अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस पर एम्स में ब्लड डोनेशन कैम्प और पौधारोपण
नर्सो की सेवा अमूल्य – निदेशक एम्स
पटना एम्स के निदेशक डॉ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि नर्सो की सेवा अमूल्य है उनका योगदान की कोई तुलना या मूल्य नहींं लगाया जा सकता है. नारी तो सदियों से पूज्यनीय रही हैं और नर्सो ने अपनी सेवा भाव से मरीजो में जान फूंकने का अदम्य कार्य करती चली आ रही है. उन्होंने कहा की भले ही हम चिकित्सको के पास इलाज की तकनीक और अन्य चिकित्सकीय सुविधाओं का ज्ञान अधिक होता है लेकिन नर्सो की सेवा ही मरीजो को स्वस्थ्य करने में सबसे ज्यादा अहम होती है. पटना एम्स में विश्व नर्सिंग दिवस पर नर्सो को एम्स निदेशक डॉ प्रभात कुमार सिंह ने हौसला अफजाई की. इस अवसर पर एम्स निदेशक ने पौधारोपण भी किया.
वहीँ एम्स के नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल इंचार्ज रथिश नायर ने बताया की नर्सिंग की जन्मदात्री फ्लोरेंस नाइटिंगेल की 200 वीं जयंती के सम्मान में एम्स में कार्यक्रम किया गया है. उन्होंने बताया की इस साल को उनकी दो सौवीं जयती को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने “नर्स और मिडवाइफ का वर्ष” घोषित किया गया है. नर्सिंग सुपरीटेंडेंट राम्या एस ने नर्सिंग दिवस की बधाई देते कहा कि यह पेशा बहुत ही सत्कार वाला है, जिस में नर्सों को मरीजों की देखभाल कर उन को नई जिंदगी प्रदान करनी होती है. नर्सिंग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हंसमुख जैन ने बताया की चिकित्सा सेवा के क्षेत्र में आज इस एतिहासिक दिन है इस अवसर पर ब्लड डोनेशन कैम्प लगाया गया जिसमे एम्स के कर्मिओ ने 71 यूनिट रक्तदान दिया है. मौके पर एम्स चिकित्सा अधीक्षक डॉ सीएम सिंह , नवीन शर्मा , लक्ष्मी प्रसन्ना , कृष्णा वेणी एम , इन्द्रजीत समेत अन्य तामाम एम्स कर्मी मौजूद रहे.
पटना एम्स में ब्लड डोनेशन करने वाली नर्स प्रियंका कुमारी ने कहा की डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 2020 को नर्सिंग की जन्मदात्री फ्लोरेंस नाइटिंगेल की 200 वीं जयंती के सम्मान में, “नर्स और मिडवाइफ का वर्ष” के रूप में घोषित किया है. जो हम सभी नर्सो के लिए बड़ा सम्मान है. यूं तो रोजाना ही दिन रात नर्सिंग की सेवा में अपना सब कुछ दांव पर लगाकर मरीजो की जान बचाने के लिए लगे रहते हैं लेकिन कोरोना महामारी के बीच आठ से बारह घंटे तक लगातार काम करना पड़ रहा है. परिवार के साथ ही हमारे मरीज भी एक पारीवारिक सदस्य के तरह हो जाते हैं. मरीज स्वस्थ्य होकर अपने घर जाते हैं तो लगता है हमारा योगदान सफल हो गया और जब इलाज के दौरान कोई मरीज दुनिया से चला जाता है तो उस समय लगता है कोई अपना साथ छोड़ गया है .
पटना एम्स में ब्लड डोनेशन करने वाली नर्स जसप्रीत ने बताया की नर्सिंग की सेवा में आने के बाद अस्पताल और मरीज भी परिवार के सदस्य की तरह हो जाते हैं | दिन रात हम नरसिग के काम में ड्रेस कोट पहने काम करते हैं चाहे गर्मी हो या बरसात.
एम्स जैसे बड़े संस्थान में जहाँ दिन रात हजारों मरीजो का आना जाना लगा रहता है वैसे में हम अपनी जिन्दगी की सुख दुःख सब कुछ भुलाकर सेवा में लगा देते है. कभी कभी ऐसी परिस्थियों का सामना करना पड़ता है जब लगता है कि अब लोग टूट पड़ेंगे फिर भी धैर्य और साहस के साथ सेवा में लगे रहते हैं. लोगों को भी समझना चाहिए की नर्स भी उनकी ही तरह किसी परिवार की माँ बहन बेटी होती है फिर विपरीत परिस्थितियों में जैसे अपने घर की महिलाओं का सम्मान करते हैं हम नर्सो की भी परेशानी और मज़बूरी समझना होगा.
पटना से अजीत