जिसने मोदी को दिया आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक का मूल मंत्र…

By pnc Nov 22, 2016

सरकार ने बेहोशी की दवा दिए बिना ऑपरेशन कर दिया- अनिल बोकिल

हमारे प्रस्ताव में से दो को माना गया जिसके कारण हुई ये स्थिति 




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नोटबंदी की घोषणा तो प्रधानमंत्री ने कर दी पर कौन था वो शख्स जिसने मोदी को  मूल मंत्र दिया  और लोग इसे प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी का काले धन पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ समझ बैठे. प्रधानमंत्री के इस बड़े कदम के पीछे जो आइडिया है वो है पुणे निवासी अनिल बोकिल और उनके थिंक टैंक अर्थक्रांति प्रतिष्ठान का जो इस दिशा में वर्ष 2000 से काम कर रहा है. मोदी ने बोकिल के प्रस्ताव को सुना और बिना बेहोशी की दवा दिए ही ऑपरेशन कर दिया जिसका ताजा उदाहरण है लोगों की मौत और रुपये की मार की त्रासदी .सरकार के इस फैसले के बाद देश में जो हालत उत्पन्न हुए है उसे अब बोकिल केंद्र सरकार के पाले में डाल रहे है .एक अखबार को दिए गए बयां में उन्होंने कहा कि सरकार ने उनके सुझाव को पूरा-पूरा मानने के बजाय अपनी पसंद को तवज्जो दी है जिससे देश में ऐसे हालत उत्पन्न हुए हैं.

काले धन पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ में क्या गड़बड़ी हुई, इस बारे में अनिल बोकिल का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने एक व्यापक प्रस्ताव रखा था जिसके पांच आयाम थे. हालांकि, सरकार ने इनमें सिर्फ दो को ही चुना. यह अचानक उठाया गया कदम था, ना कि बहुत सोचा-समझा. इस कदम का ना ही स्वागत किया जा सकता है और ना ही इसे खारिज कर सकते हैं. हम इसे स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं. हमने सरकार को जो रोडमैप दिए थे, उससे ऐसी परेशानियां नहीं होतीं.

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बकौल बोकिल उन्होंने सरकार से कहा-

  1. केंद्र या राज्य सरकारों के साथ-साथ स्थानीय निकायों द्वारा वसूले जाने वाले प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, सभी करों का पूर्ण खात्मा।
  2. ये टैक्सेज बैंक ट्रांजैक्शन टैक्स (बीटीटी) में तब्दील किए जाने थे जिसके अंतर्गत बैंक के अंदर सभी प्रकार के लेनदेन पर लेवी (2 प्रतिशत के करीब) लागू होती. यह प्रक्रिया सोर्स पर सिंगल पॉइंट टैक्स लगाने की होती. इससे जो पैसे मिलते उसे सरकार के खाते में विभिन्न स्तर (केंद्र, राज्य, स्थानीय निकाय आदि के लिए क्रमशः 0.7%, 0.6%, 0.35% के हिसाब से) पर बांट दिया जाता. इसमें संबंधित बैंक को भी 0.35% हिस्सा मिलता. हालांकि, बीटीटी रेट तय करने का हक वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास होता.
  3. कैश ट्रांजैक्शन (निकासियों) पर कोई टैक्स नहीं लिया जाए.
  4. सभी तरह की ऊंचे मूल्य की करंसी (50 रुपये से ज्यादा की मुद्रा) वापस लिए जाएं.
  5. सरकार निकासी की सीमा 2,000 रुपये तक किए जाने के लिए कानूनी प्रावधान बनाए.

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अगर ये सभी सुझाव एकसाथ मान लिए गए होते, तो इससे ना केवल आम आदमी को फायदा होता बल्कि पूरी व्यवस्था ही बदल गई होती. हम सबकुछ खत्म होता नहीं मान रहे. हम सब देख रहे हैं. लेकिन, सरकार ने बेहोशी की दवा दिए बिना ऑपरेशन कर दिया. इसलिए मरीजों को जान गंवानी पड़ी.हम इस प्रस्ताव पर 16 सालों से काम कर रहे हैं जब अर्थक्रांति साल 2000 में स्थापित हुई.तब से लेकर आज तक काम कर रहे हैं .जल्द ही मैं प्रधानमंत्री से मिलकर इस समस्या का हल निकालने की कोशिश करूँगा.

By pnc

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