पढ़ाई में ‘सेकेंड आने वाले’ ने बना दिया “वर्ल्ड रिकॉर्ड” !!

By om prakash pandey Mar 21, 2018

वर्ल्ड रिकार्ड बनाने वाले ने कहा-“नही करनी थी सरकारी नौकरी”
सम्भावना स्कूल ने किया अमरेश को सम्मानित
10वी से ग्रेजुएट तक आया सेकेंड, पर पेंटिंग में रहा हमेशा अव्वल
“नीता लुला” ने दिया 32 डिजाइन पूरे महीने का टास्क जिसे अमरेश ने 1 दिन में ही बना डाला

आरा, 20 मार्च. विश्व मे खादी का सबसे लंबा गाउन बना लिम्का बुक में नाम दर्ज कर जिले का डंका पूरे विश्व मे बजाने वाले फैशन डिजाइनर अमरेश सिंह के लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन आज सम्भावना उच्च विद्यालय में किया गया. इस मौके पर विद्यालय के प्रबंध निदेशक कुमार द्विजेन्द्र और प्राचार्या डॉ अर्चना सिंह ने सयुंक्त रूप से अमरेश को खादी का अंगवस्त्र और पुष्प-गुच्छ देकर सम्मानित किया.




इस मौके पर डॉ अर्चना सिंह ने बताया कि यह विशेष आयोजन उनके स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र रहे अमरेश सिंह के लिए किया गया क्योंकि उसने न सिर्फ अपना और बिहार का, बल्कि जिले का नाम विश्व पटल पर रौशन किया है. उन्होंने सभागार में उपस्थित शिक्षको और आगंतुकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि अमरेश बचपन से अंतर्मुखी, जुनूनी,मेहनती और कला के प्रति रुझान वाला बच्चा था. पांचवी कक्षा में अमरेश का नामांकन हुआ और वह स्कूल के हॉस्टल में रहकर पढ़ा. बचपन से ही वह नाटक, संगीत और पेंटिंग के प्रति ज्यादा आकर्षित था.

उन्होंने कहा कि  विद्यालय को भी  इंतजार रहता है उनके बच्चों के कामयाबी का  बच्चों को भी  विद्यालय से  संपर्क  रखना चाहिए  लेकिन  आज के इस भाग दौड़ में यह में यह संभव  नहीं हो पाता है अमरेश की कई यादों को साझा करते हुए प्राचार्या ने भाव विभोर हो कहा कि आज भी मुझे यह बच्चा ही दिखता है. भावनाएं जब प्रबल हो जाती हैं तो शब्द अक्षुण्ण हो जाते हैं.

वही कुमार द्विजेन्द्र ने बताया कि बेरथ सबसे पहला नामांकन अमरेश का ही था.उसके पापा से पहले से पहचान थी हॉस्टल में रहने के दौरान बच्चों को टारगेट दिया जाता था. जिससे कमजोर बच्चे भी कम्पटीशन की भावना से पाठ याद करते थे. बच्चों के साथ जल्दी सोने और सुबह उठने का रूटीन था. अक्सर मैं बच्चों को पाठ याद कराने के लिए छड़ी लेकर बैठता था था बैठता था था और छड़ी के डर से से डर से से नहीं याद करने वाले छात्रों को भी पाठ याद हो जाया करता था. अमरेश पढ़ाई में बहुत ही साधारण छात्र लेकिन पेंटिंग और नाटक में में कमाल का स्टूडेंट था. उन्होंने वर्ष 2002 में हुए 3 महीने के कार्यशाला को याद करते हुए कहा कि “खेल खेल में” नामक एक नाटक तैयार कराया गया जिसमें 200 बच्चों ने काम किया था. उस नाटक में अमरेश ने लालू यादव की भूमिका थी. इतनी कम उम्र में उसके अभिनय में इतनी जान थी कि उसके बाद उसका अभिनय ही उसकी पहचान बन गई. उस वर्ष अमरेश ने ने पेंटिंग और नाटक में में नाटक में में प्रथम पुरस्कार जीता था. उसके बाद मुझे लगा था कि अमरेश आगे चलकर एक्टर बनेगा लेकिन पेंटिंग की ओर रुझान ने इसे फैशन की ओर मोड़ दिया. खादी पर काम करने वाले फैशन डिजाइनर अमरेश को उन्होंने राष्ट्रवादी सोच वाला व्यक्तित्व बताया बताया व्यक्तित्व बताया. उन्होंने अपने पूर्ववर्ती छात्र अमरेश को इस बड़ी सफलता पर बधाई दिया और हसते हुए माहौल को लाइट बनाते हुए कहा कि “हम जिसको छड़ी से पीटे वो कुछ न कुछ बन गया”

मशहूर फैशन डिजाइनर “नीता लुला” ने अमरेश को परखा

फाइल फोटो ( नीता लुला और मनीष मल्होत्रा के साथ अमरेश)

मंच पर जब फैशन डिजाइनर अमरेश को बुलाया गया तो उन्होंने कहा कि मुझे बनाने में स्कूल का बहुत बड़ा योगदान है. सम्भावना स्कूल में सांस्कृतिक आयोजन और उसकी कार्यशालाओं ने जीवन को गति दिया. उन्होंने कहा कि मैंने 10वी से ग्रेजुएट तक सेकेंड डिवीजन से पास किया. पढ़ाई में अमरेश का मन नहीं लगता था.  मैथ हमेशा डराता था. किसी तरह पढ़ाई में पास होता रहा लेकिन पेंटिंग ने हमेशा कॉन्फिडेंस दिया. बचपन मे ही सोचा था कि सरकारी नौकरी नही करनी है. इसलिए बड़ा होने पर भी यह विचार कभी नही बदला. पढ़ाई में जहां हमेशा सेकंड आया वही पेंटिंग में फर्स्ट जैसे नियति बन गई. अमरेश ने निफ्ट भी ट्राई किया लेकिन सफल नहीं हुए. ग्रेजुएशन के बाद 2009-11 में अजमेर से फैशन डिजाइनिंग में मास्टर किया और इस फैशन डिजाइनिंग में उन्होंने हर सेमेस्टर में टॉप किया. पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद जब जॉब के लिए मशहूर डिज़ाइनर नीता लुला के पास गए तो उन्होंने उन्हें कलमकारी, मोहनजोदड़ो और पिंसाकी मोटिव सहित 32 तरह के थीम को डिजाइन करने के लिए 1 महीने का टास्क दिया. जिसे अमरेश ने एक दिन में ही बना डाला. अमरेश के इसी जुनून और स्केचिंग ने नीता लुला को इतना प्रभावित किया अमरेश नीता लुला के साथ काम करने लगे. 2011-2013 तक मशहूर डिजाइनर नीता लूला और मनीष मल्होत्रा के साथ काम किया. फिर इंसेम्बल फैशन नाम से अपनी कंपनी बनाई जिसे अजमेर में चला रहे हैं.

खादी में बनाया गया यही है वो गाउन जिसकी वजह से लिम्का बुक में अमरेश ने जगह पायी है

खादी ही क्यों?
खादी पर काम करने वाले फैशन डिजाइनर अमरेश ने बताया कि खादी स्वदेशी है और सर्दी में यह गर्मी और गर्मी में ठंडे का अहसास देता देता अहसास देता देता है. कपड़ा इको फ्रेंडली है जिसकी वजह से यह ज्यादा आकर्षित करता है. लिम्का बुक में दर्ज अपने नाम को अपने नाम को छोटी उपलब्धि मानने वाले अमरेश जल्द ही देश में खादी का बड़ा लूम डालने वाले हैं जो खादी का सबसे बड़ा यूनिट का सबसे बड़ा यूनिट होगा.

इस सम्मान समारोह में मंच संचालन विद्यालय के उप प्राचार्य राघवेंद्र वर्मा ने किया और उन्होंने अमरेश को खादी पर काम करने और इतनी बड़ी सोच के लिए जूनियर गांधी कहकर संबोधित किया. इस मौके पर विद्यालय के म्यूजिक शिक्षक सरोज सुमन, विष्णु शंकर और संजीव सिन्हा सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएँ उपस्थित थीं.

आरा से ओ पी पांडेय और अपूर्वा की रिपोर्ट

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