बैंकों ने नही दिया ध्यान 17 अरब डॉलर देश से बाहर गए
देश में कम है ब्याज दर जिसके कारण बहार गए डॉलर
थोड़े से ब्याज दर बढ़ाने से रुक सकते थे डॉलर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चाहतों पर पानी फिरता नजर आ रहा है .मोदी चाहते है कि राष्ट्रनिर्माण के लिए प्रवासी भारतीय (एनआरआई) देश में डॉलर भेजें,लेकिन डॉलर भेजने के बजाये निकालने में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं .पिछले साल अक्टूबर-नवंबर में इन लोगों ने 17 अरब डॉलर की रकम यहां से निकाली है. इससे रुपये पर बहुत दबाव बन गया है और वह सितंबर 2013 के लेवल पर पहुंच गया, जब देश मुद्रा संकट का सामना कर रहा था.
बैंकरों ने बताया कि अक्टूबर-नवंबर में एनआरआई ने फॉरेन करंसी नॉन-रेजिडेंट बैंक यानी (एफसीएनआर-बी) के जरिये देश से इतनी बड़ी रकम देश से ले गए जिससे देश को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है .अधिकारियों ने बताया कि नवंबर महीने में एनआरआई ने 11.41 अरब का यह डिपॉजिट को निकाल लिया . इसके साथ ही एनआरआई नवंबर में 11.43 अरब डॉलर की रकम ले गए, जो किसी एक महीने में उनकी तरफ से निकाली गई सबसे अधिक रकम है, इससे प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को धक्का लगा है .
इस निकासी पर चिंता व्यक्त करते हुए केयर रेटिंग्स के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘एफसीएनआर-बी डिपॉजिट वाला पैसा तो बाहर जाना ही था. इसे दो-तीन महीनों के दौरान निकला गया क्योंकि भारत से ज्यादा अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोतरी हुई है जिसके कारण भी बहुत बड़ी रकम के डॉलर देश से चले गए.