बिहार में लाखों शिक्षक कई वर्षों से इस इंतजार में हैं कि उनका तबादला उनके घर के नजदीक किसी विद्यालय में हो ताकि उनके परिवार की परेशानियां दूर हो सकें. शिक्षा विभाग ने इसी वर्ष ट्रांसफर पॉलिसी लागू करने की बात कही है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ट्रांसफर के लिए एक खास सॉफ्टवेयर तैयार किया जा रहा है जिसके जरिए इच्छुक शिक्षक तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे.
इन सबके बीच बिहार में हाल में नियुक्त किए गए हजारों शिक्षकों ने सरकार से अपील की है कि उन्हें भी तबादला नीति में शामिल किया जाए क्योंकि सरकार ने नए शिक्षकों के लिए ऐसी कोई घोषणा अब तक नहीं की है. एनआईओएस डीएलएड संघ के प्रदेश अध्यक्ष पप्पू कुमार ने पटना नाउ को बताया कि फरवरी में जॉइनिंग के बाद अब तक 1 दर्जन से ज्यादा शिक्षक अपनी जान गवा चुके हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अधिकतर शिक्षकों की पोस्टिंग उनके गृह जिले से दूर हुई है. हर सुबह स्कूल जाने के लिए वे सार्वजनिक या निजी वाहन से निकलते हैं और स्कूल पहुंचने की हड़बड़ी में दुर्घटना में अपनी जान गवां रहे हैं.
मार्च -अप्रैल माह में निम्न शिक्षक/शिक्षिका का सड़क दुर्घटना में आकस्मिक निधन हुआ है.
- जयशंकर प्रसाद मधेपुरा
- आभा कुमारी छपरा
- तबरेज आलम आरा
- सरिता कुमारी नालंदा
- गोपाल झा सहरसा
- सुशील कुमार केसरिया
- मौलाना गुलाम ख्वाजा साहब मुजफ्फरपुर
- बीरबल सिंह खगड़िया
- आलोक रंजन मुजफ्फरपुर
- साजिद इमाम जहानाबाद
- रघुनाथ सिंह भभुआ
- रेणु कुमारी नवीनगर
पप्पू कुमार ने पटना नाउ को शिक्षकों की मौत पर शोक जताते हुए बताया कि इन शिक्षकों के पूरे परिवार ने क्या-क्या सपना संजोए होंगे जो शिक्षक का निधन हुआ वो अपने जीवन में क्या-क्या करने के लिए सोचे होंगे. उन्होंने कहा कि सरकार ने हम लोगों की नौकरी दी उसके लिए तहे दिल से धन्यवाद. पूरे बिहार में एक बार और 1 दिन ही काउंसलिंग कराने का प्रावधान शिक्षा विभाग ने किया था. लेकिन शिक्षा विभाग के द्वारा जारी शेड्यूल के अनुसार कई नियोजन इकाइयों ने काउंसलिंग नहीं की. नियोजन इकाई की मनमानी के वजह से अपने शहर के नियोजन इकाई को छोड़कर दूसरे नियोजन इकाई में शिक्षक विद्यार्थियों को काउंसलिंग कराना पड़ा. इसकी वजह से अधिकांश अभ्यर्थी अपने घर से काफी दूर चले गए. एनआइओएस डीएलएड संघ के अध्यक्ष ने कहा कि लगभग 42 हजार नये शिक्षक रोज सुबह घर से स्कूल जाने के लिए निकलते हैं जिसमें से अधिकांश शिक्षक का स्कूल 150 किलोमीटर, 100 किलोमीटर 50 किलोमीटर से कम नहीं है. पैसे के अभाव में शिक्षक जहां पर पदस्थापित है वहां पर कमरा लेकर नहीं रह सकते. इस परिस्थिति में नवनियुक्त शिक्षक बाइक से ही ट्रैवल करते हैं स्कूल समय पर पहुंचे उसके लिए हड़बड़ी होती है और दुर्घटना हो जाती है.
उन्होंने कहा कि नियोजन इकाईयों की मनमानी का खामियाजा शिक्षक और उनका परिवार भुगत रहे हैं. ट्रांसफर की नई नियमवाली बनने वाली है. ऐसे में माननीय शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग से निवेदन है कि हमें भी उस ट्रांसफर पॉलिसी में जोड़ा जाए हमारी जान सुरक्षित रहे.
ओपी पांडे