एनएमसी के आदेश का पालन न करने पर डॉक्टरों पर होगी कार्रवाई
फार्मास्युटिकल कंपनियों के जरिए आयोजित कॉकटेल डिनर में अब शामिल नहीं हो सकेंगे डॉक्टर्स
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से परामर्श शुल्क या गिफ्ट लेना गलत: एमसीआई
एमएमसी ने दिए डॉक्टरों को सिर्फ जेनरिक दवा लिखने का आदेश
आईएमए का कहना है कि यदि सरकार और एनएमसी चाहती है कि देश के सभी डॉक्टर केवल जेनेरिक दवाएं लिखें,तो उन्हें सभी दवा कंपनियों को बिना ब्रांड नाम वाली सभी दवाएं बनाने का आदेश देना चाहिए. फिर किसी को ब्रांड नाम लिखना नहीं पड़ेगा.
हमारे देश के प्राइवेट अस्पतालों में बीमारियों का इलाज अगर महंगा है तो उसके पीछे एक बड़ी वह फार्मास्युटिकल कंपनियों की महंगी दवाएं हैं. देश के ज्यादातर गैर-अस्पतालों में डॉक्टर मरीजों को ब्रांडेड दवाएं खरीदने की सलाह देते हैं, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती है. नेशनल मेडिकल काउंसिल भी इस मामले पर चिंता जाहिर कर चुकी है.
देश के कई डाक्टर्स फार्मास्युटिकल कंपनियों के जरिए आयोजित कॉकटेल डिनर और सेमिनार में हिस्सा लेते हैं. वहीं, डॉक्टर्स कई प्रकार के लोभ में आकर मरीजों को ब्रांडेड दवाएं खरीदने की सलाह देते हैं. हालांकि,अब देश के डॉक्टर्स फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा आयोजित ऐसे सेमिनार और पार्टियों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. नेशनल मेडिकल काउंसिल ने आदेश जारी करते हुए डॉक्टरों को फार्मास्युटिकल कंपनियों द्वारा आयोजित पार्टियों में शामिल होने पर रोक लगा दी है. वहीं, अगर कोई डॉक्टर इस आदेश का पालन नहीं करते तो तीन महीने के लिए उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा.
नए पेशेवर आचरण नियमों की धारा 35 के तहत डॉक्टरों और उनके परिवारों को फार्मास्युटिकल कंपनियों या मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से परामर्श शुल्क या गिफ्ट लेने से मना करती है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉक्टरों और उनके परिवारों को फार्मास्युटिकल कंपनियों से गिफ्ट, यात्रा सुविधाएं लेने पर पहले ही रोक लगा दी है. एमसीआई ने जनवरी 2010 में फार्मा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को दिए जाने वाले सभी उपहारों पर प्रतिबंध लगा दिया था.बता दें कि कुछ दिनों पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि एनएमसी का डॉक्टरों को सिर्फ जेनरिक दवा लिखने का आदेश चिंता का विषय है.
हालांकि,इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) के आदेश का विरोध किया है.आईएमए राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शरद कुमार अग्रवाल ने कहा कि एनएमसी का मरीजों को सिर्फ जेनेरिक दवाएं लिखने का आदेश हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय है,क्योंकि इसका सीधा असर मरीजों की देखभाल और सुरक्षा पर पड़ता है.
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