नीतीश जी शराबबंदी के नशे में मदहोश हैं. विधानसभा परिसर में शराब की ख़ाली मिली बोतलों पर उनकी असमान्य प्रतिक्रिया बता रही है कि उनको तत्काल मनोरोग विशेषज्ञ की सहायता की ज़रूरत है. ये कहना है राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का. उन्होंने कहा कि ख़ाली बोतल कैसे परिसर में पहुँची यह पता लगाने के लिए सरकार की पूरी ताक़त झोंक दी गई है. मुख्य सचिव और डीजीपी ख़ाली बोतलों का निरीक्षण करते दिखाई दे रहे हैं !
अपने लंबे शासन काल में नीतीश कुमार ने बड़े बड़े काम ठाने. भूमि सुधार, सबको एक समान शिक्षा आदि. यहाँ तक कि जिन नरेंद्र मोदी से इन्हें इतना परहेज़ था. जिनसे अलग होने के बाद इन्होंने संकल्प लिया था कि मिट्टी में मिल जाऊँगा लेकिन इनके साथ अब नहीं जाऊँगा.
पर अपने किसी भी संकल्प पर क़ायम नहीं रह पानेवाले नीतीश जी ने, सनक की सीमा लांघ कर शराबबंदी पर सारी ताकत लगा दी है. इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखाई दे रहे हैं.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि इस संदर्भ में उनकी संपूर्ण गतिविधि में मज़बूत आदमी का संकल्प नहीं बल्कि एक कमजोर आदमी की ज़िद्द दिखाई दे रही है. यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि नीतीश जी अपनी ज़िद्द में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को पुलिसिया व्यवस्था में तब्दील करते नज़र आ रहे हैं.
दरअसल दरअसल बिहार परिसर में मंगलवार को शराब की कई खाली बोतलें बरामद हुई है यह सब कुछ हुआ है बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान जब विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी पूरी कैबिनेट और तमाम विधायक और विधान पार्षद भी मौजूद थे ऐसे में हंगामा उठना लाजमी है शराब की बोतलें मिलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी को बुलाया और मामले की जांच के आदेश दिए हैं.
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