हिंदी और भोजपुरी फिल्म के सुप्रसिद्ध निर्देशक लेखक और अभिनेता अनिल अजिताभ का सोमवार को निधन हो गया. कैंसर से पीड़ित अनिल अजिताभ का निधन पटना के पोस्टल पार्क में हुआ. दामुल से लेकर अपहरण तक में प्रकाश झा के सबसे मजबूत बाजू थे…कुछ बढ़िया भोजपुरी फिल्मों का निर्माण भी इन्होंने किया था…महुआ पर भी इनके कई चर्चित कार्यक्रम चले थे.
मुंबई के बारह वर्षों, ख़ासकर प्रकाश झा के साथ दामुल, मृत्युदंड, अपहरण और राजनीति जैसी कालजयी फ़िल्मों के लेखन और निर्देशन के स्तम्भ अनिल अजिताभ के निधन से फ़िल्म जगत में शोक की लहर है.
पटना के रहने वाले अनिल अजिताभ के निधन पर फ़िल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने शोक प्रकट करते हुए कहा कि अनिल जी के प्रतिभा के सभी कायल थे.
वरिष्ठ रंगकर्मी निर्देशक संजय उपाध्याय ने अनिल अजिताभ के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है
उन्होंने लिखा है कि अनिल अजिताभ भाई, आपका हमसब से मिले वैगर चला जाना किसी को अच्छा नही लगा…अब तो स्मृतियां ही शेष है…
आपके कला साहित्यम नाट्य संस्था से..फिंगर प्रिन्ट,राम.श्याम जदू, कथा एक कंस की, रसगंधर्व जैसे नाटको को निदेर्शित कर आप पटना रंगमंच के स्थापित रंग निदेर्शको मे आपका नाम स्थापित हो चुका था। “एक था गदहा” मे जुम्मन मिंया का करेक्टर मै कर रहा था। मलाल ही रह गया कि महिनो रिहर्सल करने के बाद भी वह नाटक नही हो सका…..रंगमंच को बाई-बाई कर आप फिल्म की ओर रूख किया,बम्बई(मुम्मई) प्रकाश झा के साथ जुड़ गये।”दामुल,हिप हिप हूर्र….मृत्युदंड तक आप उनके साथ बतोर एसोसीएट रहे… अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने के लिए इंडिपेंडेंट होकर कई सिरियल और भोजपुरी फिल्म डाईरेक्ट किये ,जिसमे “बाहुबली” प्रमुख है..आप निरंतर सफलता की सीढी चढ़ रहे थे कि, कैंसर ने आपको सफलता की सीढ़ी से उतार कर पटना ,पोस्टलपार्क मे बिठा दिया….और आज ही आपने वही अपने निवास स्थान पर अंतिम सांस ली…
सैल्यूट है बड़े भाई आपके जीवन संघर्ष को…..शत शत नमन लिखने मे आंखे नम हो जा रही है.
फ़िल्म लेखक और निर्देशक जीतेन्द्र सुमन ने कहा कि ऐसे रचनात्मक और मेहनती लोग कम ही मिलते हैं उनके निधन से कई फिल्मों पर बड़ा असर पड़ेगा.
रवीन्द्र भारती