राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी से दूर होगी परीक्षा आयोजन की समस्याएं :कुलपति

By om prakash pandey Aug 25, 2020

आरा, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के रीजनल आउटरीच ब्यूरो, पटना द्वारा आज “एक देश-एक भर्ती परीक्षा: राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी” विषय पर वेब गोष्ठी का आयोजन किया गया। 




मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के कुलपति डॉक्टर देवी प्रसाद तिवारी ने कहा कि भिन्न-भिन्न परीक्षाओं के आयोजन में होने वाली परेशानियों को कम करने के लिए ही राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की व्यवस्था की गई है। इस नई व्यवस्था से जहां एक ओर गरीब उम्मीदवारों को भरपूर लाभ मिलेगा वहीं दूसरी ओर लड़कियों को बहुत दूर जाकर परीक्षा देने के तनाव से मुक्ति मिलेगी। उन्होंने कहा कि परीक्षा की नई व्यवस्था से देश में नई संकल्पना, नई चेतना एवं नई ऊर्जा का संचार होगा और देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह एजेंसी वर्ष 2021 से काम करना शुरू करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने अपने राज्य में एनआरए को लागू करने का फैसला लिया है।

अतिथि वक्ता के तौर पर शामिल जाने-माने गणितज्ञ एवं सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार ने कहा कि एक देश-एक भर्ती परीक्षा भिन्न-भिन्न परीक्षाओं में शामिल होने वाले लाखों विद्यार्थियों की समस्याओं, अलग-अलग परीक्षाओं के लिए बहुत सारी किताबों को पढ़ने की परेशानियों, तरह तरह के कोचिंग संस्थानों की झंझटों से मुक्ति का साधन बनेगा। यह नई व्यवस्था गांव व गरीब वर्ग के छात्रों को राहत देगा। अब देश के दूरदराज गांवों के गरीब के बच्चे अपनी मातृभाषा में और अपने जिले में परीक्षा दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी तथा नई शिक्षा नीति की समानताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा कि यह दोनों व्यवस्थाएं मातृ भाषा में शिक्षा प्रदान करने तथा मातृ भाषा में परीक्षा लेने की व्यवस्था लागू करने की दिशा में एक बहुत अभूतपूर्व कदम है। उन्होंने कहा कि जब बीज बेहतर तरीके से अंकुरित होगा तभी अच्छा पौध तैयार होगा।

विषय प्रवेश करते हुए पीआईबी के निदेशक श्री दिनेश कुमार ने कहा कि रोजगार के क्षेत्र में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परीक्षा की पुरानी व्यवस्थाओं में परिवर्तनकारी सुधार लाएगा। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की आवश्यकताओं, प्रमुख बिंदुओं, सीईटी एवं एनआरए की मुख्य विशेषताओं, दायरो एवं महत्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसरों को लोगों तक पहुंचाना एक महत्वपूर्ण कदम है।

अतिथि वक्ता के रूप में बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य प्रोफेसर डॉ विजय कांत दास ने कहा कि मानव संसाधन चयन के परिप्रेक्ष्य में यह व्यवस्था परिवर्तनकारी, आवश्यक एवं अपरिहार्य है। राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी 12 भाषाओं में परीक्षा देने का विकल्प देगी। इस व्यवस्था से देश की मृतप्राय 2000 क्षेत्रीय भाषाएं, बोलियां एवं संस्कृतियां पुनर्जीवित हो जाएंगी। उन्होंने केंद्र सरकार से एनआरए में दो सुझाव समाहित करने की बात कही है – पहला, इस एजेंसी को ज्यादा राष्ट्रपरक बनाने के लिए वर्तमान में कम से कम संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भारतीय भाषाओं में परीक्षा ली जानी चाहिए तथा बाद में 2000 भाषाओं व बोलियों में इसका विस्तार किया जाना चाहिए; दूसरा, एनआरए के स्कोर कार्ड के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) में भी नियुक्ति की जानी चाहिए। इन दोनों पहलों से एनआरए का आकर्षण बढ़ जाएगा और अधिक से अधिक उम्मीदवारों को इसका लाभ मिलेगा।

वेब-गोष्ठी की अध्यक्षता पीआईबी एवं आरओबी के अपर महानिदेशक श्री एस के मालवीय ने की। उन्होंने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि एक देश एक भर्ती परीक्षा व्यवस्था परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी गरीब छात्र उम्मीदवारों एवं लड़कियों के लिए वरदान साबित होगा।

वेब गोष्ठी का संचालन पीआईबी के सहायक निदेशक श्री संजय कुमार ने तथा धन्यवाद ज्ञापन आरओबी के सहायक निदेशक श्री एन एन झा ने किया। दूरदर्शन संवाददाता मुकेश कुमार सिन्हा ने वेबिनार के सफल आयोजन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रवि प्रकाश सूरज की रिपोर्ट


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