बिहार में शराबबंदी है फेल
जहरीली शराब पीने वाले 60 से अधिक लोगों की जा चुकी है जान
सारण कांड की हो उच्च स्तरीय जांच
पीड़ित परिवारों को मुआवजा न देने की नीतीश की जिद्द अमानवीय
प्रशासन तंत्र की निष्क्रियता के कारण शराबबंदी बेअसर
संजय मिश्र, दरभंगा
सारण जिले में हाहाकार मचा है. विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों में चीत्कार थमने का नाम नहीं ले रहा. पीड़ित परिवारों के घर सिसकी का साम्राज्य है. जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा 60 को पार कर गया है. लेकिन विकलता की जगह सीएम नीतीश कुमार संवेदनहीनता की हदें पार कर गए हैं.ये बातें लोजपा रामविलास के दरभंगा युवा जिला अध्यक्ष प्रदीप कुमार पासवान ने शुक्रवार को कही. उन्होंने आशंका जताई कि मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है.
लोजपा नेता ने प्रेस बयान जारी कर मांग की है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच हो. प्रदीप कुमार पासवान सीएम के उस बयान से आहत हैं जिसमें कहा गया कि जो पिएगा वो मरेगा. लोजपा नेता ने कहा कि ये निष्ठुरता है. देश में राजतंत्र नहीं है. प्रजातांत्रिक व्यवस्था में इस तरह का बयान जले पर नमक छिड़कने जैसा है.
उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि सीएम इस मानवीय त्रासदी की जिम्मेवारी लें और तकनीकी बातों का सहारा न लें. जिद्द छोड़ें और पीड़ित जनों के लिए मुआवजे की पहल करें. शराबबंदी के अमल में व्यवहारिक कठिनाई को देखते हुए कम से कम ताड़ी उद्योग को शराबबंदी की नीति से बाहर करने पर सोचें.उन्होंने कहा है कि घटना की जद में आने वाले कई लोगों के आंख की रौशनी जा चुकी है. शराबबंदी कानून के डर से कई प्रभावित लोग निजी अस्पतालों में छुप छुपा कर इलाज करा रहे. ऐसे समय में सरकार से संजीदगी की अपेक्षा है.
उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन का ताना बाना त्रस्त है. लोभ के कारण युवा शराब माफिया के चंगुल में फंसकर नारकीय भविष्य की ओर जा रहे. वहीं पुलिस प्रशासन का अधिकांश समय शराब के धंधे से जुड़े लोगों को पकड़ने के मिले लक्ष्य को पूरा करने में जा रहा है. स्थिति का फायदा उठा कर अपराधी सर उठा रहे हैं.लोजपा नेता ने चिंता जताई कि इस स्थिति में सबसे अधिक मार गरीब गुरबों को झेलनी पड़ रही है.