करीब 13 लाख शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है. 18 माह का डीएलएड कोर्स किए हुए शिक्षकों के लिए त्रिपुरा से एक बड़ी खबर आ रही है. त्रिपुरा हाई कोर्ट के फैसले को त्रिपुरा सरकार कोर्ट के हर फैसले को मानने के लिए तैयार है इसके लिए त्रिपुरा शिक्षा विभाग ने अपने अधिकारी वेबसाइट पर सूचना जारी कर दिया है. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि लॉक डाउन खत्म होने के बाद विधिवत इस पर आगे कदम बढ़ाया जाएगा .
एनआईओएस से डीएलएड किए हुए शिक्षकों की नियुक्ति के लिए मान्य घोषित करने के पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिहार सरकार ने एनसीटीई को पत्र जारी कर यह पूछा है कि एनसीटीई पटना हाई कोर्ट के फैसले को डबल बेंच पर चुनौती देगी या नहीं. हालांकि त्रिपुरा शिक्षा विभाग के फैसले के बाद बिहार में भी शिक्षकों की एक उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है.
18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को उन 15 लाख शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया था, जो अप्रशिक्षित थे और आरटीई कानून के चलते उनकी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) ने करीब 13 लाख शिक्षकों को यह कोर्स कराया था. इसके लिए संसद में कानून पारित कर विशेष रूप से मंजूरी ली गई थी. हालांकि, कोर्स करने के बाद जब बिहार के निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने सरकारी भर्ती के लिए आवेदन किया तो बिहार सरकार ने एनसीटीई से इस बारे में राय मांगी कि क्या ये शिक्षक भर्ती के लिए योग्य हैं? जवाब में एनसीटीई ने 18 माह के डीएलएड को अमान्य करार दे दिया. इसके बाद शिक्षक पटना हाईकोर्ट की शरण में गए थे. हाईकोर्ट ने 21 जनवरी 2020 को.इस कोर्स को नई नियुक्तियों के लिए भी मान्य घोषित किया था.
राजेश तिवारी की रिपोर्ट