‘नीतीश ने सामाजिक न्याय की राजनीति को अन्याय की राजनीति में बदल दिया’

पटना (ब्यूरो रिपोर्ट) । राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी का कहना है –

बहुत कुछ गवाँ कर नीतीश कुमार को शराबबंदी के तालिबानी क़ानून में संशोधन का ख़याल आया. पहले तो बिहार की गली-गली में नीतीश सरकार ने शराब की दुकान खुलवाई. शराब का लत लगाकर लोगों को शराबी बनाया. इतनी बदतर हालत हो गई थी कि शराबियों के उत्पात से गाँव-देहात में महिलाओं का घरों से बाहर निकलना कठिन हो गया था. जगह-जगह महिलाओं ने नीतीश कुमार की सभाओं में शराब की इस प्रकार की खुली और व्यापक बिक्री का विरोध करना शुरू किया. लेकिन नीतीश कुमार से जवाब मिलता था कि अगर शराब की बिक्री बंद हो जाएगी तो लड़कियों को जो सायकिल और पोशाक का पैसा मिल रहा है वह कहाँ से आएगा !
लेकिन अचानक नीतीश जी को शराबबंदी के सहारे चेहरा चमकाने का ख़याल आया. समाज में बग़ैर शराबबंदी के पक्ष में जागरूकता फैलाए आनन-फ़ानन में तानाशाही मंडन में तालिबानी क़ानून बना कर लागू कर दिया. हमारे समाज में ग़रीबों और दलितों के शोषण का एक ज़रिया शराब भी रहा है. शराब के नशे में मदहोश कर उनसे अमानवीय काम करवाना तो हमारे यहाँ की आम रवायत रही है. आज भी है. कई दलित, आदिवासी और पिछड़ी जातियों में नशा तो उनके जीवन का अंग बन गया था. शराब पीना भी अपराध हो सकता है यह उनके सपना में भी नहीं आया होगा.
इसलिए बग़ैर जागरूकता फैलाए सत्ता के झोंक में लिए गए नीतीश सरकार के शराबबंदी क़ानून के क़हर का सबसे ज़्यादा शिकार यही तबक़ा हुआ. पहली सज़ा जहानाबाद के मुशहर समाज के दो भाइयों को मिली. मस्तान और पेंटर माँझी को पाँच-पाँच साल की क़ैद और लाख-लाख रु. दंड की सज़ा मिली. दोनों का परिवार उनकी रोज़ाना मज़दूरी से ही चलता था. पता नहीं जेलों में बंद ऐसे लोगों का परिवार कैसे चलता होगा ! अबतक सज़ा पाए और जेल गए लोगों की सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि की पड़ताल की जाए तो प्राय: सभी वंचित समाज के लोग ही इस क़ानून के शिकार मिलेंगे. नीतीश कुमार ने अपने सामाजिक न्याय की राजनीति को इस क़ानून के ज़रिए अन्याय की राजनीति में बदल दिया.
लेकिन सिर्फ क़ानून में बदलाव से ही संतुष्ट नहीं हुआ जा सकता है. मौजूदा तालीबानी क़ानून के अंतर्गत जितने भी मामले बिहार में दर्ज हुए हैं उन्हे शीघ्र वापस लिया जाय. पुराने क़ानून के अंतर्गत जितने लोग सजा भुगत रहे हैं उनकी सजा को तत्काल माफ़ कर उन्हें जेलों से रिहा किया जाए. इतना करने के बाद ही नीतीश कुमार का कसरत पूरा होगा.




By Nikhil

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