राज्य में सब्जियों को बड़ा करने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का खुलेआम इस्तेमाल




जिला प्रशासन का नहीं है ध्यान

तोरई, कद्दू, कटहल, तरबूज, खरबूज व अन्य हरी सब्जियों में हो रहा इस्तेमाल

फलों में पपीता और अनानास भी इससे अछूते नहीं

डॉक्टर्स के अनुसार ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन लगी हुई हरी सब्जियों का सेवन करने से कैंसर, आखों की रोशनी कम होना, मोटापा, ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, हमेशा पेट खराब रहना सहित अन्य बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है.

पटना,राजधानी से बाहर हाइवे के किनारे खेतों में हरी-भरी सब्जियां दिखाई देती हैं, लेकिन जब इन सब्जियों का ताजा रहने का राज सामने आया तो आंखे फट गई. जल्दी मुनाफे के चक्कर में किसान इन सब्जियों को रातोंरात ऑक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगाकर बड़े आकार में बदल रहे हैं. सब्जियों में ऑक्सीटोसिन की यही मात्रा स्वाद खराब करने के साथ सेहत भी बिगाड़ रही है. पटना के आसपासऔर गंगा के दियारा इलाके में किसान सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं, लेकिन इन सब्जियों का पोषण करने के लिए ऑक्सीटोसिन नामक इंजेक्शन लगाया जा रहा है. ऑक्सीटोसिन को गाँव में भैंस के इंजेक्शन के नाम से जानते हैं. इनकी बिक्री मेडिकल स्टोरों पर ही नहीं बल्कि परचून की दुकानों तक पर भी हो रही है.

इस इंजेक्शन का कमाल यही है कि यदि इसे लौकी का एक छोटा से फल में लगा दिया जाए, तो सुबह तक वह बड़ी लौकी हो जाती है. ऐसा ही तोरई, कद्दू, कटहल, तरबूज, खरबूज व अन्य हरी सब्जियों में किया जा रहा है. मात्र तीन रुपए वाले इस ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के इस्तेमाल से सब्जियां तो अच्छी दिखाई देती हैं, लेकिन ये लोगों की सेहत बिगाड़ रही हैं.

अभी तक इस ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का इस्तेमाल भैंस व गाय का ज्यादा दूध लेने के लिए किया जाता था, लेकिन इससे मवेशी के स्वास्थ्य तक खराब हो जाता है. चूंकि दुधारू मवेशी बेजुबान होते हैं, इसलिए ऑक्सीटोसिन के दर्द को बयां नहीं कर सकते और किसान यही समझता है कि इससे दूध उत्पादन बढ़ रहा है.अब यही इंजेक्शन सब्जी व फलों में लगाया जाने लगा है. यही कारण है कि सरकार ने इसकी बिक्री पर प्रतिबंध भी लगा रखा है, लेकिन गांव की हर किराने की दुकान पर ऑक्सीटोसिन आसानी से उपलब्ध हो जाता है.

रवीन्द्र भारती

By pnc

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