पत्रकार सुरक्षा विशेष कानून बनाने को लेकर महाधरना
पत्रकारों को हत्या के बाद शहीद का दर्जा देने की उठी मांग
दिवंगत धर्मेन्द्र सिंह के परिजनों को 50 लाख रूपये मुआवजे की मांग
पत्रकारों की हत्या पर शहीद का मिले दर्जा एवं परिवार को नौकरी
राज्य के विभिन्न जिलों में आये दिनों पत्रकारों पर हो रहे जानलेवा हमले एवं हत्या के विरोध के साथ साथ देश में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर विशेष कानून बनाने ,समाचारों और फोटो के संकलन में बाधा डालने वालों पर क़ानूनी कार्रवाई करने की मांगों को लेकर पटना की सड़कों पर “ जर्नलिस्ट्स यूनियन ऑफ़ बिहार “ की ओर से शांतिपूर्ण मौन प्रदर्शन किया गया. राष्ट्रीय अध्यक्ष के.बिक्रम राव ,इन्डियन फेडरेशन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स , नईदिल्ली के आहवान पर निकाले गए ,इस मौन जुलुस में संगठन के सस्द्यों के अलावा बड़ी संख्या में विभिन्न मिडिया हॉउस से जुड़े पत्रकार,कैमरामैन शामिल थे .
संगठन के अध्यक्ष शशिभूषण प्रसाद सिंह एवं महासचिव सुधीर मधुकर ने कहा कि इस सम्बन्ध में राज्य के राज्यपाल,मुख्यमंत्री,मानवाधिकार एवं डीजीपी को ज्ञापन सौंपे जायेंगे. जिस में सासाराम में मारे गए पत्रकार धर्मेन्द्र कुमार के हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार कर स्पीड ट्रायल चलाकर न्याय दिलाने के साथ इस के परिजनों को नौकरी,सुरक्षा,शिक्षा और 50 लाख मुआवजा देने की मांग किया गया है. साथ ही इस से पहले भी पत्रकारों के साथ घटी मामलों में त्वरित कार्रवाई कर न्याय दिलाने की मांग शामिल किया गया. घटनाओं पर झोभ व्यक्ते करते हुए सरकार और प्रशासन को चेतावनी भी दिया गया है कि यदि पत्रकारों पर हमले नहीं रुका तो मजबूरन पेन डाउन स्ट्राइक पर जाने को विवश होंगे. प्रदर्शन में शामिल होने वाले में संगठन के अध्यक्ष शशिभूषण प्रसाद सिंह ,महासचिव सुधीर मधुकर,वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त , सचिव मोहन कुमार, प्रदीप उपाध्याय ,प्रभाषचन्द्र शर्मा के अलावा बीणा बेनीपुरी , डॉ.प्रवीण,ओमप्रकाश सिन्हा,अजित,शेखर,अनुराग,विशाल,मंटू कुमार,कुंदन,अमित,कुणाल,पटेल,सुधीर आदि शामिल थे
श्रमजीवी पत्रकार ने दिया महाधरना
बिहार में पत्रकारों की लगतार हो रही हत्या और हमले रुकने का नाम ही नही ले रहा है.पत्रकारों की सुरक्षा का न कोई कानून है और न ही अलग से कोई मुआवजा अक प्रावधान.ऐसी स्थिति में बिहर में पत्रकारों की जान माल की सुरक्षा सुनिश्चित हो और सासाराम के पत्रकार धर्मेन्द्र के परिजनों को पचास लाख मुआवजा , हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी बड़ा सवाल बनकर सामने खड़ा है. इस वर्ष में पत्रकार से जुड़े 14 मामले हुए . 4 पत्रकारों को अपनी जान गवानी पड़ी ,और इसके बाद भी सरकार पत्रकारों की सुरक्षा पर सोचने के लिए तैयार नहीं है. कोई राजनीतिक दल हमारी सुरक्षा की मांग नहीं उठाता. पुलिस ,पत्रकारों की हत्या के बाद ,बिना सबूत अपराधी एवं अन्य गंभीर आरोप लगा देती है . इस तरह के कई सवाल मंगलवार को श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के पटना स्थित कार्यालय परिसर में पत्रकारों के महाधरना में उठी .
यूनियन के महासचिव प्रेम कुमार ने सम्बोधित करते हुए कहां की लगातार चार पत्रकारों की हत्याएं हो गयी . सरकार को इसपर गंभीर रूप से सोचने की जरूरत है . स्थिति यह है कि हम तो निडर होकर काम कर रहें है लेकिन हमारे परिवार के लोग दहशत में रहते है जबतक घर नहीं पहुंच जाते . सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर होना चाहिए एवं पत्रकारों के सुरक्षा को लेकर विशेष कानून बनाने की जरूरत आ पड़ी है. संगठन के उपाध्यक्ष मृत्युंजय मानी ने कहां की आग, पानी, आपदा आदी से किसी को मृत्यु होती है तो सरकार उन्हें 4 लाख रूपये की मुआवजा देती है.फिर जब पत्रकार अपराधियों के गोलियों का निशाना बनता है, उसकी हत्या हो जाती है तो उसे मुआवजा क्यों नहीं दी जाती है . आखिर यह दोहरे मापदंड क्यों .सरकार पत्रकारों की हत्या पर एक विशेष मुआवजा राशि देने का प्रावधान बनाएं .वही सासाराम के पत्रकार धर्मेन्द्र सिंह के पीडि़त परिजनों को 50 लाख रूपये मुआवजा देनें की मांग रखी. संगठन के सचिव संजय कुमार ने सरकार से मांग रखी की सैनिकों एवं सिपाहियों की हत्या को जिस तरह शहीद का दर्जा प्राप्त है उसी तरह अगर किसी पत्रकार की हत्या होती है तो सरकार पत्रकार को शहीद का दर्जा दें एवं पीडि़त परिवार के एक सदस्य को नौकरी . वही संजय कुमार ने मांग रखा की एक पत्रकार के साथ जुड़ा किसी तरह की घटना की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी करें एवं पत्रकार को पक्ष रखने के बाद ही अगली कार्रवाई की जाए. इस एक दिवसीय महाधरना में पत्रकार रजनीश कुमार ,कुलदीप भारद्वाज ,संजय गोलू फोटोग्राफर , अपूर्वा, आशिष शुक्ला ,विजय सिंह ,नीतिश कुमार ,अजीत कुमार , सुधीर कुमार , गुड्डू , शीश अहमद , रविश कुमार मणि ,रवि शंकर ,क्रांति कुमार ,अमित कुमार ,प्रजापति, प्रभात रंजन ,रंजन सिन्हा ,अमित जसवाल, विक्की कुमार सहित सैकड़ों पत्रकार एवं छायाकार मौजूद थे.