एमआईएम के प्रदेश संयुक्त सचिव कलाम ने आखिरी दिन किया नॉमिनेशन
कहा खुला संघ और छिपा संघ को टक्कर देकर सेकुलरवाद को करेंगे मजबूत
मिथिला राज्य बनाने खातिर करेंगे संघर्ष
बीजेपी खेमे ने ओढ़ी चुप्पी तो आरजेडी खेमे में मची हलचल
संजय मिश्र,दरभंगा
दरभंगा लोकसभा चुनाव दिलचस्प मोड़ ले रहा है. अब यहां एआईएमआईएम की चुनावी एंट्री हो गई है. गुरुवार को पार्टी के प्रदेश संयुक्त सचिव कलाम ने नॉमिनेशन कर दिया. यहां के आमने सामने के मुकाबले के बीच टक्कर को तीसरा कोना देने की ओवैसी की तलाश के रूप में लोग इसे देखने लगे हैं.कभी आरजेडी के फायर ब्रांड युवा नेता रहे कलाम ने नॉमिनेशन के बाद कहा कि वोटर्स खुले संघ और छिपे संघ वाली मानसिकता के बीच उलझ गए हैं. उन्हें विकल्प चाहिए ताकि सेकुलरवाद की रक्षा हो और इलाके का तीव्र विकास हो. एमआईएम इस शून्य को भरने को कृत संकल्पित है.
उन्होंने — इंडी को वोट नहीं तो एनडीए को वोट दो — वाले एक टॉप आरजेडी नेता के कथित बयान का हवाला देते हुए कहा कि तीन दशक से लुका छिपी खेलने वाले इन्हीं लोगों का राज रहा है. फिर भी राज्य का समुचित विकास नहीं हो पाया है. पलायन जारी है. ऊब चुकी जनता रास्ता खोज रही है. उन्होंने किशनगंज इलाके में हाल के वर्षों में वोटर्स के रुझान के बदलाव की ओर इशारा किया. कलाम ने दावा किया कि दरभंगा लोकसभा क्षेत्र के लोगों का मिजाज भी उसी दिशा की ओर ताक रहा है.
उन्होंने गठबंधन, एनडीए और सीएम पर प्रतीकों का सहारा लेते हुए आरोप लगाया कि सिर्फ पटना और नालंदा का विकास हुआ है जबकि मिथिला विकास से अछूता है. जाति और मजहब की राजनीति ने विभिन्न समूह को वोट बैंक से ऊपर नहीं देखा. कलाम ने वायदा किया कि लोगों का आशीर्वाद मिला तो मिथिला राज्य की मांग के लिए संघर्ष करेंगे. जिससे कि किशनगंज की सीमा तक के पारंपरिक मिथिला के लोगों की उन्नति हो पाए. मिथिला की राजधानी के रूप में दरभंगा के विकास की एमआईएम की कल्पना को साकार किया जाएगा.
साल 2000 में आरजेडी से जुड़ने के साथ कलाम का राजनीतिक सफर शुरू हुआ. ऊर्जावान कार्यकर्त्ता, आम जनों से कनेक्ट और संगठन की क्षमता ने उन्हें आरजेडी के प्रदेश युवा महासचिव के ओहदे तक पहुंचाया. पार्टी में आंतरिक गुटबाजी का शिकार हुए और ओवैसी की पार्टी में शामिल होने को मजबूर हो गए. कलाम की सांगठनिक क्षमता से परिचित मौजूदा आरजेडी प्रत्याशी ललित कुमार यादव के लिए पसीना बहा रहे पार्टी के नेता सकते में हैं. सूत्रों की मानें तो वोटों के नुकसान की आशंका उन्हें सताने लगी है. उधर एनडीए नेता इस डेवलपमेंट को गौर से देख रहे हैं.
कलाम से जब पूछा गया कि क्या वे आरजेडी प्रत्याशी को हराने के लिए चुनाव मैदान में उतरे या उतारे गए हैं तो उन्होंने तपाक से कहा कि वे जीतने के लिए चुनाव लड़ने आए हैं. किसी को हराने नहीं. तमाम वर्ग के लोगों का स्नेह उन्हें मिल रहा है.