट्रो गुजरेगी और 14 KM में बनेगा एलिवेटेड ट्रैक।
भूमि अधिग्रहण ना होने और अतिक्रमण से आ रही है दिक्कतें
पटना: मेट्रो डिपो और अन्य जगहों पर भूमि अधिग्रहण के कारण मेट्रो के काम दो वर्ष देर से चल रहे हैं।प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण में देरी से मेट्रो प्रोजेक्ट फिलहाल ग्रहण लगता दिख रहा है । कई इलाकों में अभी भूमि अधिग्रहण की रफ्तार फाइलों में दम तोड़ रही है।
राजधानी पटना में मेट्रो ट्रेन अधिकांश इलाकों में 50 से 150 फ़ीट नीचे सुरंग से होकर गुजरेगी। सिर्ग सगुना मोड़ से गोला रोड और अंतरराज्जीय बस टर्मिनल पहाड़ी से कंकड़बाग के मलाही पकड़ी तक एलिवेटेड ट्रैक से गुजरेगी। पटना मेट्रो गोला रोड में सुरंग शुरू होगी, जो पाटलिपुत्र स्टेशन, बेली रोड होते पटना जंक्शन को जोड़ेने का काम करेगी ।एलिवेटेड ट्रैक की ऊंचाई औसतन 13 मीटर और सुरंग सतह से 150 फीट तक नीचे होगी।
राजधानी पटना की घनी आबादी के बीच मेट्रो परियोजना की डिजाइन को इस तरह बनाया गया है कम से कम भूमि अधिग्रहण की जरूरत हो। अधिकांश इलाके में सरकारी भूमि की जरूरत है। सबसे अधिक करीब 75 एकड़ जमीन डिपो की जरूरत होगी। पटना मेट्रो के दो कारिडोर में दानापुर कैंट टू पटना जंक्शन करीब 17.933 किलोमीटर में करीब 10.54 किलोमीटर सुरंग से गुजरेगी। मात्र 7.39 किलोमीटर एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण होगा।
कारिडोर -2 में पटना जंक्शन से आकाशवाणी, गांधी मैदान, पीएमसीएच, एनआइटी, मोइनुलहक स्टेडियम, राजेंद्र नगर टर्मिनल, भूतनाथ रोड, जीरो माइल होते अंतरराज्जीय बस टर्मिनल तक 14 किलोमीटर में 7.926 किमी सुरंग बनाना है। मात्र छह किमी एलिवेटेड निर्माण होगा। कंकड़बाग के मलाही पकड़ी से बस टर्मिनल तक 113 खंभे पर सबसे लंबा एलिवेटेड ट्रैक और कंकड़बाग से राजेंद्र नगर टर्मिनल तक भूमिगत ट्रैक होगी।
18 किलोमीटर सुरंग से होकर पटना मेट्रो गुजरेगी और 14 KM में बनेगा एलिवेटेड ट्रैक।
बेली रोड पर ललित भवन से हड़ताली मोड़ तक के रूट पर ही दोनों प्रोजेक्ट में कुछ की जरूरत है. हड़ताली मोड़ के पास ही पटना मेट्रो का विकास भवन स्टेशन भी बनना है, जो भूमिगत होगा।
राजधानी वासियों से सरकार ने वादा किया गया था कि भूमि अधिग्रहण की कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन हो रहा है उसका उल्टा। एक अधिकारी के अनुसार जमीन जल्द नहीं मिलने से प्रोजेक्ट के कॉस्ट में भी वृद्धि हो रही है।दो रूटों पर मेट्रो संचालन में लगभग 5 से आठ साल तक का समय लग सकता है ।
PNC