प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में हुआ निर्णय
हमारी उदारता का बेजा फायदा उठाया नीतीश ने
36 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य
संजय मिश्र,दरभंगा
दो दिनी मंथन के बाद बिहार बीजेपी कार्यसमिति ने आखिरकार तय कर लिया है कि आने वाले चुनावों में पार्टी अपने बूते रण में उतरेगी. बैठक के बाद बिहार बीजेपी अध्यक्ष ने प्रेस मीट कर बताया कि किसी कीमत पर अब नीतीश से समझौता नहीं होगा. राहें जुड़ा रहेंगी. ऐसा स्टेट यूनिट को कह दिया गया है. और इसके साथ ही उन कयासों पर विराम लगता दिखा कि जेडीयू की गवर्नेंस में घर वापसी के लिए किसी स्तर पर बीजेपी से बात चल रही है. संजय जायसवाल ने इस संबंध में अपने कार्यकर्ताओं की दुविधा के स्वर उठने पर ये बात कही कि आगामी चुनावों में नीतीश से गठबंधन नहीं होगा. बीजेपी स्टेट प्रेसिडेंट ने कहा कि एकला चलो ही अब रास्ता होगा.
कार्यसमिति की बैठक में तय हुई रणनीति के मुताबिक अगले 4 महीने के कार्यक्रम की रूप रेखा बनाई गई है. पंचायत स्तरों पर सघन सभाएं होंगी. जिनमें पीएम मोदी के कल्याणकारी योजनाओं के बारे में आम जनों को तफसील से बताया जाएगा. अभी साढ़े तीन सौ दिन लोक सभा चुनाव की तैयारियों में लगाएंगे. उसके बाद विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटेंगे. बिहार में बीजेपी के चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा.यूपी में बेहतर शासन और विकास को बिहार की जनता भी देख रही है. मौजूदा सरकार के विभाजनकारी प्रयासों के कारण लोग बीजेपी की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं.
संजय जायसवाल ने दावा किया कि पिछले विधान सभा चुनाव में पीएम की लोकप्रियता और जमीनी काम के कारण बीजेपी को 74 सीटें मिली थीं. जबकि नीतीश की अलोकप्रियता के कारण जेडीयू को कम सीटें मिली. इतना ही नहीं बीते लोक सभा चुनाव में बिहार की जनता ने 39 लोक सभा सीट देकर पीएम के हाथ मजबूत किया था.कार्यसमिति के दौरान बीजेपी नेता नीतीश पर हमलावर होने के बदले आगे की रणनीति और कार्यक्रमों पर जोर देते दिखे लेकिन दो दिनों की बैठक में मंथन समाप्त होने के बाद आयोजित प्रेस मीट में बीजेपी नेता ने नीतीश पर निर्मम प्रहार किया. कहा गया कि नीतीश कुमार आदतन धोखेबाज हैं. संजय जायसवाल ने तल्ख अंदाज में कहा कि जो व्यक्ति जॉर्ज फर्नांडिस का नहीं हुआ वो किसी का अपना नहीं हो सकता. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश आत्ममुग्ध और घमंडी हैं. दस लाख नौकरी का वायदा कर महागठबंधन सरकार बनाई लेकिन 20 कैबिनेट बैठक होने के बाद भी नौकरी देने के नाम पर चुप्पी है. जबकि एनडीए में रहते हुए बीजेपी के साथ मिलकर एक लाख शिक्षकों को नौकरी देने का निर्णय हुआ था.