सुप्रीम कोर्ट पहुँचा गोढना रोड के नरकीय स्थिति का मामला
कैसे बन गया स्टेशन के समीप का गोढना रोड नर्क?
आरा, 27 मई. आरा नगर निगम क्षेत्र के वार्ड नम्बर 45 में स्थित गोढना रोड की नारकीय स्थिति से सारे शहरवासी परेशान है. यहाँ आते ही नर्कलोक में प्रवेश करने जैसा प्रतीत होता है. आरा रेलवे स्टेशन से महज कुछ ही दूरी पर होने के बावजूद इसकी यह दुर्दशा कैसे हुई इस बात को पटना नाउ ने समझने की कोशिश की. आखिर क्या बात हुई कि मुख्य रोड से लेकर हर गली में जल जमाव हो गया? जब इस तथ्य को हमारे रिपोर्टर ने खोजा तो पता चला कि गोढना रोड के आस-पास का इलाका नए तौर पर विकसित इलाका है. पिछले 10-15 वर्षों में इस इलाके में लोगों ने इस इलाके में घर बनाने शुरू किए. धीरे-धीरे यह इलाका एक सघन कॉलोनी के रूप में रिहायशी इलाके में तब्दील हो गया. मुख्यतः दक्षिण इलाके से नक्सलवाद से पलायन करने वाले लोगों ने स्टेशन से नजदीक होने के कारण इस इलाके को चुना. वार्ड 45 बड़ा होता गया और गली व सड़को का बनना भी शुरू हुआ. लेकिन नारकीय स्थिति तब से बनी जब मुख्यमंत्री के सात निश्चय वाले प्रोजेक्ट ने इस वार्ड का रुख किया. हर घर तक नल और हर गली के पक्कीकरण की योजना ने इस इलाके में लोगों के घर तक पानी तो नही पहुंचाया लेकिन यहाँ के निवासियों को पानी-पानी जरूर कर दिया. लोगों ने सरकार को टैक्स ये सोचकर भरा कि इस इलाके में विकास होगा लेकिन विकास ऐसा हुआ कि इलाका दलदल बन गया और रहने वाले सारे लोगों का मकान कीचड़ में खिला कमल का फूल बन गया. अब ये अलग बात है कि आप यहाँ प्रवेश कर इसे नर्कलोक की संज्ञा दें लेकिन आप जरा ये भी सोच लीजिये कि कमल तोड़ने के लिए कीचड़ में जाना होता है!
दरअसल सात निश्चय के लिए नल जल योजना के नाम पर हर गली और सड़कों को संवेदको ने खोद कर उसकी दशा बिगाड़ दी. खुदाई के बाद कोई भी गड्ढे भरे नही गये. इन गड्ढो ने जब भी पानी का दामन पकड़ा अपने अस्तित्व को मिटाने की कोशिश की और फिर क्या गली और क्या रोड सब बराबर हो गया. समता मुलक समाज मे गलियों के इन गड्ढो ने भी समानता का रास्ता अपनाया और लोगों के लिए मुसीबत बन गए. इन जगहों से गुजरने वाले कई बार गिरते रहते.
वार्ड नंबर 45 को महादलित श्रेणी में होने की मिल रही है सजा : रेणु देवी
इस बात की शिकायत वार्ड 45 के पूर्व पार्षद सह वर्तमान वार्ड पार्षद रेणु देवी के प्रतिनिधि व भाजपा के चुनाव आयोग सेल के संयोजक अमरेंद्र कुमार ने कई स्तर पर किया. नगर आयुक्त, व जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक शिकायत की गई. इस वार्ड में नल-जल,गली पक्कीकरण, सड़क, गली और नालियों के करोड़ो रूपये के कार्य आवंटन के बाद भी संवेदकों द्वारा कार्य नहीं करने के पीछे वार्ड पार्षद रेणु देवी की माने तो एक साजिश है. उनके अनुसार यह वार्ड महादलित श्रेणी में आने के कारण इसके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. साथ ही चूकि वे भी पिछड़ी जाति से आती हैं, इसलिए निगम और उसके संवेदक इसका विकास नहीं होने देना चाहते हैं. उन्होंने इसकी शिकायत भी मुख्यमंत्री तक की है.
दर्जनों पत्राचार इलेक्ट्रॉनिक व भारतीय डाक के माध्यम से किये गए. इसकी बानगी जरा एक ईमेल से समझते हैं जिसमें वार्ड पार्षद रेणु देवी तथा उनके प्रतिनिधि सह पूर्व वार्ड पार्षद अमरेंद्र कुमार ने लिखा है कि ईमेल id:- [email protected], [email protected] से प्रमंडलीय आयुक्त के ऑफिसियल ईमेल ID पर दिनांक 06.11.20 09.11.20 30.11.20 03.12.20, 27.01.21, 1.02.21, 06.02, 21, 11.02.21, 18.02.21, 26.02.21, 02.03.21, 07.03.21, और 17.03.21 को 13 बार मेल के जरिये शिकायत भेजा. यहाँ तक की लोक शिकायत निवारण समिति को भी शिकायत भेजी गयी. लगातार शिकायतों के बाद अमरेंद्र कुमार व वार्ड पार्षद रेनू देवी को धमकियाँ भी मिलीं. उन्हें यह कहा गया कि जितनी शिकायत करोगे, उतना ही देर से काम होगा क्योंकि भ्रष्टाचार के इस खेल में सभी संलिप्त हैं.
खैर परिणाम यह हुआ कि लगातार भारतीय जनता पार्टी चुनाव आयोग सेल के भोजपुर जिला संयोजक अमरेंद्र कुमार के द्वारा की जा रही शिकायतों के बाद जिलाधिकारी भोजपुर के द्वारा ज्ञापांक 18 अभी०, दिनांक-04/01/2021 के माध्यम से एक जांच कमेटी गठित की गई. जिसमें उप समाहर्ता, भूमि सुधार आरा, भोजपुर एवं कार्यपालक अभियंता, शाहाबाद पथ प्रमंडल, भोजपुर, आरा को जांच की जिम्मेदारी दी गई. लेकिन डीएम के आदेश की अवहेलना करते हुए इन दोनों पदाधिकारियों के द्वारा आज तक जांच नहीं की गई. जिसके कुछ समय बाद आरा नगर निगम के नगर आयुक्त ने 9 अप्रैल, 2021 को पत्रांक 407 के जरिये मुख्य नगर अभियंता,आरा नगर निगम को एक आदेश निर्गत करते हुए आदेश दिया कि वैसे सभी संवेदक जिनके द्वारा कार्य आवंटन / एकरारनामा / कार्यादेश के पश्चात भी कई वर्षों से कार्य प्रारम्भ नही किये हैं, उन्हें अंतिम रूप से नोटिस दिया जाए. यदि इस नोटिस के बाद भी उनके द्वारा 20 दिनों के अंदर कार्य प्रारम्भ करते हुए कार्य समाप्त नही किया जाता है तो उक्त निविदा को रद्द करते हुए उनके जमानत की राशि भी जब्त कर ली जाय एवं उक्त योजना का कार्यान्वयन पुर्न निविदा प्रकाशित कर की जाए.
निगम ने 25 मार्च 2021 को आयोजित नगर निगम के बैठक में “सर्वसम्मति से निर्णय लेने के बाद इसे पारित किया था”. इस आदेश के अनुसार यदि सभी संवेदक 20 दिनों के अंदर अपना कार्य प्रारम्भ कर समयावधि के अंतर्गत कार्य सम्पादित नही करेंगे तो उनका एकरारनामा विखंडित कर जमानत की राशि जब्त करते हुए उन्हें काली सूची में सूचीबद्ध करने की कार्रवाई की जायेगी. इसके अलावा वैसे संवेदक जिनके कार्य खत्म करने की समयावधि समाप्त हो गई है. लेकिन वे कार्य समाप्त नहीं कर पाए हैं या उन्होंने अबतक कार्य ही प्रारम्भ नहीं किया है तो उनके एकरारनामा को विखंडित करते हुए सुरक्षित जमा की राशि जब्त कर उन्हें काली सूची में सूचीबद्ध करने की कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नही, करोड़ो रुपये के कार्य आवंटन के बाद भी संवेदको द्वारा इसे चालू नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी नाराजगी जाहिर की है. दरअसल अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुका है गोढना रोड के नरकीय स्थिति का मामला. सुप्रीम कोर्ट ने 34330/2021 के जरिये इस मामले को रजिस्टर्ड किया है.
निगम द्वारा जारी आदेश को पूरा हुए एक महीना हो चुका है. जबकि 29 अप्रैल तक काम चालू करने का अल्टीमेटम निगम ने सभी संवेदको को दिया था. फ़िलहाल यास तूफान के कारण भोजपुर जिला क्या पूरे प्रदेश में 30 मई तक मौसम विभाग का अलर्ट जारी है. इधर यह हाल है कि नर्कलोक का द्वार बना गोढना रोड पुनः मौसम के थपेड़े से नर्क के समान गुलजार है. ऐसे में यह देखना होगा कि संवेदको पर कार्रवाई कर निगम उन्हें काली सूची में डालता है या फिर नई तारीखें जारी करता है? इन सबके बीच मजेदार होगा सुप्रीम कोर्ट द्वारा आने वाला आदेश…
आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट