पटना आर्ट कॉलेज के 78 वें स्थापना दिवस के अवसर पर कलाकार साझा संघ के तत्वावधान में रंगसृष्टि की प्रस्तुति “सदगति” का मंचन सनत कुमार के निर्देशन में किया गया . सदगति नाटक की कहानी समाज में छुआ छूत को उजागर करती है. यह प्रस्तुति प्रेमचंद की दो कहानी “ठाकुर का कुआँ” एवं “सदगति” पर आधारित इस नाटक के लेखक अनील ओझा है.
झारखु के पिता हरखू पानी से प्यास है और मरने की नौबत आ जाती है. प्यास से तड़पकर वह अपने मोहल्ले के एक मात्र कुआं जिसमे कुत्ता मारा हुआ है उसका पानी पीने की कोशिश करता है, उतने में ही झारखु आकार पानी को पीने से इंतजार करने का आश्वासन देता है और ठाकुर के कुएं से पानी लाने चला जाता है. ठाकुर के लोग उसे पकड़ का खूब पीटते हैं और पंडित जी के हवाले कर दिया जाता है. पंडित जी उससे खूब काम करवाता है जिसके वजह से उसकी जान चली जाती है और अंत में उसे मरे हुए कुत्ते की तरह घसीटते हुए ले जाता है.यह कहानी लोगों को सामान रूप से मनुष्य को मनुष्य समझने की वकालत करता है.इसमें नाट्य प्रस्तुति में काम करने वाले कलाकार थे – धीरज कुमार, रवि कुमार, जेटली जी, रणधीर, चन्दन, राजदीप, उज्जवल, प्रिया, अनुराग आदि.इस नाटक को दर्शकों ने सराहा ,पटना कला एवम शिल्प महाविद्यालय के स्थापना के अवसर पर कई कार्यक्रम का आयोजन किया गया.