पटना के निजी अस्पतालों में लूट मची है. आए दिन मरीजों के इलाज या मौत के बाद किसी ना किसी अस्पताल में मनमानी वसूली को लेकर हंगामा होता है. इसकी सबसे बड़ी वजह सरकार की बेपरवाही है जिसके कारण राजधानी के निजी अस्पतालों में बिना रेट लिस्ट लगाये ही अस्पताल संचालित किये जा रहे हैं.
मरीज से डॉक्टर की फीस, बेड चार्ज, नर्सिंग चार्ज एवं भरती के नाम पर मनमाना शुल्क वसूला जा रहा है जिससे गरीब जनता हलकान-परेशान हो रही है. ये कहना है बिहार विधान सभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक अरूण कुमार सिन्हा का. अरुण सिन्हा ने कहा कि MCI एवं नर्सिंग होम एक्ट के अनुसार सरकारी एवं निजी अस्पतालों में किसी भी तरह की जाँच के लिए रेट लिस्ट लगाना आवश्यक है. साथ ही साथ एक्स-रे, ECG, डायलिसिस, ब्लड टेस्ट के लिए लिए जाने वाले शुल्क का भी लिस्ट लगाना जरूरी है परन्तु निजी अस्पतालों में इस तरह का कोई भी रेट लिस्ट नहीं लगाया जा रहा है.
बीजेपी नेता ने कहा कि सरकार के स्तर पर भी इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. बिहार का स्वास्थ्य विभाग एवं राज्य स्वास्थ्य समिति का भी इन निजी अस्पतालों पर कोई लगाम नहीं है जिसके कारण ये अस्पताल हर साल नये चार्ज लगाकर शुल्क में 20 फीसदी तक की वृद्धि कर देते हैं. इन निजी अस्पतालों के मनमानी से आम जनता काफी परेशान है परन्तु सरकार मूकदर्शक बनी हुई है.