‘लौंडा नाच’ को राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन

रामचंद्र माझी के निधन के साथ भोजपुरी लौंडा नाच का सुनहरा अध्याय भी हुआ बंद




कला के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था

10 साल की उम्र में, वह भिखारी ठाकुर की नाटक टीम में शामिल हुए थे

पटना के आईजीएमएस अस्पताल में हुआ निधन

पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन की सूचना मिलते ही राज्य कर कलाकारों में शोक की लहर दौड़ गई है,मांझी कई दिनों से बीमार चल रहे थे,पटना के आईजीएमएस अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली.मांझी का जन्म 1925 में बिहार के सारण जिले के ताजपुर में एक दलित परिवार में हुआ था। 10 साल की उम्र में, वह भिखारी ठाकुर की नाटक टीम में शामिल हो गए और उनकी मृत्यु (1971) तक उन्होंने उनके साथ काम किया. वह ड्रामा टीम के सबसे उम्रदराज सदस्य थे . अपने जीवन में उन्होंने सुरैया, वहीदा रहमान, मीना कुमारी, हेलेन आदि जैसे कई बड़े नामों से पहले प्रदर्शन किया है. 2017 में, उन्होंने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार जीता, हालांकि उनका सम्मान 2019 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा हुआ। जनवरी 2021 में उन्हें कला के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जानेवाले भिखारी ठाकुर के नाटकों में काम करनेवाले मांझी 97 वर्ष के होने के बाद भी आज मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते थे. मांझी भिखारी ठाकुर के नाच दल में 10 वर्ष की उम्र से ही काम करते रहे. 1971 तक भिखारी ठाकुर के नेतृत्व में काम किया और उनके मरणोपरांत गौरीशंकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, दिनकर ठाकुर, रामदास राही और प्रभुनाथ ठाकुर के नेतृत्व में काम कर चुके हैं. वे भिखारी ठाकुर रंगमंडल के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे.

रामचंद्र मांझी ने लौंडा नाच को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई थी. जब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया तब उनके साथ ही साथ लौंडा नाच को भी वह सम्मान मिला, जिसके लिए वह बरसों से संघर्ष कर रहे थे. उन्हें संगीत नाटक अकादमी समेत अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. विडंबना रही कि बिहार का कोई भी कलाकार पिछले 5 दिनों में रामचंद्र मांझी को देखने अस्पताल नहीं गया. हालांकि मंत्री जितेंद्र राय उन्हें देखने गए और उनकी आर्थिक मदद भी की. 

छपरा के संस्कृति कर्मी जैनेंद्र दोस्त ने पद्मश्री रामचंद्र मांझी के मानस पुत्र की भांति अंतिम समय तक उनकी सेवा की. पद्म श्री पुरस्कार मिलने के बाद भी रामचंद्र माझी और उनका परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझता रहा. उनके जीवन का अंतिम समय मुफलिसी में कटा। रामचंद्र माझी के निधन के साथ भोजपुरी लौंडा नाच का सुनहरा अध्याय भी बंद हो गया.

दुखद समाचार !
राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री सम्मान से सम्मानित
श्री रामचंद्र मांझी जी का कल रात आईजीआईएमएस में निधन हो गया । पद्मश्री रामचंद्र मांझी जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं । 🙏
लौंडा नाच परंपरा के इस महान संवाहक का चला जाना , जो भिखारी ठाकुर जी के दल के आखरी कड़ी थे , संपूर्ण भोजपुरी समाज तथा बिहार के सांस्कृतिक अध्याय के लिए एक अपूर्णनीय क्षति है – शारदा सिन्हा

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By pnc

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