उनके खिलाफ भी दर्ज है हत्या का मामला :एडीआर रिपोर्ट
हत्या का मामला 26 साल है पुराना
घटना में शिकायतकर्ता के अलावा चार अन्य लोग भी हुए थे घायल
लालू यादव ने नीतीश को हत्या और आर्म्स ऐक्ट में आरोपी बताया था तब गिर गई थी सरकार
हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन 8 वर्षों के दौरान इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई
खुद को सुशासन बाबू कहलाने वाले बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी दागदार हैं.उनपर लगाया गया हत्या का यह मामला 26 साल पुराना है, जिसमें पंडारख थाना क्षेत्र के ढीबर गांव के रहने वाले अशोक सिंह ने नीतीश कुमार सहित कुछ अन्य लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था. अशोक सिंह ने इस बाबत दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया था कि बाढ़ सीट पर मध्यावधि चुनाव में वह अपने भाई सीताराम सिंह के साथ वोट देने मतदान केंद्र गए थे, तभी इस सीट से जनता दल उम्मीदवार नीतीश कुमार वहां आ गए. उनके साथ मोकामा से विधायक दिलीप कुमार सिंह, दुलारचंद यादव, योगेंद्र प्रसाद और बौधु यादव भी थे. सभी लोग बंदूक, रायफल और पिस्तौल से लैस होकर आए थे.
एफआईआर में आगे कहा गया है कि फिर अचानक नीतीश कुमार मेरे भाई को जान से मारने की नीयत से फायर किया, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई.’ एफआईआर के मुताबिक, इस घटना में शिकायतकर्ता के अलावा चार अन्य लोग भी घायल हो गए.
नीतीश के खिलाफ दर्ज इस एफआईआर को लेकर अब यह बात सामने आ रही है कि 1991 का यह मामला वर्ष 2009 में दोबारा उछला था. तब 1 सितंबर 2009 को बाढ़ कोर्ट के तत्कालीन अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) रंजन कुमार ने इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मामले में ट्रायल शुरू करने का आदेश दिया था.
इस पर फिर नीतीश कुमार ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दर्ज कर मामले को रद्द करने की मांग की थी. इस पर हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के आदेश पर स्टे लगा दिया और इस हत्याकांड में नीतीश के खिलाफ चल रहे सभी मामलों को उसके पास स्थानांतरित करने को कहा था. हालांकि हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद इन 8 वर्षों के दौरान इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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